साभार चित्र न्यूज वेबसाइट
इस्लामिक देश बांग्लादेश से आए गैरकानूनी मुस्लिमों के गैरकानूनी कब्जे वाली जमीन को छुड़ाने के लिए राज्यसरकार के प्रयाश का स्वतः संज्ञान लेने वाली संस्था सुप्रीम कोर्ट पाकिस्तान से प्रताणना झेलकर आए हिन्दू शरणार्थियों के घर तोड़े जाने का स्वतः संज्ञान क्यों नहीं ले रही है|
क्या सुप्रीम कोर्ट के लिए नैतिक मूल्यों और मानवता का कोई मतलब नहीं है?? अहंकार में डूबे जजो को समझना चाहिए कि एक दिन आता है जब अहंकारी और निरंकुश शासन का जनता परित्याग कर देती है उसे उखांड़ फेकती है|
लोकतंत्र की रक्षा का दंभ भरने वाली संस्था बताए कि वह किस तरह से लोकतांत्रिक मूल्यो का निर्वहन करती है| लोकतंत्र का साधारण सा मतलब होता है , ' जनता का , जनता के लिए , जनता के द्वारा शासन '|
तो इस आधार पर इस देश का एक नागरिक होने के नाते प्रश्न करता हूं कि सुप्रीम कोर्ट के माननीय जजो की नियुक्ति में भारत का नागरिक होने के नाते मेरा क्या महत्व है, क्या भारत के नागरिक माननीय न्यायाधीश की नियुक्त में सम्मिलित है?? अगर नहीं तो क्यों , फिर किस आधार पर कलेजियम को बेसिक स्ट्रक्चर कहा जा सकता है, जब वह लोकतंत्रीय व्यवस्था का पालन ही नहीं करता है?? क्या कलेजियम यह दंभ भर सकता है कि वह भारत के नागरिको का प्रतिनिधित्व करता है?? अगर हां तो इसका आधार क्या है??
स्वयं को गांधीवाद का पैरोकार मानने वाले स्वघोषित मोहब्बत विक्रेताओं की नफरत का एक उदाहरण और बढ़ गया| ऐसे अनगिनत उदाहरण उपलब्ध जब कांग्रेस की सरकारो ने हिन्दुओं के साथ अमानवीय कृत्य किए हैं|
चाहे जज हो या मुख्यमंत्री सबको जबाव समय देगा क्योंकि उसने अपने फैसले सुरक्षित रख रखे हैं
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