समाजवाद और साम्यवाद की घोषणाएँ अप्राकृतिक हैं क्यो है आइए जानें

समाजवाद और साम्यवाद की घोषणाएँ अप्राकृतिक हैं ,अस्वाभाविक हैं ,झूठी हैं ।इनका प्रयोग गरीबों को मछली की तरह फँसाने के लिए किया जाता है । धरती से लेकर आसमान तक देख लीजिए ।कहीं भी साम्यवाद नहीं दिखेगा इलेक्ट्रॉन, प्रोट्रोन, न्यूट्रॉन से ही शुरू करके आप 108 और उससे भी ज्यादा भिन्न गुणों वाले तत्त्वों के दर्शन करेंगे ।आकाश के सभी सूरज भी एक जैसे नहीं हैं ।सूरज के सभी ग्रह भी एक जैसे नहीं हैं ।भिन्न भिन्न प्रकृति की गैसें ,भिन्न प्रकृति के ठोस और तरल बनाए हैं प्रकृति ने ।
               अतः मैं तो यही कहूंगा कि साम्यवाद की कल्पना बकवास है ।इसी धरती पर घोड़े हैं ,तो गधे हैं ,आदमी हैं तो बंदर हैं ।शेर और बिल्ली का अंतर तो सबको मालूम है ,लेकिन कोई भीगी बिल्ली की जगह भीगे बाघ की बात नहीं करता। 
                   जो आज अगड़े हैं ,वे पहले तगड़े थे और उन्होंने हर झगड़े जीते थे। बाकी का सच मैं नहीं जानता ।बस इतना ही जानता हूं कि कि तगड़े वही थे जिन्हें सबका साथ मिला था ।जिस दिन साथ छूट गया ,सभी रगड़े गए ,जिससे कुछ बड़े ढेले बन गए ,कुछ छोटे ।
                       देश को बचाना है तो एक बनो , नेक बनो, समन्वयकारी बनो ,परोपकारी बनो । बीते दिनों को न तुम जानते हो , न मैं जानता हूं , क्योंकि समय के चक्र में नाचते हुए हम एक दूसरे से दूर हो गए ।अतः एक दूसरे को दोषी मानना बंद करो ।आओ सब मिलकर रहना सीखें ।हम सब हिंदु ही हैं ।हम सब एक हैं ,पर कोई आई ए एस ,तो कोई चपरासी तो बनता ही रहेगा । इतना भेद तो चलता रहेगा ।बाकी सब ड्रामा है ।
                        जय श्रीकृष्ण

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