सनातन जैविक मिश्रित खेती करने से क्या क्या लाभ है आइए जानें

सनातन जैविक मिश्रित खेती  में किसान केवल अनाज ,दालों, सब्जियों ,तिलहन,दलहन आदि का उत्पादन नहीं करता था,बल्कि फल ,जड़ी बूटियों और विभिन्न तरीके के वृक्ष आदि  की भी खेती करता था। क्योंकि सनातन भारत में चिकित्सा की मुख्य पद्धति आयुर्वेद थी और आयुर्वेद की हर एक औषधि जड़ी बूटियों से तैयार होती है  इसलिए सनातन भारत में किसान जड़ी बूटियों की खेती भी करता था । लेकिन आजकल पूंजीवादी एलोपैथिक सिस्टम चल रहा है। जिसमें दवाइयों में कोई जड़ी बूटी प्रयोग नहीं होती , बल्कि इन एलोपैथिक दवाइयों में  विभिन्न तरीके के कैमिकल डाले जाते हैं ।जिसके लिए खेती की कोई आवश्यकता नहीं होती ।सनातन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति और  आजकल की पूंजीवादी एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति के बारे में हम अपने आने वाले लेखों में विस्तार से चर्चा करेंगे ।  आजकल की पूंजीवादी खेती व्यवस्था में किसी क्षेत्र में एक ही तरह की फसल होने के कारण वहां पर जैव विविधता नहीं रहती ।जैसे कि पंजाब में केवल  गेहूं और धान आदि की फसलें होने के कारण  अधिकतर ऐसी जड़ी बूटियां और जीव जंतु नष्ट हो गए  हैं ,जो  गेहूं और धान की फसलों पर निर्भर नहीं रह सकते ।उदाहरण के लिए आजकल शहद का उत्पादन करने के लिए  मधुमक्खियों को लकड़ी के बक्सों में पाला जाता है ।लेकिन गर्मियों में फूल आदि की कमी हो जाने के कारण इन लकड़ी के बक्सों कों वहां पर लेकर जाना पड़ता है, जहां पर फूल आदि उपलब्ध हो । मधुमक्खियों के बक्सों को ट्रांसपोर्ट करने में बहुत ही ज्यादा खर्च आता है ।  इस खर्चे से बचने मधुमक्खी के बक्सों में चीनी डाल दी जाती है  जिस कारण शहद के प्रकृतिक गुण खत्म हो जाते हैं । पहले हमारे यहां पर सनातन जैविक मिश्रित खेती होती थी। जिस कारण  उच्च श्रेणी का शहद हमें मुफ्त में उपलब्ध होता था । आजकल कि पूंजीवादी खेती के कारण जो चीज हमें मुफ्त में उपलब्ध थी । वह पैसा देकर भी नहीं मिलती । कई तरीके के जानवर ,चिड़िया,तितलियां ,मोर आदि अब हमारे पर्यावरण से गायब होते जा रहे हैं ।अगर हम सनातन जैविक मिश्रित खेती की ओर वापस लौट जाएं, जोकि  बिल्कुल ही संभव है,तो हम हमारी खोई हुई जैव विविधता  पुनः को  प्राप्त कर सकते हैं। जैव विविधता पर्यावरण की के संतुलन के लिए बहुत ही आवश्यक है।
अंत में हम जानने की कोशिश करते हैं। कि किसान ने  मिश्रित खेती को छोड़कर आजकल की पूंजीवादी खेती करना क्यों शुरू कर दिया ।  इसका सबसे बड़ा कारण है सरकार दुबारा दिया जाने वाला न्यूनतम  समर्थन मूल्य  ।  न्यूनतम समर्थन मूल्य किसान को किसी एक ही फसल को लगातार बीजने पर मजबूर करता है । जैसे पंजाब में केवल गेहूं और धान के MSP होने के कारण ही किसान को गेहूं और धान बोने पर मजबूर होना पड़ता है   ।और  किसी अन्य फसल की सरकार द्वारा खरीद ना होने के कारण,किसान लगातार बार बार एक ही तरह की फसल बीजता रहता है । किसान को समझना पड़ेगा कि MSP सरकार किसानों को नहीं,बल्कि पूंजीपति कम्पनियों को देती है । ताकि किसान मिश्रित खेती से दूर रहे। और  किसान को उर्वरक, बीज आदि बाजार से खरीदने पड़ें ।सरकार अगर किसानो का भला चाहती है ,तो सरकार को चाहिए कि जितनी सब्सिडी वह किसानों पर 1 साल में खर्च करती है, वह  किसानों के खातों में सीधा ट्रांसफर करें।  जैसे कि मान लो एक किसान के हिस्से में 10000 रुपए मासिक आते हैं  ।तो सरकार को चाहिए कि ₹10000 महीना किसान के खाते में सीधा ट्रांसफर करें । और सरकार  फालतू में किसान को मजबूर ना करें  कि वह वही फसलें बार बार बीजें । जिससे की सारी की सारी कृषि पूंजीवादी कंपनियों पर निर्भर हो जाए।  जैसे कि आजकल की सारी कृषि पूंजीवादी कंपनियों पर निर्भर है ।
किसान भाइयों कभी आपने सोचा है? कि आपके पूर्वज जोकि  मिश्रित जैविक खेती करते थे। उन पर ना तो क़र्ज़ था,ना ही वे बीमार थे,ना ही उन्होंने कभी आत्म हत्या की ,ना ही उनको खेत छोड़कर शहरों और विदेशों में भागना पड़ा ।आजकल के किसान को सस्ता क़र्ज़ भी मिलता है ।MSP भी मिलती है । उर्वरक पर अनुदान भी मिलता है ।लेकिन फिर भी किसान आत्म हत्या पर मजबूर और क़र्ज़ के बोझ तले दबा क्यों हैं ।किसान भाईयों जब बैंक ट्रेक्टर आदि पर कम ब्याज लेता है ।और इस पर सरकार SUBSIDY देती है ।तो यह सब्सिडी किसान के लिए नहीं ।बल्कि ट्रेक्टर कम्पनीयों के लिए होती है ।जब सरकार यूरिया आदि पर सब्सिडी देती है। तो वो किसानों के लिए नहीं , बल्कि वह यूरिया कम्पनीयों के लिए होती है ।सरकार कभी बैल खरीदने पर , जैविक खेती पर सब्सिडी क्यों नहीं देती ।आप को इस बात को समझना होगा ।आपको मिश्रित जैविक खेती की और लौटना होगा ।खेती की लागत कम करनी होगी । अपनी उपज सीधे उपभोगता तक पहुंचानी  होगी ।और पूंजीवादी बिचोलियों को खत्म करना होगा ।नहीं तो खेती छोड़कर शहर में मजदूरी करनी् पड़ेगी । पूंजीवादी बिचोलियों को ख़त्म करने के लिए सनातन अर्थव्यवस्था फिर से पुनर्जीवित हो रही है ।


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