रिजर्व फाइनेंसिंग क्या है ? रिजर्व फाइनेंसिंग से दुनिया की अर्थव्यवस्था में क्या प्रभाव पड़ रहा है? गोल्ड स्टैंडर्ड मुद्रा क्यों जरूरी है ? आइए समझें विस्तार से

पहले currency का आधार gold standard हुआ करता था । यानि केंद्रीय बैंक उतनी मुद्रा ही छापता था जितना उसके पास gold reserve है । इससे महंगाई ,उपभोग नियंत्रण में रहता था । पूरा विश्व खुशहाल था । अमीरी गरीब में इतना अंतर नहीं था । 

फिर आया fiat currency का ज़माना , gold standard को त्याग दिया गया । उपभोग को बढ़ाने के लिये fiat currency प्रचलन में आई । इससे महंगाई बढ़ने लगी और सरकारों के पास अथाह शक्ति आ गई खर्च करने की । आजकल के currency notes इस बात का उदहारण है । 

फिर आई बारी reserve financing द्वारा मुद्रा छापने की । जिससे मुद्रा छापने की शक्ति बैंकिंग के पास भी चली गई । 
इससे महंगाई ,गरीबी , धन की लूट ,भ्रष्टाचार बढ़ने लगा । पैसा विदेशों में ट्रांसफर कर विदेशों में भाग जाने का दौर शुरु हुआ ।
अब बैंक कर्ज़ देकर मुद्रा छाप लेता है । किसी प्रिटिंग press की जरूरत नहीं ।केवल एक entry काफी है और एक voucher जिस पर आपके sign होतें है । मान लो आप 10 लाख कर्ज़ लेनें जातें है तो बैंक आपको नकद नहीं देता । 10 लाख की एक entry आपके loan account में debit कर दी जाती है । औऱ 10 लाख की एक एंट्री आपके सेविंग account में क्रेडिट कर दी जाती है । 
बस हो गया 10 लाख की करेंसी का निर्माण । अगर बैंक को किसी को 100 करोड़ भी देना हो तो बैंक के पास 100 करोड़ नकद नहीं चाहिये । उनके पास अधिक से अधिक 10%यानी की राशि नकद चाहिए

कै रोना काल में इसी reserve financing के माध्यम से 27 लाख करोड़ का पैकेज अरबपतियों को दिया गया जो एक प्रकार का कर्ज था । 
यह कर्ज़ जो reserve financing की मदद से बड़े लोगों को दिया जाता है वह धीरे धीरे आम लोगों पर चढ़ जाता है । जिससे उनकी सेविंग समाप्त हो जाती है और वह कर्जदार हो जातें हैं ।आम इंसान की सारी सेविंग धीरे धीरे बड़े लोगों के पास चली जाती है । 
उदहारण के लिये 1960-70 तक अमेरिका में 80% सेविंग आम लोगों के पास थी । फिर reserve financing से आम आदमी की सारी सेविंग कॉर्पोरेट के पास पहुँचा दी गई । आज अमेरिका में आम आदमी के सिर पड़ कर्ज़ है और उनकी सारी सेविंग कॉरपोरेट के पास है ।
भारत में यह प्रक्रिया 1992 में शुरू हुई जिसको आर्थिक सुधारों का नाम दिया गया । और आजतक जारी है । तभी आपने देखा होगा कि पहले भारत के हरेक व्यक्ति के पास सेविंग होती थी आज भारत के अधिकतर व्यक्तियों के ऊपर कर्ज़ है । 
सरकार के लिये सुझाव ।
सरकार पहले reserve financing से fiat करेंसी पर आए फिर fiat currency से गोल्ड standard पर वापिस आये ।

आम लोग अगर कर्ज़ ना लेने का प्रण कर लें तो इस व्यवस्था के मक्कड़जाल से बच सकतें है अगर अधिकतर लोग यह निर्णय कर लें तो यह व्यवस्था ध्वस्त हो सकती है । उपभोग कम करें , कर्ज़ ना लें ।

साभार 
राजीव कुमार जी 

टिप्पणियाँ