बागेश्वर धाम के मंहत धीरेन्द्र शास्त्री जी से बिहार के राजनेता इतने भयभीत क्यों है ? जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर

बिहारी राजनीतिक दलों का चरित्र ही ऐसा है। कोई बड़ी बात नहीं कि मंत्री तेज प्रताप यादव ने बाबा बागेश्वर महाराज को डरपोक बताया। शिक्षा मंत्री ने गिरफ्तार करवाने की धमकी दी। पप्पू यादव ने शास्त्री जी को लड़का बोलकर चोर और ना जाने क्या-क्या कहा। इफ्तारी देकर दीन बचाओ आयोजन करने वाले उप सीएम तेजस्वी ने कहा, हम केवल जनकल्याण वाले कामों में जाते हैं। लेकिन प्रशांत किशोर नया-नया आए हैं। जी वही पीके, जो कथित तौर पर चुनाव में राजनीतिक दलों के लिए जीत का इंजीनियरिंग करते थे। उन्होंने तो प्रश्न मिलते ही जैसे मन में कोई कुंठा बैठी हो, एक ही लाइन में ढोंगी भी बोल दिया।

ऐसा क्या है बागेश्वर महाराज में कि जिसका राजनीति से कोई पुराना नाता भी नहीं, वह भी अपनी कुंठा से उन्हें गाली देने में नहीं चूकता। 2 साल से बिहार में प्रशांत किशोर पैदल यात्रा कर रहे हैं। शायद उन्हें लगता होगा कि इतने मेहनत के बावजूद भी भीड़ जुटाना कितना मुश्किल हो रहा है। प्रशांत किशोर अच्छे आयु के भी हैं, पढ़े-लिखे भी हैं। बागेश्वर महाराज बेहद नई उम्र के, उनके एक आगमन पर 10 लाख लोग बिहार के एक वीरान से मठ को आबाद कर दिए। लोग इतने आने लगे कि, सरकार के असहियोग के कारण उन्हें घोषणा करनी पड़ी, दिव्य दरबार नहीं लगलगे। सब लोग लौट जाइए।

बिहार में गरीबी है। दुख दर्द है। बेरोजगारी है। सब के पास अपनी अपनी समस्याएं हैं। इन्हीं समस्याओं के हल की उम्मीद में लोग उनके पास पहुंच रहे, ऐसा भी कुछ कुतर्क करने वाले लोग कह रहे हैं। लेकिन उन्हें मालूम नहीं जब शास्त्री जी ब्रिटेन गए, वहां भी ऐसी ही भीड़ जुटती है। महाराष्ट्र गए, वहां भी। छत्तीसगढ़ भी। साल का कोई धार्मिक अवसर हो, यात्रा में श्रद्धालुओं की भीड़, कैसे उमड़ जाती है? क्यों लोग इतनी कुंठा पाले हुए हैं शास्त्री जी के खिलाफ? 

कुछ लोगों को उनके हिंदू राष्ट्र विचार से नफरत है। कुछ लोगों को उनके कम आयु में प्रसिद्धि से जलन है। कुछ लोगों को राष्ट्रीय स्तर पर अध्यात्म के क्षेत्र में उनके एक्सप्लोर करने के तरीके से नफरत है। कुछ लोगों को उनको मिल रहे जनसमर्थन से नफरत है। अपने अपने कुंठा, अपने अपने नफरत को सही ठहराने के लिए लोगों ने तमाम कसौटियां तैयार कर ली हैं। ये नफरत ही मुझ जैसे लोगों को उनके और करीब कर रही है।

विशाल झा

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