केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने न्यायिक सुधार के लिए तीन विधेयक लोकसभा में पेश किए यह कानून न्यायिक सुधार के लिए मील का पत्थर माने जा रहे हैं । कानून पेश करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री 1860 शाह ने कहा 1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार कार्य करती रही। तीन कानून बदल जाएंगे और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव होगा।"
केंद्र सरकार ने अंग्रेजों के समय से चल रहे इंडियन पीनल कोड, 1860 क्रिमिनल प्रोसीजर कोड 1861 तीसरा है इंडियन एविडेंस कोड 1872 में संशोधन करने जा रही है । इसके लिए केंद्र सरकार ने तीन संशोधन विधेयक पेश किए । लोकसभा में बिल पेश करते हुए केंद्रीय गृह अमित शाह ने कहा इस विधेयक के तहत हमने लक्ष्य रखा है कि सजा का अनुपात 90% से ऊपर ले जाना है। इसीलिए, हम एक महत्वपूर्ण प्रावधान लाए हैं कि जिन धाराओं में 7 साल या उससे अधिक जेल की सजा का प्रावधान है, उन सभी मामलों में फॉरेंसिक टीम का अपराध स्थल पर जाना अनिवार्य कर दिया जाएगा
IPC और CRPC एविडेंस कोड जगह लेंगे नये कानून
इंडियन पीनल कोड, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड, इंडियन एविडेंस कोड। की जगह अब 'भारतीय न्याय संहिता 2023' होगा। क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जगह 'भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023' प्रस्थापित होगा। और इंडियन एविडेंट एक्ट, 1872 की जगह 'भारतीय साक्ष्य अधिनियम' प्रस्थापित होगा।'
भारत छोड़कर भागने वाले भगोड़े को सजा देने लिए के लिए प्रवधान
दाऊद इब्राहिम काफी समय से भगोड़ा है। अब हमने तय किया है कि सत्र न्यायालय के जज किसी व्यक्ति की अनुपस्थिति में भी केस चला सकती है और फैसला सुना सकती है, फिर चाहे वह दुनिया के किसी भी कोने में हो। उसे सजा से बचना हो तो भारत आए और केस लड़ें।
IPC और CRPC एविडेंस कोड में संशोधन के लिए गठित की गई थी समिति
बता दें कि केंद्र सरकार ने आईपीसी, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य कानून 1872 में संशोधन के लिए एक आपराधिक कानून संशोधन समिति का गठन किया था । इस समिति का प्रमुख दिल्ली स्थित नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के तत्कालीन वाइस चांसलर डॉ. रणबीर सिंह को बनाया गया। इस समिति के अन्य सदस्यों में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली के तत्कालीन रजिस्ट्रार डॉ. जीएस बाजपेयी, डीएनएलयू के वाइस चांसलर डॉ. बलराज चौहान और वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी, और दिल्ली डिस्ट्रिक्ट एंड सेशल कोर्ट के पूर्व जज जीपी थरेजा शामिल थे। फरवरी 2022 में इस समिति ने जनता से सुझाव के बावजूद सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी। अप्रैल 2022 में कानून मंत्रालय ने राज्य सभा में बताया कि सरकार आपराधिक कानूनों की समीक्षा कर रही
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