बस्तर दंतेवाड़ा का एक सौन्दर्यपूर्ण इतिहास के बारे में आइए जानें?

बस्तर और दंतेवाड़ा की चर्चा प्रायः समाचारों में रहता है।
किन्तु ये समाचार अधिकांशतः विचलित करने वाले ही होते हैं।
वैसे बस्तर दंतेवाड़ा का एक सौन्दर्यपूर्ण इतिहास रहा है।

नाग शासन काल यहाँ का महत्वपूर्ण कालखण्ड रहा है।
इसी नाग शासन में राजमहिषी गङ्गमहादेवी ने यहाँ भव्य शिवालय युग्म बनवाया था।
यह मन्दिर निर्माण १२१० ई. में हुआ था।

राजमहिषी ने इस दो शिवालयों में से एक अपने नाम "गङ्गमहादेवी" के नाम पर श्री गङ्गाधरेश्वर महादेव मन्दिर व दूसरा अपने पति महाराज "सोमेश्वर" देव के नाम पर श्री सोमेश्वर महादेव मन्दिर का निर्माण करवाया।
यह यहाँ शिलालेख में भी अंकित है।

इस शिवालय युग्म को "बत्तीसा मन्दिर" के नाम से जाना जाता है क्योंकि जिस प्रकार सिंहासन बत्तीसी में बत्तीस पुतलियाँ उत्कीर्ण थीं उसी प्रकार इस मन्दिर का मण्डप बत्तीस स्तम्भों पर आधारित है।

यह शिवालय युग्म बारसूर, दंतेवाड़ा जनपद, छत्तीसगढ़ में स्थित है।

यह शिवालय दो गर्भगृह से युक्त हैं तथा दोनों गर्भगृह में त्रिरथ शैली में निर्मित शिवलिङ्ग स्थापित हैं।

इस शिवालय के शिवलिङ्गों को इसकी विशिष्टता अन्य शिवलिङ्ग की तुलना में दुर्लभ बनाती है।
ये शिवलिङ्ग चलायमान हैं।
अर्थात इनके "जल लहरी" (अरघा) को चारों ओर घुमाया जा सकता है तथा ये अपने निर्माण काल से वर्तमान तक भक्तों द्वारा घुमाये जाते रहे हैं।

मन्दिर के बाहर चिरप्रतिक्षा मुद्रा में नन्दी महाराज बैठे हुए हैं। सनातनी शिल्पकारों ने आभूषणों व सूक्ष्म कलाकृतियों से सजाकर इन्हें जीवन्त बना दिया है।

शैव भक्तों के लिए यह महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल हैं।

अद्वितीय सनातन धरोहर...!!

जय सनातन धर्म🙏🚩

जय महाकाल🙏🔱🚩
#प्रेमझा

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