भगवान विश्वनाथ के ज्योतिर्लिंग की कार्बन डेटिंग 8,000 वर्ष पूर्व की बताने वाले हिन्दू भविष्य में ईसाई क्यो है? जानने के लिए पढ़ें आलेख

भगवान विश्वनाथ के ज्योतिर्लिंग की कार्बन डेटिंग 8,000 वर्ष पूर्व की बताने वाले हिन्दू भविष्य के ईसाई हैं । विचार कीजिये जो शिव अनादि हैं जिनको वेदों ने #नेति_नेति कहा है जिनकी प्रिय विहारस्थली काशी सृष्टि के सृजन के पूर्व भी रहती है और लय के बाद भी रहती है उस काशी के अधिपति भगवान #विश्वनाथ का प्राकट्य केवल 8,000 वर्ष पूर्व बताने वाले किस मुख से #सनातन की बात करते हैं यह तो विधर्मियों से भी ज्यादा धर्म के लिए अनिष्ठकारक हैं । 

भारत में जब अंग्रेज़ी ईसाई शासन था तो उन्होंने हिन्दू धर्मग्रंथों के पात्रों को बाइबिल में पचाने का प्रयत्न किया जैसे वैवश्वत मनु और सप्त ऋषियों का प्रलयकालीन जल में रहकर सृष्टि के बीज की रक्षा करना , प्रहलाद हेतु भगवान का नरसिंह अवतार इन सबका विवरण आपको बाइबल में मिल जाएगा बस भाषाशैली और पात्र में बदलाव होगा । ईसाइयों ने जब हमारे धर्मग्रंथों को पचाने का प्रयत्न किया तब उनकी सबसे बड़ी समस्या थी हिन्दू धर्मग्रंथों में वर्णित समय_चक्र कल्प,मन्वन्तर,युग आदि का मान ईसाईयों को सफल नही होने दिया अन्यथा ईसाई तो सबको 10,000 वर्ष के भीतर समेटने के प्रयत्न में थे क्योंकि ईसाइयों के अनुसार सृष्टि के विकाश का आरम्भकाल 10,000 वर्ष ही है और इसकी शुरुआत जिससे हुई है उसके उत्तराधिकारी ईसाई ही हैं । जब ईसाई हिन्दू संस्कृति को बाइबल में पचाने में सफल नही हुए तो उन्होंने पुराणों को #मिलावटी प्रचारित करना शुरू कर दिया जिसमें इनके सबसे बड़े सहायक #फ्रीमेंशन हुए जो हिंदुओ के बीच में जाकर पुराणों को #मिलावटी बताते थें । आज भी आपको ऐसे लोग और संगठन मिल जाएंगे जो कहते हैं पुराण मिलावटी हैं और इनमे मिलावट मुगल काल,बौद्ध काल अथवा अन्य समय मे हुआ हैं , अच्छा निश्चित रूप से किस काल में मिलावट हुआ है और कितने अंश में मिलावट हुआ है इसका निर्णय तो यह आज तक कर नही पाएं ,इनके अनुसार तो जिन बातों से इनके मत को बल न मिले अथवा जो इनके समझ मे न आये वह मिलावटी है ।। 

हिन्दू धर्मग्रंथों को #मैथोलॉजी कहना भी ईसाइ अंग्रेज़ों की चाल थी जिसका अनुसरण करते हुए अधिकतर हिन्दू आज भी धर्मग्रंथों को मैथोलॉजी कहते हैं। आपने जब खुद ही अपने धर्मग्रंथों को #मिथ(असत्य/कपोल) मान लिया तो इससे आप स्वयं ही आज नही तो कल मानसिक रूप से ईसाई बन जाएंगे और बाद में पूर्णरूप से। 

वर्तमान में भारत सरकार भी ईसाई एजेंडे को प्रमोट करती है तभी तो इनके प्रवक्ता मीडिया में कहते घूमते हैं कि राम जी की कुंडली नाशा के वैज्ञानिक देखे हैं जिसके अनुसार राम जी का अवतरण 10,000 वर्ष पूर्व हुआ था मतलब हमारे ऋषि,मुनि जो कहे हैं वह न मानकर हम ईसाइयों के एजेंसियों की बात माने । याद कीजिये #राम_सेतु को भारत में जब ईसाई प्रायोजित दल व नेता काल्पनिक कह रहे थे तब #नासा के ईसाई इस सेतु को बाइबल अनुसार #एडम_ब्रिज बताकर प्रचारित कर रहे थे। 

साधारण शब्दोँ में इतना स्मरण रखिये हमारे पूर्वजों के सामने जो मत,पंथ फले फुले हैं उनको इतना अधिकार न दीजिये कि वह आपके धर्म का निर्णय करें , धर्म क्षेत्र में निर्णय हेतु धर्मगुरु हैं । 

अंततः इतना स्मरण रखिये हमारे धर्मग्रंथ नित्य हैं यह आज के नही तब से हैं जब से यह सृष्टि है । धर्मग्रंथों को धर्मानुसार अध्ययन कीजिये न कि मनमानी कीजिये।

हर हर महादेव

श्रीयुत सांकृत्यान

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