उपनिषदुक्त ज्ञान से ही सच्ची शांति , ऐसा क्यों आईए जाने

 
इस समय चारों ओर अनेकों राजनीतिक और आर्थिक वादों का भयंकर जाल फैल गया है जिसके कारण जिन महान् दार्शनिक वादों ने हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन को चिन्तनशील एवं विचारशील बनाकर आध्यात्मिक उत्कृष्टताकी ओर प्रवृत्त कर रखा था , उनकी चर्चा ही बंद हो गयी है । इसी के परिणामस्वरूप आज चारो ओर राग द्वेष और हिंसा प्रतिहिंसा प्रबल प्रवाह बह रहा है एवं समाजिक भयानक दुर्दशा हमारे सामने प्रत्यक्ष हो रही है। 


बाह्य विज्ञान से मनुष्य को सच्ची शान्ति कभी नहीं मिल सकतीं । उपनिषद युक्त आत्मस्वरुपके सम्यक ज्ञान से ही मनुष्य शोक मोह से निवृत्त होकर शाश्वती शान्ति को प्राप्त होता है। 


तरित शोकमात्मवित् तत्र को मोह: क शोक एकत्वमनुश्यत: ज्ञात्वा शिवं शान्तिमत्यन्तमेति


इत्यादि अनेकों उपनिषद वाक्य तथा तदनुसार चलकर शान्ति को प्राप्त करनेवाले महापुरुष के पवित्र जीवन इसके प्रमाण है।  


उपनिषद का अर्थ है आध्यत्मविद्या । उप तथा नि उपसर्गपूर्वक सद् धातु में क्विप प्रत्यय जोड़कर उपनिषद शब्द का निष्पादन होता है । जिसके परिशीलन से संसार की कारणभूता अविद्या का नाश हो जाता है, गर्भवासादि दुखोसे सर्वथा छुटकारा मिल जाता है और पर ब्रह्म की प्राप्ति हो जाती है उसी का नाम उपनिषद है । 


जय श्री कृष्ण 

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