भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे अभागा समाज बंगाली हिंदू


( प्रतीकात्मक तस्वीर )

आज किसी भी बाल, तरुण, प्रौढ़, औऱ यहाँ तक कि किसी ज्ञानीजन से भी पूछ लो कि देश मे सबसे बड़ा नरसंहार कब और कहाँ हुआ तो 90% जलियांवाला बाग हत्याकांड ही बताएंगे जिसमे ब्रिटिश पुलिस ने निहत्थे भारतीयो पर गोलियां चलाई थी । इस हत्याकाण्ड में लगभग 379 लोगो की मारे जाने और 1200 के जख्मी होने का इतिहास उपलब्ध है और पढ़ाया भी जाता है । दशकों बाद अंग्रेजो ने माफी भी माँग ली । भारतीय समाज उसे यादों में जिंदा भी रखता है और रखना भी चाहिए ।

इसके विपरीत एक गुमनाम नरसंहार है जहां गोली खाने वाले भी हिन्दू थे और मारने वाले भी हिन्दू, फिर चाहे केंद्र में तथाकथित आयरन लेडी की सरकार हो या राज्य में लिबरल वामी सरकार । इस हत्याकांड में मरने वालो की संख्या लगभग 10000 थी फिर भी न कोई स्मरण न कोई माफी न ही कोई ब्लॉग, न ही कोई लेखन । जब कोई भी बात ही नही करता तो दुनिया भर के ट्रांजिट कैंपो में रहने वाले बंगाली युवा भी कहाँ याद रख पाएँगे #मरीचझांपी के #नरसंहार को ।

नरंसहार से पहले इस समाज ने कितना झेला था इसकी आज कल्पना भी करना मुश्किल है । पूर्वी पाकिस्तान में हत्या, आगजनी और बलात्कार के बाद भारत मे घृणा, केंद्र सरकार का असहयोग, और राज्य सरकार द्वारा राशन पानी तक रोक देना । 

जोगिंदर नाथ मण्डल की आत्महत्यारी रणनीति (भीम-मीम जैसी) और उसके पीछे चलने वालों ने लगभग 35 लाख जान देकर भी हिन्दू पूर्वी पाकिस्तान में अपनी संस्कृति को नही बचा पाए । इसी बंगाली संस्कृति को बचाने के लिए बचे खुचे हिन्दू अपने प्राकृतिक घर हिंदुस्तान की तरफ चल पड़ते भूखे-प्यासे इस उम्मीद में कि घर मे उनका स्वागत होगा । वो इस उम्मीद में बैठे थे कि कल को बंग्लादेश का माहौल ठीक होगा तो वो वहाँ फिर से वापस जाकर दुर्गा पूजा मनाएंगे ।

भारत मे रहने के लिए सरकार ने इन शरणार्थियों के लिए जगह जगह ट्रांजिट कैम्प्स बनाये ऐसी जगहों पर जहाँ कोई आम भारतीय रहना भी नही चाहता था । लेकिन अपनी जगह, अपनी भाषा मे जो आकर्षण होता है वो आसानी से नही छूटता । इसी टीस और इसी आकर्षण का फायदा उठाया बंगाल के सरकार ने और सभी को बंगाल आने की दावत दी । इसी वादे के चलते बहुत से लोग निकल पड़े बंगाल में सेटल होने को । पर सरकार तो सरकार है, मुकर गए वायदे से और सभी शरणार्थियों को मजबूर कर दिया फिर से जमीन खोजने को । ऐसे के सभी शरणार्थी सुंदर वन के एक छोटे से द्वीप #मरीचझांपी में बस जाते है । उजाड़ से इस द्वीप वो लोग अपने काम धंधे जुटा लेते है और धीरे धीरे जीवन चलने लगता है । लेकिन बंगाल सरकार ने टाइगर रिजर्व के नाम पर इसे खाली कराने की मुहिम चला दी । जनवरी माह में पुलिस 100 मोटरबोट्स मरीचझांपी द्वीप को घेर लेती है और वहाँ की सारी सप्लाई रोक देती है । राशन, पानी, दवाई सब रुक जाती है और लोग भूखे मरने लगते है । पानी का जो एकमात्र श्रोत होता है उसमे सरकार जहर मिला देती है ताकि लोग बिलबिला कर मर जाये । इस सब अत्याचार के बाद भी जब ये शरणार्थी नही हिलते तो अंततः 26 जनवरी के दिन, जब पूरा भारत गणतंत्र के पर्व में डूबा होता है तो बंगाल पुलिस अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर देती ।

लगातार 3 दिन चले इस हत्याकांड में लगभग 10000 हत्याएं की जाती है और सरकार इसे 10 बताकर फ़ाइल बन्द कर देती है । बंगाल के हत्याकांडो पर केंद्र सरकार तो हमेशा से ही लाचार रही है फिर चाहे वो तथाकथित आयरन लेडी की सरकार हो या हिन्दू हृदय सम्राट की ।

कहानी पूरी पढ़नी है तो Deep Halder की Blood Island में पढ़ सकते यहाँ सिर्फ उपलब्ध वीडियो के माध्यम से कहानी को समझ सकते है ।


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