तंत्र विद्या का प्रचार प्रसार करके बाजार के साथ जोड़ना क्यो आवश्यक है आइए जानें?

तंत्र विद्या भगवान शिव और माता पार्वती की साधना है । यह योग से भी उच्ची विद्या । योग से आप केवल अपना भला कर सकते हो ।लेकिन तंत्र विद्या से आप सारे संसार का भला कर सकते हो । रावण तंत्र विद्या का श्रेष्ठ ज्ञाता था । कुल्लू से लेकर कैलाश पर्वत तक तांत्रिक विद्या का प्रसिद्ध क्षत्र था इसलिये रावण अपनी अधिकतर साधना यहीं करता था । तंत्र विद्या से वह इतना शक्तिशाली हो गया था कि श्री राम को स्वयं उसका संहार करना पड़ा था । तंत्र विद्या से आप दूसरे को हानि भी पहुँचा सकते हो इसलिये तंत्र विद्या के जानकार इसकी विद्या हर किसी को नहीं देते । तंत्र विद्या के ग्रन्थ देवनागरी लिपि में नहीं अपितु भूत लिपि में लिखे हुये हैं ।जिसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है । तंत्र विद्या के जानकार बहुत कम बचे हैं । असम में माता कामख्या देवी के मंदिर में अब भी तंत्र विद्या सिखाई जाती है । क्योंकि तंत्र विद्या का सीधा सम्बंध सनातन धर्म से है और जो कोई भी इस विद्या से लाभप्रद होगा वह हिन्दू बने बिना रह ही नहीं सकता । इसलिए ईसाई मिशनरियों के दबाब में भारत सरकार ने अंध श्रद्धा निर्मूलन act के नाम पर इस पर प्रतिबंध लगा रखा है । पछमी बंगाल के वामपंथियों ने इसको काला जादू कहकर इसपर कानून बना दिया था । स्वार्थी और अज्ञानी लोगों ने इस सनातन विद्या को बदनाम कर रखा है । भारत सरकार को और सनातन समाज तंत्र विद्या के प्रचार प्रसार पर ध्यान लगाना चाहिये । योग ,आयुर्वेद की तरह तंत्र विद्या भी सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में सहाई हो सकती है । आवश्कयता है एक और स्वामी ramdev की जो योग गुरु की तरह तंत्र गुरु हो और इस विद्या को बाजार के साथ जोड़ कर इसका प्रचार प्रसार कर सके ।

साभार
राजीव कुमार जी 

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