मनीष सिसोदिया ने सपने में नहीं सोचा होगा वह भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाएगा, पर गया।

मनीष सिसोदिया ने सपने में नहीं सोचा होगा वह भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाएगा, पर गया।

उद्धव ठाकरे ने कभी सपने में नहीं सोचा होगा कि मुख्यमंत्री पद तो छोड़ो, पार्टी का नाम निशान और फंड भी दाव पर लग जाएगा।  

रवीश, बरखा, अंजुम, पुण्य प्रसून के भी क्रांति की कुछ यहीं कहानी है। 
महबूबा मुफ़्ती के साथ जब गठबंधन हुआ था तो कौन सपने में सोचा होगा कि भाजपा कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश में बदल देगी। 

ख़ालिस्तानी भी लगातार प्रयास में हैं कि वह सरकार को परेशान कर के एक समय ऐसी स्थिति बना दें कि सरकार प्रतिक्रिया में इनके पीछे खड़े बीस तीस अफ़ीमचियों को मार दे, जिसके बाद यह उन लाशों को दिखा दिखा कर बाक़ी समझदार जनता को भी भड़का सकें। लेकिन सरकार ने इनको भोकने वाला कुत्ता बना दिया है। पहले हिंदुओं से मारपीट कर रहे थे। अब पंजाब के सिक्ख सुरक्षाकर्मियों को ही मार रहे हैं।

अराजकता किसी को कितने दिन अच्छी लगेगी ख़ासकर तब जब उसके बदले आपको जन्नत और हूर का भी प्रावधान न हो। 
अराजकता कर करके एक दिन ये आपस में लड़भीड़ कर एक दूसरे को समाप्त करेंगे। 

दिल्ली में इन्होंने जो किया था उसका एकमात्र कारण था कि किसी तरह सरकार उनके तीस चालीस लोगों को गोली से भून डाले क्यूँकि खलिस्तान के असली नेता तो लंदन और कनाडा में हैं। साल भर तक नाक रगड़ने का बाद भी एक पत्थर नहीं मारा गया। अंत में लौट गए और गाँव गाँव कृषि क़ानूनों के नाम से समझाईस शुरू कि तो मोदी जी ने वह भी वापस के लिया। 
यह कहना अनुचित नहीं होगा कि इस मूर्खतापूर्ण कुकृत्य में हिंदुओं की कृषक जातियाँ विशेष रूप से जाटों, कुर्मियों, कोइरियों, यादवों आदि ने भी अपने कुंठा में इसका समर्थन किया। 

मोदी जी पर भरोसा रखिए, प्रत्येक बात का हिसाब लिया जाता है पर फ़ुलप्रूफ प्लानिंग के साथ, बिलकुल सही समय पर। न उससे पहले और न उसके बाद। ख़ालिस्तान आंदोलन एक फ़्रॉड आंदोलन है और ख़ासकर इस परिप्रेक्ष्य में कि यह वास्तव में हिंदू धर्म का ही एक मत है। इसकी पुस्तक भी हिंदू संतों द्वारा हिंदू देवी देवताओं के वर्णन से भरे हैं। सिक्खों का रहन सहन, नस्ल, आचार विचार सब कुछ भारतीय है, और सबसे बढ़कर यहां अराजकता और बेवक़ूफ़ी के बदले न हूरें मिलनी हैं और न जन्नत। 
वास्तव में मोदी ने ख़ालिस्तान को भोंकने वाला कुत्ता बना दिया है और वह कुत्ते आपस में लड़ रहे हैं। जल्द ही एक दूसरे को काट काटकर इतने घाव बनाएँगे कि इनमें स्वयं ही कीड़े पड़ जाएँगे और इतना बदबू करेंगे कि कोई भी इनको पालना नहीं चाहेगा। 

लोक संस्कृति विज्ञानी
डॉ भूपेंद्र सिंह जी 

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