दलित आंदोलन के नाम पर सनातन हिंदू धर्म विरोधी विरोधी ब्राह्मण विरोधी संस्कृत विरोधी जहर समाज में किस प्रकार से परोसा गया है इसे समझने के लिए हमें कांचा इलाइया के बारे में जानना चाहिए ।





कांचा इलाइया एक महत्वपूर्ण चिन्तक है कांचा इलाइया जिन्हें डी . एफ एन द्वारा विश्व स्तर पर दलित अधिकारों के लिए अभियान चलाने वाले अग्रणी नेता के रूप में प्रोत्साहित किया जा रहा है डी . एफ एन ने उन्हें एक पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप दिया है । उनकी एक पुस्तक मै हिंदू क्यों नहीं हूं अनेक अमेरिकी विश्वविद्यालयो के हिंदू धर्म के प्रारंभिक पाठ्यक्रमों के लिए निर्धारित की गयी है। एक बेल्जियम भारतविद कोनराड एल्स्ट ने पुस्तक की समीक्षा की और इसका समान्तर नाजी साहित्य में यहूदी विरोधी उपहास सामग्री मे पाया। 

ये हिंदू विरोधी शक्तियां आर्यो के आक्रमण की परिकल्पना का अन्तिम छोर तक दोहन कर रही है, । और भारतीय राजनीति में पागलपन की हद तक नस्लवाद की भारी खुराक पहुंचा रही है व उदाहरण के लिए कांचा इलाइया की पुस्तक वाई आई नॉट हिंदू कलकत्ता 1966 को पढ़े ,जिसे राजीव गांधी फाउंडेशन प्रायोजित किया, इसके ब्राह्मण विरोधी कार्टूनों के साथ : ब्राह्मण खलनायकों की चुरकियो को उनके सिर के पिछले हिस्से से हटाकर केवल उनको कानो के सामने लाये और आप उन्हें नाजी समाचार पत्र डेर श्टूमएर के यहूदी विरोधी कार्टूनों की सटीक नक़ल पाएंगे । 

संस्कृत के प्रति इलाईया की घृणा भी उतनी ही उग्र है इण्डियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार कांचा इलाइया ने मानवाधिकार पर भारत के राष्ट्रीय सम्मेलन के सामने यह कहते हुए जोरदार भाषण दिया था ,हम इस देश में संस्कृत की हत्या देना चाहते हैं । एक साक्षात्कार में उन्होंने यह सफाई भी दी ,हमे आईआईटी और आईआईएम संस्थानों को बन्द कर देना चाहिए , क्योंकि वे देश के ऊंचे वर्णो की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देते हैं । इलाइया की पुस्तकें प्रदर्शित करती है कि कि किस प्रकार दलित आन्दोलन ने द्रविड़ अलगाववादियों की भाषण शैली को आत्मसात कर लिया है , जैसे दमन की जड़ के रूप में संस्कृत और हिन्दू धर्म का दानवीकरण । भारत की अनेक साझी विरासतो को दलितो की शिकायतों की जड़ की तरह प्रस्तुत किया गया है । 

क्रिश्चियन टुडे पत्रिका इलाइया की उपलब्धियों की सूची में यह भी शामिल करती है कि उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका की कांग्रेस की सभा में हाल ही हाल में अपना बहु प्रचारित साक्ष्य दिया , जिसमें उन्होंने दलितों के विरूद्ध चल रही हिंसा और भेदभाव की असलियत के लिए हिंदू धर्म पर दोषारोपण किया । क्रिश्चियन टुडे के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने हिंदू धर्म की तुलना नाजीवाद से की, और इसे आध्यात्मिक फासीवाद के रूप में वर्णित किया । उनके तर्क के आधार हिटलर द्वारा हिंदू प्रतीकों को ग़लत ढंग से अपनाए जाने पर आधारित है , जिसके लिए वे हिंदू धर्म को दोषी ठहराते हैं हिंदू धर्म एक प्रकार का आध्यात्मिक फासीवाद है ,वह व्याख्या करते हैं , क्योंकि हिंदू पुस्तक कहती हैं कि उन्हें आर्यो ने लिखा था , और नाजी जर्मनी हिटलर विश्वास करता था कि वह आर्य नस्ल का था और इसलिए हिंदू और आर्य जर्मनीवासी जिन प्रतीकों का उपयोग करते हैं वे समान है , जैसे कि स्वास्तिक और यह अवधारणा कि हमेशा चन्द लोग ही होते हैं जो अन्य श्रेष्ठ होते हैं इसलिए हिंदू धर्म अध्यात्मिक रूप से बिल्कुल ही फासीवादी प्रणाली है और यही कारण कि हमारा अनेक प्रकार से उत्पीड़न हुआ । 

ईसाई प्रचारक संगठनों द्वारा इलाइया के लिए आये दिन संयुक्त अमरीका की यात्राओं को प्रायोजित किया जाता है जिनका उद्देश्य है उन्हें जनाधिकार का एक बड़ा नेता बनाना और इस तरह उनके प्रभाव को बढ़ाया जा रहा है ऋ उदाहरण के लिए के टेक्सास स्थित संगठन गास्पेल for एशिया ने घोषणा की : 

गास्पेल for एशिया डॉ कांचा इलाइया को प्रायोजित करने में प्रसन्नता का अनुभव करता है, जो भारत के सार्वाधिक प्रभावशाली मानवधिकार नेताओं में से एक है जो इस देश के जनाधिकार आन्दोलन के लिए मार्टिन लूथर किंग जूनियर का अर्थ है वही आज भारत के जनाधिकार आन्दोलन में डॉ इलाइया का है ऑल इंडिया क्रिश्चियन काउंसिल के सलाहकार की भूमिका वे भारत की निचली जातियों मैं सामाजिक आर्थिक धार्मिक और राजनीतिक स्थितियों पर नेताओं को सलाह देते हैं । 

इलाइया साउथ एशियन स्टडीज के शैक्षिक सम्मेलनों में प्रसिद्ध वक्त भी रहे हैं जो विस्कोसिन विश्वविद्यालय, मैडिसिन में हर साल आयोजित किए जाते हैं । 

पोस्ट हिंदू इंडिया नमक अपनी हाल की पुस्तक मे इलाइया समान्यत हिंदू धर्म के विरूद्ध घृणा का एक नक्सलवादी सिद्धांत गढ़ते हैं । वे छद्मम वैज्ञानिक नक्सलवाद को पुन जीवित करने का प्रयास करते हैं। जिसे वे ब्राह्मणवादी मनोविज्ञान कहते हैं , उसका अध्ययन करने के आशय से वे इस बयान से शुरू करते हैं , ब्राह्मणों के मनोविज्ञान समझने के लिए कोई शोध नहीं हुआ है । उसके बाद वे यह कहते हुए ब्राह्मणो को उप ब्रह्माण के रूप चित्रित करने के लिए आगे बढ़ते हैं कि ब्राह्मण सामुदायिककता पेंगुइन और भेड़ों की सामुदायिकता की तरह काम करती है , जो अस्तित्व के लिए व्यक्तिगत संघर्ष हेतु ऊर्जा का निर्माण शायद ही करती है। वे कहते हैं कि ब्राह्मण पशुओं से बदतर है , क्योंकि उनके मामले पशुवृति भी अल्पविकसित होती है पशुओ में शिकार करने और चरने की प्रक्रिया उनके व्यापक समाजिक सामूहिकता के घेरे में उनके व्यक्तिगत प्रयासों से होती है। लेकिन ब्राह्मण अपनी सामाजिक सामूहिकता में कोई भी व्यक्तिगत उद्यम की अनुमति नहीं देते थे । उन्होंने पेंगुइन और भेड़ों की अल्पविकसित पशुवृति को मनुष्यो में लागू किया ।  

वे नस्लवाद के छद्मम विज्ञान को पुनः जीवित करने के लिए आगे बढ़ते हैं मानवो में विभिन्न नस्ली रूझान भिन्न-भिन्न से वृतियों का निर्माण करते हैं । उसके बाद वे घृणा की लफ्फाजी की ओर आगे बढ़ते हैं जो समाजिक डार्विनवाद से ओत प्रोत है ।  

सभी परजीवी व्यक्तिवाद के निरूतर भय से पीड़ित रहते हैं एक समुदाय के रूप में ब्रह्माण धरती से कुछ भी पैदा नहीं कर सकने की पशुवृति में सहभागी है । यह मानवीय वर्ण सभी अन्य समाजिक समुदायो से उसी समय से अलग अलग है जब से मानव बंदरो से क्रमशः विकसित हुए । इस असामान्य परजीवी वृत्ति ने ब्रह्माणो को आध्यात्मिक फासीवाद की समाजिक प्रक्रिया निर्मित करने को विवश कर दिया जो इस परजीवीवाद का किला बन गयी। 

वे निष्कर्ष निकालते हैं कि ब्राह्मणो के बाल्यकाल का निर्माण अपने आप में आनुवांशिक और अरूपान्तणीयता की समाजिक प्रवृत्ति वाला होता है । इस घृणा के आधार पर वे भारत में एक गृह युद्ध की परिकल्पना करते हैं , दलित बहुजनों से अपील करते हैं कि वे समष्टि और व्यक्ति स्तरों पर गृह युद्ध प्रारम्भ करें । हिंदू देवी देवताओं अपनी विकृति परिकल्पनाओ का उदाहरण देते हुए इलाइया एक सशस्त्र युद्ध का सुझाव देते हैं। 

ऐतिहासिक रूप से अगड़ी जातियों ने पिछड़ी जातियों के लोगों को हथियार के बल पर दबाया ,जैसा हिंदू देवी देवताओं का स्रोत अपने आप में हथियारो के उपयोग की संस्कृति में जड़ जमाए हैं । एससी एसटी ओबीसी को इसलिए भारत से हिंदू हिंसा को समाप्त करने की प्रक्रिया में सशस्र युद्ध की ओर मुड़ना ही होगा । 

हिंसक उभार की तर्ज पर जैसा कि यूरोप में हुआ था , इलाइया एक बड़े गृह युद्ध की भविष्यवाणी करते हुए इसे अनिवार्य बुराई के रूप में देखते हैं और दावा करते हैं कि भारत में गृह युद्ध में अगुवाई करने की विशाल क्षमता दलितों में है जिनको बौद्धो और ईसाईयों का साथ होगा जो एक ही वृक्ष के रूप में विकसित हो रहे । जो भी हो इलाइया बौद्ध धर्म का नाम सिर्फ उपरी तौर पर लेते हैं ताकि हिंदू धर्म के विरूद्ध एक संगठित सेना खड़ी की जा सकें , क्योंकि इस पुस्तक में अन्यत्र वह कहते हैं कि भारतीय दलित ईसा मसीह को बुद्ध से अत्यधिक शक्तिशाली मुक्तिदाता के रूप में पाते हैं ।

ऐसी विषाक्त और घृणा से भरी पुस्तक का प्रकाशन सेज पब्लिकेशन जैसी एक सम्मानित प्रकाशन संस्था ने किया है जो एक चेतावनी का संकेत होना चाहिए । इससे भी अधिक आश्चर्यजनक बात यह है कि सेज पब्लिकेशन ने असामान्य कदम उठाते हुए प्रशासन की ओर एक विशेष टिप्पणी प्रकाशित की है जिसमें लेखक की अद्वितीय शोध प्रक्रिया और तर्कों की सूक्ष्मता की प्रशंसा की गयी है ।

उदयनिधि के बयान के हिंदू समाज का एक वर्ग बहुत उद्वेलित है और कह रहा है क्या इंडिया गठबंधन को बाकी 390 सीटों पर चुनाव नहीं लड़ना है ? कोई सनातन हिन्दू धर्म को गाली देकर चुनाव कैसे जीत सकते हैं इस तरह की बात हिंदू समाज का एक वर्ग कर रहा है । ये लोग भूल गए भारत में रणनीतिक रूप से हिंदू समाज को जाति क्षेत्र भाषा आधार बांटने का प्रयास वर्षों से किया गया है । हमारे शत्रु बार बार हमारे मर्म स्थल पर प्रहार क्यों करते हैं? कि क्योंकि उन्हें पता जैसे सनातन धर्म को खत्म करने की बात करेंगे तो हिंदू समाज के अंदर एक वर्ग जो ब्रह्माणवाद को सारी समास्याओं का जड़ मानता है वो वर्ग उतर से दक्षिण तक उनके साथ खड़ा हो सकता है इसलिए बड़ी रणनीतिक रूप में तमिलनाडु से सनातन धर्म को खत्म करने वाली बात की गई क्योंकि तमिलनाडु की राजनीति सनातन धर्म और ब्रह्माण के विरोध आधार पर टिकी हुई है इसलिए तमिलनाडु में सनातन धर्म का उन्मूलन करने के विषय पर एक विचार गोष्ठी आयोजित की गई उस विचार गोष्ठी में उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को खत्म करने वाला बयान देते हुए सनातन धर्म की तुलना डेगू और मलेरिया से की उसके बाद तमिलनाडु के कई नेता इस तरह का बयान दे रहे हैं । कुछ माह पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इस तरह का एक बयान दिया था कि भाजपा सत्ता में आ गई तो सनातन धर्म का राज हो जाएगा । अर्थात् इंडी एलाइंस हिंदू समाज के इस वर्ग के बीच यह नारेटिव को पुश कर रहा कि सनातन धर्म समानता का विरोधी है भाजपा सत्ता में आ गई तो ब्रह्माणो का वर्चस्व हो जाएगा भाजपा आरक्षण खत्म कर देगी सनातन धर्म जातिवादी व्यवस्था का पोषक है। हम सत्ता में आ गए तो सनातन धर्म को खत्म कर देंगे इसीलिए हमारा समर्थन कीजिए । इसीलिए इंडी एलाइंस के नारेटिव को ध्वस्त करना हम सनातनी हिन्दूओं का कर्तव्य होना चाहिए हिंदू समाज में किसी प्रकार की विभाजक बात को प्रोत्साहित करने से बचना चाहिए और हिंदू समाज के सभी वर्गों को सनातन हिन्दुत्व के विचार के साथ जोड़ना चाहिए तभी सनातन हिन्दू धर्म विरोधी और संस्कृत विरोधी ब्राह्मण विरोधी भारत को विखंडित करने का स्वप्न देखने वाली शक्तियों को करारा जवाब दे सकते हैं । 

सोर्स
भारत विखण्डन 
राजीव मल्होत्रा


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