बैंक क्यों ऐमेज़ॉन फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों को वित्तीय जोखिम लेकर क्यो प्रोत्साहन दे रहे हैं ?


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मान लो आपने एक दुकान खोली और उस दुकान में बेचने के लिए कुछ सामान रख दिया |अब वह समान को खरीदने के लिए एक ग्राहक आया | उसने बोला कि आपका सामान तो अच्छा है ।लेकिन मेरे पास पैसे नहीं है ।तभी एक बैंक बाला जोकि पास में ही खड़ा था उसने दुकानदार को बोला कि आप सामान ग्राहक को दे दो । ग्राहक से रूपए अपने आप वसूल कर लूंगा और मैं आपको तुरंत भुगतान कर दूंगा । इस सारी व्यवस्था में फायदा किसका हुआ ? चीज किसकी बिकी ? उत्तर है दुकानदार की ।बैंक को क्या लाभ हुआ? बैंक ने बिना किसी सिक्योरिटी लिए ग्राहक को उधार क्यों दे दिया? यही काम आजकल बैंकिंग प्रणाली कर रही है उदाहरण के लिए अगर आप लोकल दुकानदार से सामान खरीदते हो तो बैंक का आपको कोई उधार नहीं देता। लेकिन दूसरी तरफ अगर आप amazon.app फ्लिपकार्ट से सामान खरीदोगे तो आपको बैंक तुरंत उधार और वह भी बिना किसी सिक्योरिटी के ,देने के लिए तैयार हो जाएगा। यह उधार क्रेडिट कार्ड आदि के रूप में दिया जाता है और मजे की बात यह भी है कि इस क्रेडिट कार्ड पर काफी दिनों तक ब्याज भी नहीं लिया जाता और बैंक की तरफ से कूपन अलग से दिए जाते हैं |
 इस सारी व्यवस्था में फायदा केवल और केवल अमेजॉन और फ्लिपकार्ट कोई होगा। बैंक को कोई फायदा नहीं है फिर भी बैंक का अमेजॉन और फ्लिपकार्ट की सेल को क्यों प्रमोट करता है ।सारा रिस्क बैंक क्यों उठाता है यह सोचने वाली बात है।
तो उसका उत्तर है कि बैंक में प्रमोटर्स के केवल और केवल कुछ पैसे लगे होते हैं अधिकतर पैसे आम लोगों के लगे हुए होते हैं ।जिनको वह सेविंग एफडी आदि के रूप में बैंक में जमा करवाते हैं।
आप किसी भी बड़े या छोटे सरकारी या प्राइवेट बैंक की बैलेंस शीट उठा कर देख सकते हो। उदाहरण के लिए एक बैंक है जिसका नाम है Y बैंक लिमिटेड । इस बैंक मैं जो बैंक का मालिक है उसका केवल और केवल 500 करोड रुपए लगा हुआ और आम लोगों ने Fixed डिपोजिट, सेविंग आदि में तो दो लाख करोड़ रुपए जमा कर रखें हैं । इस बैंकिंग प्रणाली में आप थोड़े से पैसे लगाकर बहुत सारे पैसे के मालिक बन जाते हो। अब अगर पैसा मरेगा तो आम लोगों का मरेगा |
उदाहरण के लिए आजकल जगह-जगह बोर्ड लगे हुए है अगर आप इस कंपनी का मोबाइल लोगे तो B कंपनी फाइनेंस कंपनी 0% ब्याज दर पर आपको लोन देने के लिए तैयार है । अब सोचने वाली बात है कि इस B फाइनेंस कंपनी के पास इतना पैसा आया कहां से ? तो उसका उत्तर है कि देश के विभिन्न सरकारी और प्राइवेट बैंकों ने इसको 90000 करोड रूपया बिना किसी सिक्योरिटी के दे रखा ।
अगर आप बैंक में से ₹50000 का भी लोन लोगे तो आपको बिना सिक्योरिटी के नहीं मिलेगा इनको तो इन कंपनियों को बैंक 90000 करोड़ कृपया बिना सिक्योरिटी के क्यों दे देता।
तो इसका उत्तर है की बैंक में प्रमोटर्स के बहुत ही कम पैसे लगे होते हैं। यह मोबाइल कंपनीज और ऑनलाइन कंपनी के मालिक इन बैंक और फाइनेंस कंपनियों के मालिक को रिश्वत दे देती है ।ताकि इनका माल बिक सके।
अगर आप एक छोटे दुकानदार हो तो आपको अपना माल बेचने के लिए बैंक से लोन लेना पड़ेगा ।आपको अपनी प्रॉपर्टी गिरवी रखनी पड़ेगी और बैंक का ब्याज आपको भरना पड़ेगा ।अगर कल को आपका उधार मरता है तो यह दुकानदार का रिस्क है ।
दूसरी तरफ मोबाइल कंपनियों ,कार कंपनियों और ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियों को बैंक से अपनी सेल को बढ़ाने के लिए कोई लोन लेना नहीं पड़ता ।कोई ब्याज नहीं भरना पड़ता। इन कंपनियों की पेमेंट मारने का भी कोई रिस्क नहीं है क्योंकि बैंक तुरंत इन कंपनियों को पैसे दे देता है ।सारा रिस्क बैंक का है। अगर पैसे मरेंगे तो बैंक के मरेंगे ।अगर बैंक के पैसे मरेंगे तो उन लोगों के पैसे मरेंगे जो बैंक में एफडी जा सेविंग अकाउंट में अपना पैसा रखते हैं।
इस तरह आपने देखा कि पूंजीवादी बैंकिंग सिस्टम कैसे देश के आम लोगों का पैसा लूट कर बड़ी-बड़ी कंपनियों को आगे बढ़ा रहा है। अगर एक दो ऑनलाइन कंपनियां कामयाबी हो गई तो उसमें अधिक से अधिक कितने लोग रोजगार प्राप्त कर सकते हैं दूसरी तरफ करोड़ों लोग बेरोजगार हो जाएंगे।
कल मैंने एक News सुनी जिसमें अगर आप Tanishq Company से Gold jewellery खरीदते हैं ,तो SBI आप को डिस्काउंट दे रहा है वह भी अपने पल्ले से। बिक्री टाटा की हुई ,रिस्क हुआ Sbi का। Sbi को क्या जरूरत है कि वह है तनिष्क का की सेल को प्रमोट करता है।
और मजे की बात यह है कि सारी व्यवस्था को विकास तरक्की जीडीपी ग्रोथ डेवलपमेंट आदि के नाम पर लोगों को बेचा जा रहा है। अगर सरकार इन फाइनेंस कंपनियों और बैंकों पर कुछ रोक लगाती है तो पूंजीवादी मीडिया और टीवी वाले जोर-जोर से देश में मंदी का ढोल पीटने लग जाते हैं। जैसे की ताजा उदाहरण आपके सामने हैं कि देश में मंदी का ढोल पीट पीटकर इन लोगों ने करोड़ों रुपए के टैक्स माफ करवा ।
सनातन भारत तो बैंकिंग प्रणाली के ही विरुद्ध है क्योंकि यह प्रणाली सनातन व्यवस्था के इस मूल सिद्धांत के विपरीत काम करती है कि देश के संसाधनों संसाधनों अधिकारों की समान बांट हो ।दूसरी तरफ पूंजीवादी व्यवस्था इस बात को सुनिश्चित करती है कि देश के सारे के सारे संसाधनों और अधिकारों पर कुछ चंद पूंजीपतियों का ही अधिकार हो।
सनातन भारत, सरकार को यह सुझाव देता है कि अगर बैंक किसी भी कंपनी को लोन देता है जा किसी ऑनलाइन कंपनी या अन्य कंपनी की सेल को प्रमोट करता है ।तो उसको उस कंपनी की संपत्ति को गिरवी रख कर ,ब्याज भी उस कंपनी से ही लेना चाहिए और रिस्क भी उस कंपनी का ही होना चाहिए ,जिस कंपनी की सेल को बढ़ावा दिया जा रहा है|

साभार
राजीव कुमार जी 

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