25 जनवरी 1998 वंधमा हत्याकांड: जब 23 कश्मीरी पंडितों की हत्या से दहल उठा था पूरा गांव

 
25 जनवरी 1998 वंधमा हत्याकांड: जब 23 कश्मीरी पंडितों की हत्या से दहल उठा था पूरा गांव

मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले के वंधमा गांव में 25 जनवरी 1998 को हुई दर्दनाक घटना की टीस आज भी लोगों (केवल कश्मीरी पंडितों) के जेहन में है ।
चौबीस साल पहले इस गांव में अज्ञात नकाबपोश बंदूकधारियों ने 23 कश्मीरी पंडितों की बेरहमी से हत्या कर दी थी. और मारे गए नागरिक वह कश्मीरी पंडित थे, जिन्होंने इस क्षेत्र में बढ़ते आतंकवाद के बावजूद भी 1990 में कश्मीर नहीं छोड़ा था. वो इस कोशिश में थे कि कभी तो ऐसा दिन आएगा कि हम फिर से हिन्दू संस्कृति को यहाँ पुनर्जीवित कर देंगे ।

यह भीषण घटना 25 और 26 जनवरी 1998 की दरम्यानी रात हुई थी. स्थानीय लोगों के अनुसार. 'यह शब-ए-क़द्र था और हम स्थानीय मस्जिद के अंदर तरावीह की नमाज़ अदा कर रहे थे. हमने गोलियों और चीखों की आवाज़ सुनी. पहले हमने सोचा कि यह आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ है. डर के कारण हममें से किसी में भी बाहर कदम रखने की हिम्मत नहीं थी.'

उन्होंने कहा, 'तभी कोई चिल्लाते हुए आया कि मंदिर और पंडितों के घर आग की लपटों में घिरे हैं. हम मस्जिद से बाहर निकलकर यह देखने के लिए दौड़े कि क्या हो रहा है और सब कुछ आग की लपटों में घिरा देखकर चौंक गए.

जब स्थानीय लोग तमाशा देखने मौके पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि चार पंडित परिवारों के 24 में से 23 सदस्य खून से लथपथ पड़े हैं. उन्होंने बताया  'परिवार का एक अकेला सदस्य बद्री नाथ का 14 साल का बेटा विनोद (आशू) इस घातक हमले से बच गया था. मारे गए लोगों में चार परिवारों के परिवार के सदस्य और पांच मेहमान शामिल थे.'

स्थानीय तमाशबीनों ने बताया कि आशू चमत्कारिक ढंग से बच निकला था क्योंकि वह अपने घर के पास घास के ढेर के नीचे छिप गया था. स्थानीय लोगों के अनुसार, आशू ने पुलिस को बताया, 'हर तरफ हो-हल्ला हो रहा था, उन्होंने (नकाबपोश बंदूकधारियों ने) मेरे परिवार के सभी सदस्यों पर अंधाधुंध गोलीबारी की. बाद में सब जगह आग लगा दी.

पोस्ट के वीडियो का सन्देश सिर्फ ये ही है 👇👇👇

"लौट के आने वाले थे वो, मैं बरसो से राह तके बैठा हूं,।
1990 से जल रहा हूँ, मैं कश्मीरी पंडितो का घर जो हूं ।।

निखिलेश

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