पूंजीवादी वस्तुओं की Packaging इतनी जबरदस्त क्यों की जाती है ?

पूंजीवादी वस्तुओं की Packaging इतनी जबरदस्त क्यों की जाती है ?

नमष्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे कि पूंजीवादी वस्तुओं की पैकिंग पर इतना ध्यान क्यों दिया जाता है। जैसे कि आपने देखा ही होगा कि पूंजीवादी कंपनियों के प्रोडक्ट जैसे शैंपू साबुन रिफाइंड तेल आदि की पैकिंग पर इतना ध्यान क्यों दिया जाता है । तो उसका उत्तर है कि जब हम मार्केटिंग मैनेजमेंट पढ़ते हैं ।तो उसमें यह पढ़ाया जाता है कि चाहे वस्तुओं की गुणवत्ता कितनी भी कम क्यों ना हो, उनकी पैकिंग उत्तम होनी चाहिए । यह पूंजीवादी सिस्टम दो चीजों पर सबसे अधिक टिका हुआ है ,एक है पैकिंग ,दूसरी है उसकी एडवरटाइजमेंट ।अगर पूंजीवादी वस्तु की पैकिंग और एडवर्टाइजमेंट ढंग की ना हो , तो वह दो दिन भी मार्किट में टिक नहीं सकती। जैसे कि उदाहरण के लिए हम कोल्ड ड्रिंक को ले लेते हैं। कोल्ड ड्रिंक में जो रसायन पड़ते हैं उनका मूल्य केवल और केवल 50 पैसे से अधिक नहीं होता ।लेकिन कोल्ड ड्रिंक की पैकिंग पर खास ध्यान दिया जाता है । एक 25 रूपए की कोल्ड ड्रिंक की बोतल में अधिक से अधिक 50 पैसे का material होता है, 5 रुपए पैकिंग के होते हैं। 5 रुपए एडवर्टाइजमेंट पर खर्च किए जाते हैं, ₹10 की transportation & distribution cost होती है ,और बाकी लगभग 4 रुपए कंपनी का प्रॉफिट होता है।

मार्केटिंग का यह नियम है कि जो दिखता है वह बिकता है ।जो product जितना अच्छा दिखेगा और जितनी बार दिखेगा, उसकी बिक्री उतनी ही अधिक होगी। पूंजीवादी कंपनियां उपभोक्ता की इसी मानसिकता का लाभ उठाती है। 
 इस तरह आपने देखा कि कैसे पूंजीवादी वस्तुओं में packaging , advertisement, transportation और distribution पर अधिक से अधिक खर्चा किया जाता है । material पर बहुत ही कम खर्चा किया जाता है । यह उदाहरण सभी तरीके की पूंजीवादी वस्तुओं जैसे शैंपू, टेलकम पाउडर, क्रीम , पैकेट बंद खाने पीने की चीजों, फ्रूट जूस आदि सब पर लागू होता है ।

 जबकि दूसरी और स्वदेशी सनातनी वस्तुओं जैसे कि ताजे गन्ने के जूस, ताजे फलों के रस खुद के पिसाए हुए आटे, घर के बने हुए मंजन आदि में अधिक से अधिक खर्चा material पर होता है। पैकिंग और एडवर्टाइजमेंट पर कोई खर्च नहीं होता।

 इसलिए यह पूंजीवादी कंपनियां चाहे जितना भी दावा कर ले कि वह श्रेष्ठ क्वालिटी देती हैं। यह सारे दावे झूठे पाए जाते हैं ।

साभार
राजीव कुमार जी ।
प्रतीकात्मक तस्वीर 

टिप्पणियाँ