भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहते थे ?

भारत को पहले सोने की चिड़िया कहा जाता था | भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहते थे ,यह हमें समझना होगा |भारत में सोना ना निकलने के बावजूद भी भारत के पास इतना सोना आया कहां से ?तो उसका उत्तर है भारत की manufacturing industry |
भारत की मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री इतनी समृद्ध थी ,कि एक बार यूरोप के एक राजा ने कहां था ,कि हम भारत के गुलाम हैं, हमारे तन पर कपड़ा है भारत में बना हुआ है , हमारे खाने के टेबल पर जो भोजन है ,वह भारत से आयात किए हुए मसालों से बना हुआ है , भारत से बनी हुई इस्पात से हमारी तलवारें बनी हुई हैं जिनसे हम युद्ध लड़ते हैं ।
भारत का बना हुआ इस्पात इतना अच्छा था कि भारत की राजधानी दिल्ली में जो लौह स्तंभ बना हुआ है उसको आज तक भी कभी भी जंग नहीं लगी,| आजतक भी दुनिया भर के वैज्ञानिक वैसा लोहा नहीं बना सके ।
भारत में बनी हुई ढाका की मलमल इतनी महीन थी ,कि कपड़े का एक पुरे का पूरा थान एक अंगूठी से निकल जाता था । आजकल की कोई भी कपड़ा मिल इतना अच्छा कपड़ा आज तक भी नहीं बना सकी ।
चिकित्सा के क्षेत्र में भारत का लोहा दुनिया मानती थी| प्लास्टिक सर्जरी की खोज महर्षि सुश्रुत ने की थी । बेहोश करने की तकनीक महर्षि चरक ने दी थी।
‌ यह तो रहे भारत की महानता के कुछ किस्से | जो हम बचपन से ही सुनते आए हैं,| बचपन में हम इन बातों पर गर्व तो करते थे लेकिन हमारे पास सबूत नहीं थे |या यूं कहिए हमारे से छुपा दिए गए थे , अंग्रेजों द्वारा डिजाइन की की शिक्षा पद्धति के द्वारा। लेकिन जैसे-जैसे इंटरनेट का आगमन हुआ, इंफॉर्मेशन पर कुछ गिने-चुने व्यक्तियों का एकाधिकार खत्म हो गया। सोशल मीडिया आने के बाद हमें वह जानकारियां उपलब्ध हो गई जो हम से छुपाई गई थी। जैसे कि मैं अपना उदाहरण दूं जैसे कि एक बार मैंने यूट्यूब पर श्री एस गुरुमूर्ति जी का लैक्चर सुना था । जिसमें उन्होंने बताया था कि एक बड़े अर्थशास्त्री इतिहासकार हुए हैं श्री angus मैडिसन जिन्होंने एक पुस्तक लिखी है the world economy a millennial perspective| जिसमें उन्होंने विश्व economy के 2000 सालों का डाटा दिया हुआ इसमें उन्होंने लिखा है कि अंग्रेजों के आने के पहले सन 1700 तक विश्व की कुल आमदनी में भारत की हिस्सेदारी लगभग 24 प्रतिशत थी और यह विश्व का नंबर वन अमीर देश था उस समय तक इंग्लैंड विश्व का एक गरीब देश था । जिसकी जीडीपी का कुल विश्व की जीडीपी में हिस्सा, केवल 2.9% था।
‌कुछ दिनों पहले मैंने यूट्यूब पर एक वीडियो देखा जिसमें दुनिया के 5 सबसे अमीर रिलिजियस इंस्टिट्यूशन के बारे में बताया गया था। नंबर दो पर था रोमन कैथोलिक चर्च जिस के अनुयायी विश्व भर में सबसे अधिक हैं और दुनिया के लगभग हर देश में इस चर्च के नाम पर जमीन जायदाद है। भारत में भी इस चर्च के पास सबसे ज्यादा जमीन है। इस तरह अगर रोमन कैथोलिक चर्च की कुल संपत्ति की वैल्यूएशन की जाए तो यह संपति लगभग 20 बिलियन डॉलर की बनती है।
लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि ,विश्व की नंबर १ धार्मिक संस्था है केरल में स्थित श्री पद्मनाभ स्वामी जी का मंदिर | यह मंदिर अपनी धन संपदा के कारण हमेशा चर्चा में बना रहता है | इस मंदिर के अनुयायी रोमन कैथोलिक चर्च की तुलना में बहुत ही कम हैं और जमीन भी रोमन कैथोलिक चर्च की तुलना में बहुत कम है |लेकिन चर्च की कुल सम्पति है केवल 20 बिलियन डालर | और इस मंदिर की संपदा ,आप जानकर हैरान होंगे , है 770 बिलियन डालर | चर्च से कई गुना अधिक |
यहाँ पर सवाल धन संपदा का नहीं है , सवाल यह है की अगर भारत के एक मंदिर के पास इतनी संपदा है तो बाकि के मंदिरों  पास कितनी संपदा होगी जो अंग्रेज और मुसलमान भारत से  लूटकर ले गए |
एक सवाल और भी उठता है कि इस मंदिर के पास इंतनी संपदा आई कहाँ से ?तो इसका उत्तर है भक्तजनों के चडावे से | इसका अर्थ है यह की श्री पद्मनाभ स्वामी जी के मंदिर की धन संपदा देखकर इस बात का अन्द्ज़ा लगाया जा सकता है कि उन दिनों में भारत के लोग कितने अमीर रहें होंगे |
यह तो रहा प्रमाण इस बात का , कि भारत सोने की चिड़िया था वो भी लगातार 10000 वर्षों तक अब प्रशन यह उठता है इतनी विकसित अर्थव्यवस्था के पीछे कोई ना कोई अर्थव्यस्था का माडल तो अवश्य  रहा होगा | क्या था वह माडल ? निश्चित रूप से वह आज कल चल रहा पूंजीवादी माडल तो नहीं रहा होगा जो अंग्रेजो का थोपा हुआ है | इसको पूंजीवादी माडल इसलिए कहते हैं क्योकि इस माडल की सभी व्यवस्थाएं इस बात को यकीनी बनाती हैं कि देश के सारे संसधानो पर , शिक्षा व्यवस्था पर , न्याय व्यवस्था पर कुछ चंद लोगो का एकाधिकार हो जाये | अगर आप विस्तार से इस माडल के बारे में जानना चाहते हैं तो हमारी बेवसाइट  www.jaisanatanbharat.com  या  Jai Sanatan Bharat का फेसबुक https://www.facebook.com/dwivedideepak2?mibextid=ZbWKwL  पेज विजिट करते रहिए। 

यह पूंजीवादी माडल अंग्रेजों के आने साथ ही भारत पर थोप दिया गया | अंग्रेजो के आने के पहले भारत में जो माडल चलता था वह था अर्थव्यवस्था , न्याय व्यवस्था ,शिक्षा व्यवस्था , फ़ूड प्रोसेसिंग , गवर्नस ,कृषि आदि का सनातन वैदिक माडल | इस सनातन माडल के कारण ही भारत लगातार 10000 वर्षों तक  विश्व का लीडर बना रहा |जिसमे आने के लिए दुनिया तरसती थी |
आजकल की पूंजीवादी शिक्षा व्यवस्था के मुकावले कई गुना अच्छा थी सनातन वैदिक गुरुकुलिया शिक्षा व्यवस्था | इस शिक्षा व्यवस्था व्यवस्था में समाज के हर वर्ग गरीब हो या आमीर सब के लिए शिक्षा  बिलकुल निशुल्क थी और भारत में साक्षरता की दर लगभग 100 % थी आजकल की पूंजीवादी शिक्षा व्यवस्था जहाँ व्यक्ति की रचनात्मकता को ख़त्म कर देती है वहीँ सनातन वैदिक शिक्षा व्यवस्था व्यक्ति की रचनात्मकता को नया अवसर देती है | इसी शिक्षा व्यवस्था के कारण भारत में कई महान वैज्ञानिक जैसे आर्य भट्ट ,वराहमिहिर ,ब्रम्हगुप्त,ऋषि कणाद , महर्षि पाणिनि आदि पैदा हुए |इस तरह न्याय व्यवस्था का सनातनी माडल भी विद्यमान था ,जो सबको त्वरित , निशुल्क न्याय देता था लेकिन आजकल की पूंजीवादी न्याय व्यवस्था केवल अमीरों की जरखरीद गुलाम बनी हुई है।
सनातन भारत में सबके  लिए जमीन  मुफ्त में उपलब्ध थी जिसको भी सनातन टैक्सेशन सिस्टम दोबारा नियंत्रित किया जाता था आजकल की जमीन की पूंजीवादी व्यवस्था  ने गरीब ,जंगल और जानवर से जमीन छीन ली है। गरीब जंगल और जानवर के लिए आजकल की पूंजीवादी व्यवस्था में 2 गज जमीन भी नहीं है ।
इस तरह सनातन भारत में इन्वेस्टमेंट का मॉडल भी विद्यमान  था जोकि आजकल की पूंजीवादी इन्वेस्टमेंट मॉडल जैसे एफडी शेयर्स आदि से कहीं ज्यादा अच्छा था।
सनातन व्यवस्थाओं का मुख्य आधार परिवार व्यवस्था थी जबकि पूंजीवादी मॉडल कहता है कि अधिक से अधिक लाभ कमाने के लिए परिवार व्यवस्था को तोड़ा जाए ताकि आप हर चीज बाजार से खरीदें। जोमैटो और swiggy जैसी कंपनियां इसलिए शुरू हुई है ताकि आपको भोजन भी बाजार से खरीद कर खाना पड़े आप बाजार से भोजन तभी खरीदोगे अगर आपका परिवार टूट जाए ।
यहां पर हमने केवल इस बात को रखा है कि आजकल की पूंजीवादी व्यवस्था के विकल्प के रूप में एक बहुत अच्छा और well proven सनातन मॉडल भी उपलब्ध था इसकी विस्तार से चर्चा हम अपने आने वाली लेखों में करेंगे ।
हम अपने लेखों के माध्यम से यह समझने का प्रयास करेंगे कि कैसे बैंकों के कारण विश्व भर में महंगाई बेरोजगारी आदि बढ़ी है और बैंक पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। हम अपने आने वाले लेखों के माध्यम से शेयर मार्केट को भी expose करेंगे कि कैसे शेयर मार्केट से पैसा नीचे से ऊपर मने गरीब से अमीर की तरफ जाता है l
Information warfare जिस के मुख्य साधन टीवी अखबार फिल्में आदि हैं , कैसे दुष्प्रचार करके पूंजीवादी व्यवस्था को आगे बढ़ता  है, इसको भी  expose किया जाएगा।
अंत में,  मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि अगर हम पूंजीवादी मॉडल के सामने सनातनी व्यवस्थाओं का विकल्प रखें तो कैसे यह पूंजीवादी व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी ।उदाहरण के लिए पहले पूंजीवादी चिकित्सा व्यवस्था एलोपैथी ही इलाज का एकमात्र साधन थी। जब हमने वैदिक सनातन आयुर्वेद का विकल्प लोगों के सामने रखा तो एलोपैथी के पैर उखड़ने लगे ।अभी तो एलोपैथी को पूर्ण सरकारी संरक्षण प्राप्त है। कुल हेल्थ बजट का लगभग 98 % एलोपैथी पर खर्च होने के बावजूद भी एलोपैथी आयुर्वेद के सामने टिक नहीं पा रही।
इस तरह हमे एक एक करके पूंजीवादी व्यवस्थाओं का सनातनी विकल्प लोगों के सामने रखना होगा ।देर सबेर जब लोग पूंजीवादी व्यवस्थाओं से दुखी होंगे तो पूंजीवाद का किला ढह जाएगा और सनातन का सूर्य पुण्य उदय होगा और सनातन सारे देशों में फैल जाएगा ।धन्यवाद।

दीपक कुमार द्विवेदी 

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