समलैंगिकता का भारतीय समाज पर प्रभाव और इनके संभावित उद्देश्य

 

हम सब जानते है की भारत एक लोकतांत्रिक देश है। जिसमें हर व्यक्ति को स्वतंत्रता से जीने का पूर्ण अधिकार है। इसे ही ध्यान में रखते हुए वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने LGBT (लेस्बियन, गे, बाइसेक्शुअल एवं ट्रांसजेंडर) को वैध करार दिया और धारा 377 जिसके तहत समलैंगिकता को अपराध बताया गया था को निरस्त कर दिया। हालाकि उस वक्त के न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि, ‘ इस मामले में सिर्फ समलैंगिकता को वैध बनाने से ज्यादा और भी कुछ शामिल है। यह ऐसे लोगों के बारे में है जो सम्मान के साथ जीना चाहते हैं।’ सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अब साफ हो गया है कि भारत भी उन देशों में शामिल हो गया है जहां समलैंगिकता अपराध नहीं है। 

समलैंगिकता का इतिहास अगर देखे...तो ऐसा नहीं है कि समलैंगिकता वर्तमान समय में शुरु हुई। इसका भी पुराना इतिहास रहा है, भारत में लंबे समय तक भले ही इसे अपराध की श्रेणी में रखा गया था लेकिन खजुराहो की मुर्तियों को देखें तो पता चलता है कि सैकड़ों वर्षों पहले भी यह अस्तित्व में था। सिर्फ यही नहीं हमारे पौराणिक और धार्मिक ग्रंथों में भी इसके बारे में बताया गया है। 

अगर आप महाभारत का एक पात्र शिखंडी को देखे जिसका जन्म पुरुष के रुप में हुआ था लेकिन था स्त्री। एक कथा यह भी है कि इल नाम के एक राजा इला बन गए थे। यानि पुरुष रुप में जन्म लेने के बाद वह स्त्री बने। कथा के अनुसार देवी सती ने एक वन को श्राप दिया था कि इस जंगल में जो भी पुरुष आएगा वह स्त्री बन जाएगा। इल राजा जब इला बन गए तो बुध उनपर मोहित हो गए और इन दोनों के संबंधों से पुरुरवा ने जन्म लिया, यह पुरुरवा चंद्रवंश के पहले राजा थे। खैर कथाएं कितनी ही रोचक हों लेकिन यह स्पष्ट है कि समलैंगिकता आज की उपज नहीं है इसका इतिहास पुराना है। 

एलजीबीटी समुदाय का प्रतीक इंद्रधनुषी झंडा अब इस समुदाय का गर्व भी बन चुका है। जब भी यह लोग एलजीबीट के पक्ष में प्रदर्शन करते हैं या जो लोग इनका समर्थन करते हैं वो इस झंडे का सहारा लेते हैं। अपना विरोध दर्ज करने के लिए भी होमो सेक्सुअल लोग इस झंडे का इस्तेमाल करते हैं। समलैंगिकों के समर्थन में यह झंडा सबसे पहले सेन फ्रांसिस्को के एक आर्टिस्ट गिल्बर्ट बेकर ने कुछ कार्यकर्ताओं के कहने पर बनाया था। इस झंडे में आठ रंगो का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें नारंगी रंग चिकित्सा, गुलाबी सेक्स, लाल जीवन, हरा शांति, पीला सूर्य, बैंगनी आत्मा, नीला सामंजस्य, फिरोजी कला को दिखाता है। 



अगर भारतीय सामाजिक दृष्टिकोण से देखे..तो भले ही सुप्रीम कोर्ट ने भारत में समलैंगिकता को वैध करार दे दिया हो लेकिन समाजिक स्तर पर आज भी लोग इसको एक अपराध ही मानते हैं। समलैंगिक संबंध बनाने वाले लोग समाज से कटकर रहते हैं क्योंकि उन्हें हीन भावना से देखा जाता है। एलजीबीटी(LGBT) कानून भले ही अब गैर कानूनी न हो लेकिन लोगों के दिमाग का विकसित होना इतना आसान नहीं है समलैंगिकता को समझने के लिए व्यक्ति की बुद्धि का दायरा बड़ा होना चाहिए। 

विश्व में ऐसे बहुत सारे देशों में समलैंगिकता जायज है, इसके साथ ही दुनिया के कई देश हैं जहां एलजीबीटी जायज है। इन देशों में मुख्य रूप से कनाडा, अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, स्कॉटलैंड, दक्षिण अफ्रीका, आयरलैंड, नार्वे, स्पेन, बेल्जियम, अर्जेंटीना, फ्रांस, माल्टा आदि देश शामिल हैं। 

ऐसे ही कुछ देशों में समलैंगिकता के लिए है मौत की सजा भी है ,
जहां एक तरफ कई देशों में LGBT जायज है वहीं कुछ ऐसे देश भी हैं जहां इसे अपराध की श्रेणी में रखा गया है और यहां तक कि इसके लिए मौत की सजा का प्रवाधान है। इन देशों में उत्तर-पूर्वी अफ्रीका के कई देशों के साथ खाड़ी देश शामिल हैं। दुनिया में लगभग 13 ऐसे देश हैं जहां समलिंगी संबंधों के लिए मौत की सजा दी जाती है। भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान, अफगानिस्तान में भी यह अपराध है। 

अब अगर समलैंगिकता पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखे तो समलैंगिकता
समलैंगिक संबंधों को लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि यह आनुवांशिक कारणों से पैदा होती है। इसके साथ ही जन्म से पहले यदि गर्भाशय में किसी तरह के हार्मोन्स परिवर्तन हो जाएं तो इससे होमो सेक्सुअलिटी पैदा होती है। वैज्ञानिक इसका कारण यह भी मानते हैं कि जब समाज में किसी को विपरीत लिंगियों से प्रेम नहीं मिलता तो वह समान लिंगियों की ओर आकर्षित होने लगता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, होमो सेक्सुअलिटी केवल मनुष्यों में ही नहीं बल्कि अन्य जीवों में भी पाई जाती है। 

ऐसे में यह प्रश्न है की जयदातर देश सौ सवा सौ साल बाद अक्सर टूट जाता है,विरोधतामक शक्तियां कई प्रकार के टूल टेकल प्रयोग कर समाज को तोड़ने का काम करती है जिसे देश टूट जाता है,सामान्य आदमी इस बात को समझ नही पाता। उन्ही टूल टेकल में से एक समलैंगिक विवाह है या संबंध है,जिसमे आने वाली पीढ़ी की सोच ऐसा कर देना जिससे हमारे देश की संस्कृति खत्म हो जाए, जब संस्कृति खत्म तब अस्तित्व खत्म हो जायेगा। विरोधतमक शक्ति को पता है की समाज में कैसे पैठ बनाना है ,और उसी का एक रूप है समलैंगिकता विवाह या संबंध जिसके चपेट में पूरी दुनिया कुछ हद तक आ गई है, अब भारत भी उसी लाइन में है।



इस लिए विचार करे की कही हम या पूरी दुनिया विराधतमक शक्तियों के शिकार तो नही , विचार करिए,संस्कृति आपकी,सभ्यता आपका देश आपका यह पूरी धरती आपकी,इसलिए इसको बचाने का प्रयास भी आपका यानी हम सबका।



साभार 
प्रवीण कु पांडेय
सिवान,बिहार

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