हिंदी फिल्मों में 20 साल बाद किसी फिल्म का सिक्वल बनेगा वो भी जो हीरो 40 साल से फिल्मे कर रहा हो वो खुद 66 साल का हो वो फिल्म शुरू के 4 दिन में 200 करोड़ से ऊपर का कलेक्शन करे फिल्म समीक्षकों की बड़ी गैंग जिहादी गिरोह को ये हकीकत हजम नहीं हो रही है फिल्म का विषय ही कुछ ऐसा कमाल है जो गदर 2 में रचे देशभक्ति को ब्रांड बना देता है देशभक्ति के नाम पर मनोज कुमार ने बहुत नाम और दाम कमाया लेकिन उन्होंने कलयुग की रामायण फिल्म बनाकर अपने आस्थावान दर्शक वर्ग को छलने का पाप किया और बर्बाद हो गए इसी तरह कुछ मौसमी देशभक्त आए और उनका असली चेहरा जल्दी ही समाज के सामने आ गया इनमें अक्षय कुमार अजय देवगन परेश रावल मनोज मुंतशिर पत्रकार रजत शर्मा सहित लम्बी श्रृंखला है लेकिन सनी देयोल पर कभी कोई प्रश्नचिन्ह नहीं उठा जिन्होंने अपनी शुरुआत रोमांटिक और गुस्सैल युवक के रूप में की उम्र के मध्य में आकर देशभक्ति फिल्मों की तरएफ मुड़े और बॉर्डर और गदर के रूप में खान गैंग को ढाई किलो के हाथ वाला करारा जवाब दिया अनिल शर्मा जो की धर्मेंद्र के साथ फॉर्मूला फिल्म बनाने के लिए जाने जाते थे उन्होंने एक पाकिस्तानी फिल्म की साधारण सी नकल का भारतीय प्रस्तुतिकरण गदर के रूप में बनाया जो उग्र हिंदुत्व की सही टाइमिंग को पहचानने के कारण एक कल्ट मूवी बन गई अगर तकनीकी पक्षों पर और फिल्म के सौंदर्य बोध पर जाएंगे तो तो गदर एक औसत किस्म की फिल्म थी लेकिन जैसा की राज घोसला कहते थे दर्शक को फिल्म से तीन चीज जोड़ती है मनोरंजन मनोरंजन मनोरंजन जिसे विद्या बालन की डर्टी पिक्चर में इंटरटेनमेंट इंटरटेनमेंट इंटरटेनमेंट कहा गया मनमोहन देसाई की अमर अकबर एंथोनी में तीन भाइयों का एक मां को एक साथ खून देने वाला सीन हो या गदर का हैंडपंप उखड़ना इनके पीछे तर्क नहीं केवल मनोभाव चलते हैं दुनिया वैसे भी दिमाग से कम दिल से ज्यादा चलती है और अंधेरे हाल में सिल्वर स्क्रीन के ऊपर तो केवल दिल की बात का ही बोलबाला रहता है
यह फिल्म निर्देशक अनिल शर्मा के बेटे उत्कर्ष शर्मा के लॉन्चिंग के लिए बनाई गई है जो पहले वाले भाग में बाल कलाकार के रूप में आए थे और अनिल शर्मा काफी हद तक सफल है मगर इन्हें हर फील्ड में मेहनत की जरूरत है शाहिद इकबाल के रोल में मनीष वाधवा ने महफिल लूट ली है उन्होने चाणक्य के रोल में भी नाम कमाया था कह सकते हैं अमरीश पुरी की कमी नहीं खलने दी शक्तिमान के डायलॉग और नजीब खान की सिनेमेटोग्राफी फिल्म की ताकत है इस बार के डायलॉग मोदी के सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास से ज्यादा प्रभावित हैं इसलिए भारतीय मुस्लिम को भी अच्छे लग रहे हैं हिंदुस्तान में बसने को कह दिया जाए तो आधा पाकिस्तान खाली हो जायेगा की जगह वोट ले लिया जाए तो आधे से ज्यादा पाकिस्तानी भारत में मिल जायेंगे भी रखा जा सकता था आनंद बक्षी का ना होना नए गीतों को सुनते समय बेहद अखरता है पुराने वाले गाने अच्छे लगे हैं नए गाने बिलकुल प्रभावी नहीं थे उत्तम सिंह का संगीत भी मिथुन शर्मा द्वारा नहीं दोहराया जा सका है पुरानी पीढ़ी का समर्पण फिर पाना मुश्किल है शक्तिमान अनिल शर्मा देयोल परिवार का कॉम्बिनेशन देशभक्ति का ज्वाला मुखी बनाता है दूध मांगोगे तो खीर देगें काश्मीर मांगोगे तो चीर देगें बाकी सभी के लिए बहुत स्कोप नहीं था पहला हाफ बेहद सुस्त है मुस्कान यानी सिमरत कौर के साथ सीन विश्वसनीय कम नाटकीय ज्यादा है पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी के छोटे से रोल में रीवा के बादशाहो फेम अर्जुन द्विवेदी को देखना सुखद अहसास था ।
शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव का इतना छोटा रोल होगा यह कल्पना नहीं की जा सकती ग़दर सिंगल स्क्रीन सिनेमा की बेताज बादशाह है अभी गांव से ट्रैक्टर में भरकर किसान इस फिल्म को देखने आ रहे हैं इससे समझ में आता है की सनी देओल और धर्मेंद्र का किसान समुदाय विशेषकर जाट किसानों से अलग किस्म का रिश्ता है लेकिन गदर 2 की सफलता फिल्म नगरी में जिहादियों को बिल्कुल हजम नहीं हो रही है इसलिए इसको नुकसान करने के लिए स्क्रीन नहीं बढ़ाई जा रही पूरे भारत में शुरू से लगभग 4000 स्क्रीन पर यह फिल्म रिलीज हुई है जोकि बिजनेस के साथ स्क्रीन की संख्या बढनी चाहिए थी पर ऐसा नहीं हुआ एडवांस बुकिंग से लगभग तीन गुना बिजनेस आना चाहिए था जो कि डेढ़ गुना के आसपास है जो कम स्क्रीन होने के कारण है प्रेस्टीट्यूट समीक्षक की सुपारी गैंग हर तरह से फिल्म को औसत बता रही है पर लोग सुन नहीं रहे पायरेसी कॉपी यू ट्यूब में आ गई है पर मजा तो स्क्रीन और शोर गुल का है गदर त्योहार है अकेले नहीं मनाया जा सकता है ।
गदर के टक्कर में जिहादी गैंग ने लगान उतारी थी जिसे खूब प्रमोट किया गया इस बार गदर 2 के सामने ओएमजी 2 उतारी गई है जिसे जरूरत से ज्यादा स्क्रीन दिए गए हैं तकनीकी रुप से ज्यादा सशक्त बताया जा रहा है दोनो ही फिल्में 100 करोड़ लागत की बताई जा रही है गदर 2 500 करोड़ क्लब में जाती हुई दिख रही है तो ओएमजी 2 की लागत निकलना मुश्किल है क्रिकेट में दो जाट जिन्होने भारतीय क्रिकेट को बदल डाला कपिल और वीरेंद्र सहवाग ऐसे ही फिल्म इंडस्ट्री को धर्मेंद्र और सनी देओल ने बदल डाला है जिन्होने एक्टिंग मैथड पर नहीं परिणाम पर काम किया है कलाकार को मैथड के नाम पर कम आंकने वालो ने यही अन्याय किशोर के साथ किया है यही अन्याय बैजू बावरा तो यही अन्याय नरेंद्र मोदी के साथ किया है मगर जनता जनार्दन है उसका निर्णय सर्वोपरि है जिहादी गैंग को ढाई किलो का हाथ पड़ा है जिसके बाद लोग उठते नहीं उठ जाते है
फिल्म समीक्षक
सूरज नारायण पाण्डेय
संपर्क सूत्र +91 94249 19293
बिलकुल सही बात है सर 🙏
जवाब देंहटाएंएक दम सच
जवाब देंहटाएंशानदार, सटीक, सारगर्भित समीक्षा
जवाब देंहटाएंआपका अभिनंदन, आभार ||
बहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंBest review
जवाब देंहटाएंIt is very true
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