वामियों ने सुनियोजित ढंग से षड़यंत्र रचकर सनातनियों के मनोबल को तोड़ने का कार्य किया है।

वामियों ने सुनियोजित ढंग से षड़यंत्र रचकर सनातनियों के मनोबल को तोड़ने का कार्य किया है।

इन सनातन द्वेषियों ने भारत भूमि पर निर्मित उत्कृष्ट वास्तुशिल्प को कथित "मुगल शैली" का नाम दे दिया।

जबकि वास्तविकता यह है कि ये सभी अकल्पनीय निर्माण सनातनी हाथों से ही हुआ है।

इसका सबसे बड़ा प्रमाण तो यही है कि १९३० से पूर्व उनके देशों में ही एक भी विराट वास्तु और स्थापत्य का निर्माण कार्य नहीं हुआ था।

इसीलिए जल-थल से आज भी समय-समय पर अद्भुत सनातन वास्तुशिल्प के साक्ष्य समस्त संसार से प्राप्त होता रहा है।

इस स्तम्भ में बने पाषण लड़ी(chain) को देखें.!!

क्या इसका निर्माण छेनी-हथौड़ी जैसे परम्परागत यंत्रों से सम्भव है.??

नहीं.. नहीं हो सकता.!!

अवश्य ही पाषाण शिल्पकला की कोई विशिष्ट विधा रहा है जो अब लुप्त हो गया है।

गर्व है इनके निर्माता सनातनी पूर्वजों पर.!!

वैभवशाली सनातन धरोहर...!!

जय सनातन धर्म🙏🚩

जय महाकाल🙏🔱🚩
#प्रेमझा

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