MP Election Opinion Poll 2023 : मध्य प्रदेश में इस बार किसकी बनेगी सरकार ? जानिए क्या कहता है जय सनातन भारत और IPEN नेटवर्क का ओपिनियन पोल ?

मध्य प्रदेश के 230 विधानसभा सीटों पर फैसला इसी साल दिसंबर में हो जाएगा। प्रदेश की जनता एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान को चुनेगी या दोबारा कमलनाथ को मौका देगी। यह तो चुनाव के बाद के नतीजों से तय होगा। उससे पहले जय सनातन भारत समूह और इंडियन प्राइमरी इलेक्शन नेटवर्क ने मिलकर ओपिनियन पोल किया है । 




आइए जानें इंडियन प्राइमरी इलेक्शन नेटवर्क समूह के बारे में 


भारत में चुनाव सुधार का एक गैर व्यावसायिक आंदोलन है भारत में चुनाव सुधार क्षेत्र में विभिन्न राजनीतिक सामाजिक उम्मीदवारों को लोकप्रियता का मापन किया जाना है । उम्मीदवार के चयन में जनता की कोई भूमिका या राय नहीं होने से जनता को अक्सर केवल चुनाव के 15 दिन पहले पार्टी द्वारा थोपे गए आकस्मिक उम्मीदवारों में से मजबूरन चुनने पड़ते हैं यह लोकतंत्र को सीमित कर रहा । हमारे द्वारा देश की सभी 543 लोकसभा 4120 विधानसभा नगरीय निकाय पंचायती राज के विभिन्न दलो और समाजिक क्षेत्र से 50 हजार से अधिक । उम्मीदवार का एक साथ लोकप्रियता मापन विभिन्न सोशल मीडिया एवम अन्य माध्यमों के द्वारा किया जा रहा है । इस आंदोलन में देश के विभिन्न राजनेता और समाजिक संगठन कार्य कर रहे हैं । आप भी अपने घर बैठे आसपास के अच्छे लोगों को लोकप्रिय बनाकर इस जन आंदोलन में सहयोग कर सकते हैं । जनता की निस्वार्थ सेवा करने वाले व्यक्ति ही जनता में लोकप्रिय होते हैं । सही सेवा करने वाले व्यक्ति ही जनता में लोकप्रिय होते हैं सही मूल्यांकन होते ही चुनाव जनता बनाम पार्टी का हो जाएगा तब राजनैतिक दल लोकप्रिय उम्मीदवार को टिकट देने पर विवश हो जाएंगे तब विभिन्न पार्टियां के अंदर जो कार्यकर्ता घुटन महसूस करते हैं उनके साथ न्याय हो सकेगा । हमारा कार्य खुली प्रतियोगिता के आधार पर प्रत्येक क्षेत्र में व्यक्तिगत कार्य खुली प्रतियोगिता के आधार पर प्रत्येक क्षेत्र में व्यक्तिगत रूप सबसे लोकप्रिय उम्मीदवार की तलाश करना है । यह पूरी व्यवस्था अंत्यंत पारदर्शी होने से प्रमाणिक होगा उनके विषय में लगातार चर्चा होने से वह स्वाभाविक ढंग से उपर आ जाएगा । 



टिकट पर टिकी हार जीत मध्य प्रदेश की


मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव जैसे नजदीक आते जा रहे हैं राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है । राजनैतिक दल अपने से रणनीति बनाने में जुट गए हैं । इसलिए हम लोग ने जनता का प्रत्याशी हो ऐसा विचार को जनता के समक्ष रखते हुए मध्यप्रदेश की चार विधानसभा सीट रीवा सिरमौर सेमरिया और गुढ का की जनता के बीच गए हम लोगों का सैंपल साइज 20 हजार है प्रत्येक विधानसभा सीट में 5000 हजार का सैंपल साइज लिया गया जिसमें नतीजे चौंकाने वाले आ सकते हैं । जनता ने किसे अपना प्रत्याशी बनाया है इस विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे उसके पहले हम 2018 के विधानसभा चुनाव की चर्चा करेंगे जिसमें भाजपा रीवा की आठ विधानसभा सीट जीत कर विपक्षी पार्टी कांग्रेस का सुपड़ा साफ कर कर दिया था । उसी में से चार विधानसभा सीटें बहुत महत्वपूर्ण है ।
सर्वे में 6 प्रश्न पूछे गए पसंदीदा 1 राजनीतिक दल 2प्रधानमन्त्री 3 मुख्यमंत्री 4 सांसद 5 विधायक 6 क्षेत्र की समस्या
आश्चर्य जनक रुप से भाजपा मोदी की लोकप्रियता 80 प्रतिशत शिवराज सिंह चौहान की 60 प्रतिशत सांसद की 30 प्रतिशत है विधायक में से रीवा से राजेंद्र शुक्ला की लोकप्रियता 60 प्रतिशत है शेष की हालत खराब है सेमरिया से लोकप्रियता के क्रम में के पी त्रिपाठी पंकज पटेल संजय द्विवेदी अभय मिश्रा के नाम आए हैं सिरमौर से दिव्यराज सिंह वी डी पांडे पूर्णिमा तिवारी प्रदीप सिंह लक्ष्मण तिवारी के नाम है रीवा विधानसभा से राजेंद्र शुक्ला के बाद अजय मिश्रा बाबा का नाम आ रहा है कविता पांडे राजेंद्र शर्मा काफी पीछे हैं गुढ़ से कपिध्वज सिंह का नाम आगे है पर आश्चर्य जनक रुप से नागेंद्र सिंह अभी भी लोकप्रिय है माया पटेल नारायण मिश्रा का नाम भी चल रहा है हर विधानसभा में कई स्वयं भू नेताओं के नाम भी आ रहे हैं पर प्रभाव नगण्य है 
अभय मिश्रा के भाजपा में शामिल होने से उन्हें कहा से लाया जाएगा चिन्ता का विषय है रीवा की 
इन चार विधानसभा के अलावा विन्ध्य की सभी 30 सीटों के प्रारंभिक सर्वे के परिणाम बता रहे हैं की भाजपा अभी भी चुनाव के लिहाज से बढ़त पर है अगर उसने जीतने वाले उम्मीदवारों पर दांव लगाया तो निश्चित तौर पर लाडली बहना एवं किसान हितैषी योजनाओं का उसे लाभ प्राप्त होने वाला है बसपा ने अभी तक विन्ध्य में अपने चार उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है जिससे लग रहा है कि वह मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में कामयाब रहेगी कुछ सीटों पर आम आदमी पार्टी एवं सपा भी मुकाबले को दिलचस्प बनाएंगे भाजपा का शहरी मध्यम वर्ग के वोटर में पार्टी की नीतियों और वर्तमान विधायकों के प्रति गहरी नाराजगी है भाजपा जिले के अंदर ही अपने विधायकों की सीटों में फेर बदल कर दे तो भी एंटी इनकंबेंसी कम की जा सकती है कांग्रेस को जितना भी मिलेगा सारा कुछ लाभ ही होगा पर 2018 की स्थिति नहीं है क्योंकि कांग्रेस ने एक दर्जन मुख्यमंत्री के लॉली पॉप दिए थे जो ज्योतिरादित्य सिंधिया कमल नाथ दिग्विजय सिंह अजय सिंह राहुल कांति लाल भूरिया अरूण यादव जीतू पटवारी जैसे नाम अलग अलग इलाकों में चला रखे थे जिसका उन्हें काफी लाभ हुआ था मगर इस बार यह दांव नहीं चलेगा क्योंकि कमलनाथ का अकेले नाम है और निश्चित तौर से वह सम्पूर्ण मध्य प्रदेश और जननेता नहीं है 



मोदी और शिवराज की स्वीकार्यता बरकरार है पर स्थानीय स्तर पर कांग्रेस के नेता मजबूत दिखाई दे रहे हैं उनका व्यक्तिगत जीवंत सम्पर्क है जबकि संगठन स्तर पर भाजपा मजबूत है विंध्य की 30 में से 20 पर भाजपा 8 पर कांग्रेस और दो अन्य को जाती हुई दिखाई दे रही है

मध्य प्रदेश विधानसभा 2023 

ओपिनियन पोल  
जुलाई अंत तक 
भाजपा 115 
कांग्रेस 108
अन्य 07


दोनों पार्टी 100 के नीचे नहीं जाएगी जिसने भी ठीक टिकट दिया वह बाजी मारेगा भाजपा की शुरुआती टिकट बेहद खराब है जिसमे बासी चेहरों पर दांव आजमाया जा रहा है जो उनके हाथ से जीती हुई बाजी फिसलती हुई दिख रही है जहां पर भी नए चेहरे जैसे पुष्पराजगढ़ से हीरा सिंह श्याम आए हैं एक अलग तरह का उत्साह है चित्रकूट की टिकट डॉली शर्मा की जगह सुरेंद सिंह गहरवार को देकर भाजपा ने वॉक ओवर दे दिया है 






टिकट वितरण के बाद पड़े प्रभाव पर हम जल्द नया सर्वे लायेंगे 

बेहद नजदीकी मुकाबला

कर्नाटक हिमाचल प्रदेश सहित सीधे मुकाबले वाले राज्यों में देखने में आया है कि एक प्रतिशत से कम अन्तर से सत्ता निकल जाती है सर्वे बता रहा है कि मध्य प्रदेश में भी मुकाबला कितना नजदीकी है केवल 1 प्रतिशत वोट का अन्तर है अगर इसे समझना है तो देखे प्रदेश में लगभग 5 करोड़ 40 लाख वोटर है अगर इस हिसाब को माने तो 70% वोट पड़ने पर 3.8 करोड़ वोट पड़ेंगे जिसका 1% 3.80 लाख अर्थात प्रति विधानसभा 1600 वोट आयेगा समझ सकते हैं 2000 के अंतर से हारने और जीतने वाली सीटों की संख्या 40 के लगभग होगी इसमें जो पार्टी 25 जीतेगी वह सत्ता में तथा जो 15 जीतेगी वह सत्ता से बाहर हो जायेगी 
इसलिए एक एक वोट को ध्यान रखना आवश्यक है वोट जुड़ने कटने पड़ने तक हर चरण पर ध्यान देना होगा हर विधान सभा में लगभग 250 बूथ हैं इस तरह जो 8 अतिरिक्त वोट के लिए मेहनत करेगा वह पार्टी जीत दर्ज करेगी सब ठीक है लेकिन पहले सबसे जरूरी काम है पुराने बासी उबाऊ चेहरों की जगह नए चेहरे पर दांव लगाना



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