बंगाली_हिन्दू_नरसंहार राजशाही 23-24 अप्रैल 1962....

 
 
22 मार्च 1962 को पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में जिहादी मानसिकता वाले मु स्लिमो ने संथालो पर आक्रमण कर दिया बदले में धनुष और बाणों से लैस संथालों ने तीन मुसलमानों को मार दिया और छह को जला दिया गया। 16 और 20 अप्रैल के बीच, दो समूहों के बीच तनाव के कारण एक और धार्मिक दंगा हुआ।

इस दंगे की फर्जी कहांनी बनाते हुए पाकिस्तानी प्रेस ने न केवल मालदेह जिले में मुस्लिम हताहतों के अतिरंजित आंकड़े प्रकाशित किए, और पूरा एक ऐसा माहौल बना दिया कि बंग्लादेश में मुस्लिमो पर कम होने के बावजूद भी हिन्दू हावी है ।

22 अप्रैल को, पूर्वी पाकिस्तान के गवर्नर लेफ्टिनेंट जनरल मुहम्मद आज़म खान ने भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की काल्पनिक कहानियों के साथ एक भड़काऊ भाषण दिया। इससे प्रभावित हो जिहादियों की भीड़ ने 23 अप्रैल को, राजशाही डिवीजन में बंगाली हिंदुओं और अन्य जातीय अल्पसंख्यकों पर हमला किया गया था। जैसा कि योजना थी, राजशाही के जिलाधिकारी ने हमलों को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। 

हिन्दुओ की हत्या, बलात्कार, लूटपाट और आगजनी का सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा। राजशाही रेलवे स्टेशन और नटोर रेलवे स्टेशन से सटे बाजार में पैसेंजर ट्रेनों में में भी हिन्दुओ पर हमला किया गया। 

पाबा थाना क्षेत्र के हुजूरी पैरा यूनियन के सरूसा गांव में हिन्दुओं पर हमला किया गया और कई लोगों को गंभीर रूप से पीड़ित किया गया। पाबा थाने के दरसा गांव में 10 लोगों की हत्या कर दी गई। एक स्कूल में हजारों हिन्दुओ को शरण दी जाती है लेकिन उन्हें वहाँ बड़ी बेरहमी से जला दिया जाता है । इन 3-4 दिनों में ही राजशाही जिले में अनुमानित 300 हिन्दुओ की हत्या की जाती है । 

साभार
निखिलेश शांडिल्य जी 

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