सरकारी पूँजीवाद निजी पूँजीवाद से अधिक ख़तरनाक क्यो है। जानने के लिए पढ़ें पूरा आलेख

सरकारी पूँजीवाद निजी पूँजीवाद से अधिक खतरनाक है । क्योंकि सरकारी पूंजीवादी कंपनियों में पैसा जनता का लगा होता है और मलाई मंत्री ,बड़े अफसर चाटते हैं । air india ,bsnl सरकारी पूँजीवाद का उदहारण हैं । air india जब 25000 करोड़ घाटे में जाती है तो यह 25000 करोड़ आम जनता का खून चूसकर सरकार जो टैक्स एकत्र करती है उन टैक्स से इस घाटे की भरपाई होती है और यह जो 25000 करोड़ घाटे के होते हैं वह मंत्रियो, सेक्रेटरी , directors और सरकारी अफसरों की जेब में जाते हैं । यानि का माल जनता का औऱ कमाई मंत्रियो ,और सरकारी अफसरों की । सरकारी पूँजीवाद तब तक कुछ लाभ की अवस्था में रहता जब तक इनकी monopoly होती है । उदहारण के लिये bsnl । यह bsnl के कर्मचारियों की गुंडागर्दी तब तक चली जब तक कम्पटीशन में और कंपनियां नहीं आई । 

साल 2014 तक मेरे पास ब्रॉड बैंड का कनेक्शन था एक सप्ताह में 2 बार खराब रहता था । जब मुझे विकल्प मिला मैंने लात मार कर बाहर कर दिया । यह जो कई विद्वान ' मैं देश नहीं विकने दूंगा ' आत्म निर्भर भारत के नारों के साथ हमेशा तंज कसते रहते है उनके पास कायदे से bsnl का connection होना चाहिये । अगर bsnl , railways ,BPCL आदि सरकारी पूंजीवादी कंपनियों का निजीकरण होता है तो इनसे निम्नलिखित लाभ होंगें । 


1. हमारा टैक्स का जो पैसा हर साल इन सफेद हाथियों की मदद से जो मंत्रियो और सरकारी अफसरों और कर्मचारियों की जेब में जाता है । वह करोड़ों बचेगा । 
2. निचले स्तर के भ्र्ष्टाचार पर रोक लगेगी । और लोगों को सरकारी कर्मचारियों की गुंडागर्दी से निजात मिलेगी । 
3. सरकार इन पर नीतियां बना कर नियंत्रण कर सकती है । 
सनातन भारत शून्य तकनीक की वस्तुओं जैसे गुड़ चीनी बिस्कुट तेल साबुन आदि को लघु क्षेत्र के लिये आरक्षित करने के पक्ष में है । जो चीज़ लघु सेक्टर में नही बन सकती जैसे कार , मोबाइल वह पूंजीवादी निजी सेक्टर बनाये । सरकारी पूँजीवाद की इस सेक्टर में कोई आवश्कता नहीं है । 

साभार
राजीव कुमार जी 

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