ज्ञानवापी परिसर में सर्वे पर 26 जुलाई तक सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, क्या हिंदू समाज के धैर्य की परीक्षा ले रहा है सुप्रीम कोर्ट पढ़ें पूरी रिपोर्ट

ज्ञानवापी परिसर में सर्वे पर मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई तक किसी प्रकार के सर्वे पर रोक लगाई ।  जब सर्वे हिंदू शास्त्रों के आधार पर नहीं हो रहा था । पुरातात्विक वैज्ञानिक आधार पर हो रहा था फिर सुप्रीम कोर्ट को क्या आपत्ति थी ? मुस्लिम पक्ष  के झूठ पर सर्वे  को रोकना कहा तक उचित था ।  सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय पर बहुत सारे प्रश्न खड़े  हो रहे हैं  समाज के प्रश्नों  के उत्तर सर्वोच्च न्यायालय को देनेे पड़ेेंगे  

सर्वोच्च न्यायालय इस्लामिक कट्टरपंथियों के एजेंडे को क्यों चला रही है ? 

श्रावण मास के सोमवार के दिन सर्वोच्च न्यायालय ने जिस प्रकार से ज्ञानवापी परिसर में सर्वे पर रोक लगाई है उससे भोले भक्त बहुत आहत हुए हैं क्योंकि यह सर्व किसी हिन्दू धर्म ग्रंथ या शास्त्र के आधार पर नहीं हो रहा था । यह सर्वे पुरातत्विक और वैज्ञानिक आधार पर हो रहा था । फिर भी ज्ञानवापी परिसर में होने वाले सर्वे से किसे आपत्ति थी ? आपत्ति उन्हें थी जो सत्य को सामने नहीं आने देना चाहते हैं जिन्होंने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाईं थी जो 500 वर्ष तक भोले बाबा पर कुल्ला करने का महापाप कर रहे थे । यह जानते हुए यह भोले बाबा है । फिर भी वह माहापाप कर रहे थे क्योंकि उन्हें हिंदू समाज को अपमानित करना था । ऐसे राक्षसों का कृत्य को संरक्षण देना न्यायपालिका को शोभा नहीं देता है । न्यायपालिका को याद रखना चाहिए भोले के भक्तों की भावनाओं के साथ खेलने का नतीजा क्या हो सकता है । क्योंकि जब जब भोले के भक्तों की भावनाओं के साथ खेलने का प्रयत्न किया गया तो फिर क्या हुआ दुनिया जानती है । क्योंकि एक बार भोले के भक्तों का धैर्य समाप्त हुआ तो तो न हिंदू विरोधी इको सिस्टम रहेगा न हिंदू विरोधी इको सिस्टम संरक्षण देने वाली  न्यायपालिका रहेगी ।  

ज्ञान वापी परिसर में सर्वे होता तो कई  तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है और सेटअप में भी समय लगता है। वीडियोग्राफी होती है। सीधे खुदाई नहीं शुरू कर दी जाती। ये कोई घर नहीं बन रहा है कि मजदूर जाएँ नापी कर के और सीधे नींव खोदने लग जाएँ। क्या सुप्रीम कोर्ट के जजों के भीतर एक बेसिक समझ का भी अभाव है? मस्जिद कमिटी ने झूठ बोल दिया कि ASI ढाँचे के भीतर खुदाई कर रही है और चंद्रचूड़-पार्दीवाला ने मान लिया कि ऐसा हो रहा है। याद कीजिए, ये वही पार्दीवाला है जिसने नूपुर शर्मा को राहत देने से इनकार करते हुए देश की सारी समस्याओं के लिए उन्हें ही जिम्मेदार ठहरा दिया था। 

आखिर के झूठ के आधार पर सुप्रीम कोर्ट कैसे फैसला सुना सकता है? क्या औरंगजेब ने जब हमारे मंदिर को ध्वस्त किया था, तब सुप्रीम कोर्ट आया था बचाने? तब हिन्दुओं ने, हमारे पूर्वजों ने लड़ाई लड़ी थी, अपना बलिदान दिया था और उनके खून पर इस तथाकथित मस्जिद को खड़ा कर दिया गया। अब कौन होता है सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप करने वाला, जबकि सारी कार्रवाई न्यायसंगत तरीके से हो रही थी। वाराणसी की जिला अदालत के आदेश के बाद सब कुछ हो रहा था। वैज्ञानिक प्रक्रिया से सर्वे हो रहा था। कम से कम सर्वे होने दो और उसका परिणाम तो आने तो कि विशेषज्ञ क्या कहते हैं।


सत्य तो सबको पता है, सत्य पुष्ट भी है, बस इसकी औपचारिक पुष्टि होनी बाकी है मौजूदा प्रक्रियाओं के हिसाब से। महादेव तुम्हें नहीं छोड़ेंगे। तुम्हें दंड मिलेगा। तुम्हें श्राप है हिन्दुओं का, तुम्हारी इस इमारत में घुन लग जाएँगे और कल को कोई पूछने वाला भी नहीं होगा तुमलोगों को। 'मस्जिद कमिटी' को हाईकोर्ट जाने बोल दिया गया है। हाईकोर्ट को भी कह दिया गया है कि त्वरित सुनवाई करे। औरंगजेब के लिए इतना कुछ? सुप्रीम कोर्ट में मैटर मेंशन किया नहीं गया कि तुरंत 3 जजों बैठ कर सुनवाई भी कर डाली। वाह रे न्यायिक व्यवस्था! 

सावन के पवित्र सोमवार के दिन भगवान शिव के साथ द्रोह करने वाले चाहे कितने भी उच्च पद पर बैठे हों, मेरे मन में उनके लिए कोई सम्मान नहीं। मैं उस इमारत में नहीं मानता, जहाँ से हमारे आराध्य महादेव को गाली दी जाती हो।
चीफ़ जस्टिस चंद्रचूड़, हमारे महादेव पर पाँव धोने वालों और कुल्ला करने वालों का दास है तू। जो रामभक्त हैं, वो भी समर्थन करें। देखिए भगवान श्रीराम ने क्या कहा था 


सिव द्रोही मम भगत कहावा। सो नर सपनेहुँ मोहि न पावा॥
संकर बिमुख भगति चह मोरी। सो नारकी मूढ़ मति थोरी॥

अर्थात, शिव के साथ द्रोह करने वाला कभी श्रीराम को नहीं पा सकता, सपने में भी नहीं। जो व्यक्ति शिव से विमुख होकर श्रीराम की भक्ति करता है, वो मूर्ख है और नरक में जाता है। स्वयं श्रीराम ने कहा है ऐसा। शिव के साथ द्रोह मतलब राम के साथ द्रोह।

शिवद्रोही मतलब राम का द्रोही। जो राम का नहीं, वो किसी काम का नहीं। 

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