तुफैल चतुर्वेदी की ई लिंचिंग क्यों गलत है कुछ वर्षों से अभिव्यक्ति स्वतंत्रता पर एक गिरोह द्वारा हमला क्यों किया जा रहा है आइए जानें

मैं तो इतना कट्टर हिंदू हूँ कि आर्य समाजियों के बीच मूर्तिपूजा की सौ बुराई कर आऊँ और अगले ही क्षण साकार ब्रह्म मानने वाले लोगों के साथ मूर्तियों की पूजा कर आऊँ।
सारा मसला यह है कि चाहे आदमी मूर्तिपूजा के पक्ष में है अथवा विरोध में, चाहे वह आस्तिक है अथवा नास्तिक, चाहे वह साकार ब्रह्म मानता हो अथवा निराकार ब्रह्म, चाहे रामायण महाभारत को ऐतिहासिक ग्रंथ मानता हो अथवा ईश्वरिय, चाहे वह जैन हो या बौद्ध, लेकिन वह हिंदू इस पहचान से जुड़े आबादी के प्रति वह अपने हृदय में कैसा भाव रखता है। 
यदि उस व्यक्ति की नीयत हिंदू इस पहचान समूह के लिए हितकारी है तो मैं उसके साथ खड़ा हूँ, यदि वह प्रत्येक हिंदू को जन्म, लिंग, भाषा, क्षेत्र से इतर एक बराबर का हिंदू मानता है तो मैं उसके साथ खड़ा हूँ। उसकी सौ ग़लतियाँ यह बताकर की यह ग़लत है, मैं इस विशेष बात के पक्ष में नहीं है हूँ ऐसा बताकर उसके साथ खड़ा रहूँगा। 
मेरे लिए वह हिंदू जो पूजा पाठ, वेद पुराण, मंदिर, मूर्ति सब मानता हो पर हिंदुओं के बीच भेद दृष्टि रखता हो, जिसकी नीयत स्वार्थ से युक्त है वह किसी विधर्मी से अधिक घृणित है क्यूँकि उसकी यह सब मान्यताएँ किसी काम की नहीं, जब यह मान्यताएँ इस हिंदू पहचान से जुड़े लोगों के सुख का कारण नहीं बन सकतीं। 

मैं तुफैल चतुर्वेदी के इस बात पर कड़ी आपत्ति दर्ज करता हूँ कि उन्होंने हनुमान चालीसा को एक बाज़ारू किताब कहा, पर इसके आधार पर उनके हिंदू होने पर प्रश्न खड़ा नहीं होता, क्यूँकि मुझे पूर्ण विश्वास है कि उनकी नीयत इस समाज के लिए हितकारी है। इस दुनिया में कोई सौ प्रतिशत सत्य नहीं होता, इस बात पर वह भी सही नहीं हैं। कुछ बातें आपके मन में हों तो भी उसे व्यक्त करना उचित नही, जब आपके पाठकों की संख्या काफ़ी ज़्यादा हो। 

भावुक होकर लोग उनका विरोध करें अलग बात है। हाँ, इस मौक़े का लाभ उठाकर भेद दृष्टि रखने वाले जातिवादी गिरोह ने उनकी ई लिंचिंग करने का जो प्रयास किया है, मैं उसके ख़िलाफ़ हूँ क्यूँकि मैं जानता हूँ कि उस गिरोह को हनुमान चालीसा के बारे में बोलने से कोई कष्ट नहीं हुआ है, उल्टा वह खुश हैं कि भला तुफैल चतुर्वेदी ने एक गलती की जो हमारे हाथ एक मौक़ा लगा। ऐसे विघ्न संतोषी हमारे समाज के असल दुश्मन हैं। भेड़ की शक्ल का भेड़िया, किसी सामान्य भेड़िये से अधिक ख़तरनाक है। जातिवादी गिरोह के ई लिंचिंग के ख़िलाफ़ मैं पहले भी पीड़ित पक्ष के साथ खड़ा रहा हूँ और आगे भी खड़ा रहूँगा। क़ायदे से तुफैल चतुर्वेदी को अपनी बात वापस लेकर आगे बढ़ जाना चाहिए। 

डॉ भूपेन्द्र सिंह
लोक संस्कृति विज्ञानी

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