वामियों/लिब्रांडो/ मल वासियों तुम सनातन धर्म की तुलना अन्य से क्या करते हो, पहले आँखें खोल कर सत्यता तो देख लो।
जिस वय में एक ओर अन्य म ज ह ब के लोग मदिरा/गुदा/योनि के आकर्षण में ही रुग्ण मनोविकृति में जीवन जीता है,
वहीं दूसरी ओर हमारे सनातन धर्म में ये स्वयं करुणा त्याग धर्म समर्पण के पर्याय बन जाते हैं।
ऐसे ही संत हैं श्री सियाराम बाबा, निमाड़ वाले।
ऐसे संत जो स्वयं किसी से ₹१० से अधिक का दान स्वीकार नहीं करते पर जब श्री अयोध्या जी में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण में समर्पण देने बारी आई तो स्वयं ₹२५००००/- (ढाई लाख रुपए) की निधि समर्पित कर दिए थे।
निमाड़ नर्मदा मइया के किनारे रहने वाले पूज्य संत सियाराम बाबा ने अपने १० - १० रुपये की आई भेंट से संग्रहित राशि को श्री राम मंदिर निर्माण में समर्पित कर दिए थे।
आज भी भक्तों को यहां निःशुल्क प्रसाद प्राप्त होता है।
वास्तव में ये सन्त ही सनातन की रीढ़ हैं, इन जैसे संतों मनीषियों ने ही सहस्रों वर्षों से प्रकृति के सभी झंझावातों विधर्मियों के अत्याचारों को सहकर भी हमें सुरक्षित सनातन संस्कृति लाकर सौपा है।
सियाराम जी जैसे संत ही वह भगीरथ है जो इतिहास के सारे घाव सहकर भी सनातन धर्म को सुरक्षित यहाँ तक लेकर आए और हमें सौंपा है।
वामजीवियों और मैकाले वायरस से संक्रमित दोपाया पशुओं ने सनातन धर्म व साधु संतों के जिस छवि को तोड़ मोड़ कर निर्माण है उसके बहकावे में आकर अपने सनातनी संतों का कभी अपमान नहीं करें।
ये सन्त ही भारत और सनातन की आत्मा है।
पूज्य सियाराम बाबा जैसे सन्त हर स्थल पर हैं।
जो जहाँ है वहां उनका सम्मान करें।
ये धरोहर हैं हमारे सनातन की॥
जय सनातन धर्म🙏🚩
राजा रामचंद्र जी की जय 🙏🌺🚩
जय महाकाल 🙏🔱🚩
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें