सिर्फ नाम के इस लोकतंत्र स्थापित होने के बाद भारत के लोगों के मन में राजतंत्र एवं राजाओं के खिलाफ जो विषवमन किया गया है .

       देश के लोग एक बार वर्तमान लोकतांत्रिक शासन एवं प्रशासन की कार्यप्रणाली को देखकर स्वयं यह आकलन करें, कि #प्रजा की रक्षा के लिए स्वयं को एवं स्वयं के परिवार के प्राण को दाव पर लगा देने वाले #राजा सम्मान के योग्य हैं, अथवा वर्तमान #लोकतंत्र के राजनीतिक एवं प्रशासनिक सत्ता पर काबिज लोग, जो अपने परिवार एवं रिश्तेदारों को ज्यादा से ज्यादा #लाभान्वित कराने का प्रयास करते हैं और प्रजा की सुरक्षा पर ध्यान देने के बजाय स्वयं एवं स्वयं के परिवार की सुरक्षा पर अधिक ध्यान देते हैं! ये सिर्फ नाम का लोक तन्त्र है, वास्तव में ये नेता तन्त्र है

      राजतंत्र में तो जनता की रक्षा हेतु राजा और उसके परिवार के सदस्यों को युद्ध में बलिदान होते हुए देखा है |

    लेकिन क्या वर्तमान #लोकतंत्र में सत्ता का लाभ उठा रहे लोगों को जनता के लिए #बलिदान होते हुए देखा है?

  राजधर्म और #वचन पालन के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम द्वारा ,अपने छोटे भाई लक्ष्मण को वचन भंग करने के लिए त्याग दिया गया और लक्ष्मण ने दिए जाने वाले दंड को सहर्ष स्वीकार कर लिया|

       क्या इस लोकतंत्र की सत्ता का संचालन कर रहे लोग भ्रष्टाचार के लिए स्वयं को एवं स्वयं के रिश्तेदारों को दंडित कर सकते हैं?

       क्या वर्तमान राजनेता ,वर्तमान न्यायपालिका , एवं प्रशासनिक मशीनरी आदि, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की तरह #निष्पक्ष होकर वास्तविक राजधर्म का पालन कर रहे हैं |

        अथवा वर्तमान में व्यवस्था से जुड़े हुए लोग अपने परिवार एवं सगे संबंधियों को #सत्ता एवं ताकत का अधिक से अधिक लाभ दिलाने का प्रयास कर रहे हैं|

         व्यवस्था से जुड़े हुए लोगों को ,राजधर्म का पालन करते हुए , जनता की समस्याओं का निराकरण करते हुए, जनता के कष्टों को दूर करने के लिए कार्य करना चाहिए|

         वर्तमान में शासन सत्ता से जुड़े हुए लोग जनता की समस्याओं का निराकरण करने का दावा तो करते हैं और समस्याओं के निराकरण का आश्वासन भी देते हैं |

     लेकिन व्यवहारिक रूप में शासन एवं सत्ता से जुड़े हुए लोग , व्यवहारिक रूप में अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए दिखाई नहीं देते हैं|

राजतंत्र का मतलब था - जनहित पहले और परिवार हित बाद में|

 वर्तमान लोकतंत्र का मतलब है- परिवार हित एवं पार्टी हित पहले और जनहित बाद में .....

इसीलिए भारत मे मौजूद सभी राजपरिवारों का हमे सम्मान करना चाहिए ..... 

ये राजपरिवार उन राजाओं के वंशज है जिन्होंने अपना सब कुछ न्योछावर करके भारत की रक्षा की ......

राजपरिवारों का विशेष सम्मान करना भारतीय संस्कृति का विशेष अंग रहा है .......

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