बंगाली हिन्दू नरसंहार के क्रम में 21st मई डकरा नरंसहार (2000 हिन्दू)



ऑपेरशन_सर्चलाइट अपने जोरो पर था और पिछले दिन चुकनगर में 12000 बंगाली हिन्दुओ की हत्यायो से जिहादियों के हाथ बहुत सी संपत्ति आयी थी जिसमे से उनकी पसंदीदा संपत्ति थी #गोनिमोटर_माल (अर्थात हिन्दुओ की स्त्री - सार्वजनिक संपत्ति). इस बार इतना माल मिला कि एक एक जिहादी (सैनिक+रजाकार+पीस पार्टी + अल बदर) के हिस्से में कई कई लड़कियां आयी ।

परन्तु इस सब पर भी जिहादी का मन थोड़ा भरता है । अगले दिन नम्बर था अगला गाँव खाली करने का । डकरा मुख्य रूप से एक हिंदू गांव था, जहां एक प्रसिद्ध काली मंदिर था। डकरा में बादल चक्रवर्ती रहते थे जिन्हें नोआ ठाकुर के नाम से भी जाना जाता था, एक आध्यात्मिक व्यक्ति जिसका सभी सम्मान करते थे।

ऑपरेशन सर्चलाइट शुरू तो पाकिस्तान की सेना ने किया था और स्त्री और जमीन के लालच में उनके साथ स्थानीय कोज जुड़ने लगे जिन्हें वाकी सेना ने सूचना तंत्र और अर्धसैनिक बल की तरह इस्तेमाल किया । इन समूहों में रजाकार, पीस पार्टी और अलबदर शामिल थे । 

अप्रैल में, रजाकारों ने हिंदुओं को सताना और उनकी संपत्तियों को लूटना शुरू कर दिया। मई के मध्य तक, अविभाजित बरिसाल जिले के पिरोजपुर , झलोकाठी , बरगुना और बरिसाल सदर उप-विभागों और अविभाजित खुलना जिले के बगेरहाट उप-मंडल के हजारों हिंदुओं ने भारत से भागते समय डाकरा को पारगमन के रूप में उपयोग करना शुरू कर दिया । 21 मई को, अनुमानित 10,000 हिंदू शरणार्थी डकरा में फंसे हुए थे। 

दोपहर को रजब अली के नेतृत्व में 15-20 रजाकारों का जत्था दो नावों में डकरा पहुंचा। पहली नाव कालीगंज बाजार को पार कर मदरतली नहर की ओर बढ़ी। दूसरी नाव कुमारखली नहर के किनारे आगे बढ़ी और फिर मदरतली नहर के किनारे डकरा की ओर अचानक मुड़ गई। दूसरी नाव से रजाकार उतरे और भीड़ पर फायरिंग शुरू कर दी। इसी बीच रजाकार भी पहली नाव से उतरे और भीड़ पर अंधाधुंध फायरिंग करते हुए काली मंदिर की ओर बढ़े। भीड़ बचने के लिए इधर-उधर भागने लगी। कई लोग नदी में कूद गए और उन्हें गोली मार दी गई। नदी में 150 से अधिक लोगों को गोली मार दी गई थी। रजाकार गांवों में लूट, आगजनी और बलात्कार का सहारा लेते हैं।

डकरा गाँव के दयानंद मंडल दत्ता सहित जीवित बचे लोग पड़ोसियों के घरों में तब तक छिपे रहे जब तक कि वे भारत भाग नहीं गए। ।

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