वैवस्वत मनु की संतान और आर्य राजवंशों का विस्तार भाग ५

वैवस्वत मनु के नौ वंशकर पुत्र थे । इला नाम की उसकी कन्या भी वंशकारी थी राजवंश सूर्यवंश के नाम से पुकारें जाते हैं और इला वंश को ऐल वंश कहते हैं । 
विभिन्न पुराणों के आधार पर आर्य राजवंशों का विस्तार 
 
विष्णु पुराण में नाभाग और दिष्ट दो व्यक्ति मानें है । यह बात अन्य सब मतो मतो के विरूद्ध है नाभानेदिष्ट नाम तो तोड़कर नाभाग और दिष्ट दो नाम किए गए हैं । विष्णु पुराण के पाठ वस्तुत : अधिक बिगड़े है । यह हम आगे भी दिखायेंगे । शतपथ ब्राह्मण में शर्याति को शर्यात और मनु पुत्र लिखा है । शर्यात ह वाऽइदं मानव: ।४।१।५।२।।  इन नौ पुत्रों कथा आगे कही जाती है ।  

         वैवस्वत मनु के छः पुत्र कुलो का संक्षिप्त वर्णन 

यह वर्णन मत्स्य १०।२०- ,२३।। के अनुसार है । वायु में कुछ भेद है । उस के अनुसार नभग और शर्याति के वंश क्रम निम्नलिखित प्रकार से है । 

यह हुआ मनु के छः पुत्रो कुलो का वर्णन । शेष तीन कुलो का वर्णन आगे होगा इन एक कुल नाभानेदिष्ट का । 

नाभानेदिष्ट  का पुत्र भलन्दन था । वायु पुराण में इसे विद्वान कहा है । पुराणों के ऐसे प्रकरणों में विद्वान का अर्थ मंत्रदृष्टा ऋषि होता है । पुराणों में जहां मंत्रदृष्टा ऋषियों का वर्णन किया है वहां भलन्दन का नाम लिखा है । 
भलन्दन वैश्य था पुराणों में लिखा है नाभानेदिष्ट वैश्य हो गया । यह बात वैदिक ग्रंथों के अनूकूल है नाभानेदष्ट को मनु राज्य नहीं दे पाए थे । उसके भाग में किसी यज्ञ की भूरि दक्षिणा ही आई । उस धन से उसने वैश्य  वृति धारण कर ली अतः उसके पुत्र भलन्दन का वैश्य ऋषि होना युक्त था । ऐसा ही पुराणों में वर्णित है । तीन वैश्य ऋषियों भलन्दन भी एक था । 

कुछ पुराणों में भलन्दन का पुत्र वत्सप्रीति या वत्सप्री भी कहा गया है । यह बात ठीक प्रतीत होती है । वैदिक धर्म ग्रंथ इस विषय में प्रमाण है । पुराणों के ऋषि वर्णन प्रकरणों में भलन्दन के साथ वत्स भी एक वैश्य ऋषि कहा गया है । कात्यायन की सर्वानुक्रमणी में ऋग्वेद १।६८।। का ऋषि वत्सपि भालन्दन लिखा है । ऋग्वेद १०। ४६,४६।। वत्सप्रि के सूक्त हैं । 

वायु पुराण ८६।४।। मे भलन्दन का पुत्र वत्सप्रीति और वत्सप्री और उसका पुत्र प्रांशु कहा गया है पाजिर्टर ने विष्णु पुराण आदि यही पाठ माना है  । 

पाजिर्टर की भूल हमे यहां पुराणों के पाठ  टूटा हुआ प्रतीत होता है पाजिर्टर ने इस ओर ध्यान नहीं दिया । नाभानेदिष्ट ने कुल का वर्णन पुराणों में टूट गया है । वायु पुराण में प्रांशु से पहले का पाट टूटा है और विष्णु पुराण में वत्सप्र के पश्चात का । इस कारण वायु   और विष्णु पुराण में भेद उत्पन्न हुआ । 
अगले वर्णन को नाभानेदिष्ट के कुल का वर्णन पुराणों में टूट गया है । वायु पुराण में प्रांशु से पहले का पाठ टूटा है और विष्णु पुराण में वत्सप्र के पश्चात का । इस कारण वायु पुराण में भेद उत्पन्न हुआ। 

                   मनु के आठवें पुत्र कुल का वर्णन 

मनु का आठवां पुत्र कुल प्रांशु का है । पुराणों में इसका वर्णन विस्तार से किया गया है । यह कुल वैशाली के कुल के नाम से प्रसिद्ध हुआ । प्रांशु के कुल में एक राजा मरूत हुआ । यह चक्रवर्ती और अत्यंत प्रतापी था । उसका वर्णन ययास्थान  होगा 

              मनु का नवम पुत्र कुल का वर्णन  

यह पुत्र कुल प्रसिद्ध है यह इक्ष्वाकु का कुल था । हमारी इतिहास की श्रृंखला में आगे इक्ष्वाकु कुल ऐल वंश का विस्तृत वर्णन रहेगा । दूसरे कुलो के केवल चक्रवर्ती सम्राटो और राजाओं का वर्णन विस्तार से किया जाएगा । 


जय श्री कृष्ण
सोर्स 
पंडित भगवद्दत्त 
भारतवर्ष का इतिहास
दीपक कुमार द्विवेदी 


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