अक्सर लोग शिकायत करते हैं कि हमारे अन्न में अब वो स्वाद नही रहा जो पहले हुआ करता था । इसका कारण क्या है?

अक्सर लोग शिकायत करते हैं कि हमारे अन्न में अब वो स्वाद नही रहा जो पहले हुआ करता था ।
इसका कारण है औद्योगिक कृषि : Industrial Agriculture ........ पंजाब हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान की कृषि एक उद्योग की तरह है ........सभी आधुनिक व्यवस्थाएं / उपाय / हथकंडे अपना के ज़्यादा से ज़्यादा उपज ली जा रही है । 
पृथ्वी का इस कदर भयानक दोहन हो रहा है कि जमीन में Nutrient के नाम पे कुछ बचा ही नही है ...... 
जमीन पोषक तत्वों से पूरी तरह ख़ाली हो चुकी है । सिर्फ और सिर्फ Chemical रासायनिक खादों , Fungicides , pesticides के बल पे खेती हो रही है ........ पंजाब का किसान अपने खेत मे साल में 3 फसल लेता है और चौथी के जुगाड़ में लगा रहता है ....... खेत को एक दिन का भी Rest नही ....... आज फसल काटी और अगले दिन ही अगली फसल के लिए सिचाई और जुताई शुरू ....... 
पुराने जमाने मे ऐसा नही था ।
किसान अपनी जमीन में हर साल फसल नही लेता था । 
कुछ समय के लिए जमीन को खाली -- परती छोड़ देता था .......उसमे कुछ ऐसे पौधे वनस्पतियां छींट देता जो उगते तो उन्हें खेत मे ही जोत दिता जाता था जिससे वो कुछ महीनों में सड़ गल के हरी खाद बन जाता और इससे जमीन में Humus आर्गेनिक खाद बनती थी ........ भारत मे " ढैंचा " नामक पौधा सबसे ज़्यादा लोकप्रिय फसल रही है जिसे हरी खाद के लिये बोया जाता था ...... पर पंजाब हरियाणा का किसान तो इतना स्वार्थी हो चुका है कि अपने खेत को हरी खाद देना तो दूर गेहूं धान के बचे अवशेष पराली इत्यादि को भी खेत मे जोत कर मृदा Humus बनने का मौका नही देता , जला देता है ...... 
यही कारण है कि पंजाब हरियाणा और पश्चिमी UP के खेतों में फसल की उपज तो खूब होती है पर स्वाद बिल्कुले गायब है ....... इसके विपरीत जिन इलाकों में आज भी कृषि उन्नत नही , जहां आज भी सब भगवान भरोसे है , जहां आज भी वर्षा के भरोसे है किसान ....... वहां का अनाज बेहद स्वादिष्ट है .......
आप देश मे कहीं भी चले जाइये , जहां भी कृषि असिंचित है , जैसे बुंदेलखंड , राजस्थान , MP , गुजरात महाराष्ट्र के असिंचित क्षेत्र , झारखंड , छत्तीसगढ़ , बिहार , पूर्वी UP , North East के अविकसित कृषि की उपज बेहद स्वादिष्ट है .......
असिंचित क्षेत्रों का गेहूं , जौ , बाजरा ,चना और दालें खा के देखिये ...... क्या गज़ब का स्वाद है .......

विडंबना देखिये कि जो पंजाब पूरे देश का पेट भर रहा अपने गेहूं से वो खुद अपना गेहूं नही खाता ........ अपना गेहूं 20 रु किलो बेच के MP का गेहूं 40 रु किलो खरीदता है खाने को ........

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