कर्नाटक के बेंगलुरु में संयुक्त विपक्ष बैठक हुई जिसमें विपक्ष ने यूपीए का नाम बदलकर इंडिया रख दिया इससे स्पष्ट होता देश के विपक्षी दल गुलामी की मानसिकता से ग्रस्त हैं । उसका प्रदर्शन बार बार करते रहते हैं ।
भारतीयता से इतनी नफ़रत क्यों करता विपक्ष ?
कर्नाटक के बेंगलुरु में संयुक्त विपक्ष बैठक से जो एजेंडा निकल रहा है उससे भारतीयता और भारतीय संस्कृति के प्रति घृणा प्रदर्शित हो रही है । क्योंकि जिस इंडिया का नाम अंग्रेजो ने रखा था । उसी इंडिया का नाम विपक्ष ने अपने गठबंधन का रखा है । इससे स्पष्ट होता विपक्ष भारत और भारतीय संस्कृति नफरत करता है । विपक्ष को उस प्रतीक चिन्ह से नफ़रत जो सनातन संस्कृति सभ्यता से जुड़ीं हुई ।
क्या विपक्षी गठबंधन का इंडिया नाम रखने से विपक्षी दलों को पाप धुल सकते हैं ?
भारतीय राजनीति आज उस मोड़ पहुंच गई विपक्षी दलों को अपने पाप को धुलने के लिए अंग्रेजों द्वारा दिए गए देश का नाम इंडिया रखने की आवश्यकता पड़ रही है । क्योंकि यूपीए सरकार से भ्रष्टाचार का प्रायः बन चुकी थी । यूपीए का मतलब भ्रष्टाचार और परिवारवाद हो गया था । इसलिए देश की जनता के प्रश्नो से बचने के लिए विपक्षी दलों इंडिया नाम रखा अब विचारणीय प्रश्न है ईस्ट इंडिया कंपनी का नाम भी इंडिया था क्या ईस्ट इंडिया कंपनी देशभक्त हो गई ? क्या विपक्षी गठबंधन इंडिया नाम रखने से कांग्रेस और विपक्ष पाप धुल सकते हैं ? कांग्रेस समेत विपक्षी दल यह सोचते होंगे देश का नाम रखने जनता उनके पाप भूल जायेगी जनता प्रश्न नहीं करेगी विपक्ष को याद रखना है चाहिए उन्हें भारत की जनता का लूटे हुए पाई का हिसाब देना होगा देश के विपक्ष और खासकर कांग्रेस पार्टी को भारत की जनता को जबाब देना चाहिए क्योंकि सत्ता के लिए देश विभाजन करवाया था । जब भारत विभाजन धर्म के आधार पर हुआ था तो भारत को पंथ निरपेक्ष राज्य कांग्रेस ने क्यों बनाया था ? भारत जनता के सामने कांग्रेस को जबाब देना पड़ेगा देश के नाम गठबंधन का नाम रखने से कांग्रेस और विपक्षी दलो के पाप कभी नहीं धुल पाएंगे।
संपादकीय
दीपक कुमार द्विवेदी
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