Ayodhya Ram Mandir: रामलला की मूर्तियाँ मुस्लिम शिल्पकार बना रहें हैं, ये खबर पूरी तरह भ्रामक हैं, कई मीडिया न्यूज हैंडल सच ना बता कर एक प्रॉपेगेंडा फैला रहे हैं!

मूर्तियाँ बनाने वालों के नाम आपको बता देता हूँ, आगे शेयर करके इनका प्रोपेगेंडा फैलाने से रोकना आप सब वायरल करके.. 
रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए मूर्तियां कर्नाटक और राजस्थान के मूर्तिकारों द्वारा बनाई गई हैं, जिनमें कर्नाटक के गणेश भट्ट और अरुण योगीराज के साथ जयपुर के कलाकार सत्यनारायण पांडे भी शामिल हैं। 

जमालुद्दीन और उसका बेटा बिट्टू जो मूर्ति बना रहें हैं वो राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए जो समारोह होगा, उसमें मंदिर के आस-पास सजाने के लिए जो फाइबर कीं मूर्तियाँ बन रही हैं – उन्हें जमालुद्दीन और उसका बेटा बिट्टू बना रहे थे। ये आदमकद मूर्तियाँ फाइबर की बनाई जा रही हैं, जिन्हें मंदिर परिसर में लगाया जाएगा। 
भगवान राम की कई मूर्तियाँ अयोध्या के मुख्य स्थलों जैसे चौराहें, पार्क, घाट, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड पर भी लगेंगी , उन्हे बनाने में जमालुद्दीन और उसका बेटा शामिल हैं। ये लोग मुख्य प्रतिमा नहीं बना रहे।

फाइबर की प्रतिमा जो मुख्यतः सजावट के लिए प्रयोग की जाती है, उन्हें मंदिर के भीतर स्थापित नहीं किया जाता। हमारे देश में अधिकतर मंदिरों में पत्थर की प्रतिमाएँ स्थापित की जाती हैं, 
वहीं त्योहारों के दौरान मिट्टी की मूर्तियाँ बनाई जाती हैं जिन्हें बाद में विसर्जित कर दिया जाता है। 

अयोध्या में रामलला की 3 मुख्य प्रतिमाएँ बन रही हैं, जिन्हें बनाने वाले शिल्पकार कर्नाटक के गणेश भट्ट और अरुण योगीराज के साथ जयपुर के कलाकार सत्यनारायण पांडे हैं। इन्हीं में से एक मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा और प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होगा।

वहीं जमालुद्दीन और उसका बेटा ऐसी मूर्तियाँ बना रहे जिन्हें मंदिर से बाहर लगाया जाना है और उन्हें बनाने में फाइबर का इस्तेमाल किया जाता है ताकि वो हर मौसम और परिस्थिति को बर्दाश्त कर सकें और सजाने में काम आ सके। 

जहाँ तक रामलला की मुख्य प्रतिमा की बात है, ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ के महासचिव चंपत राय ने बताया था कि गणेश भट्ट, कर्नाटक के अरुण योगीराज और जयपुर के सत्यनारायण पांडेय ये प्रतिमाएँ बना रहे हैं। 2 मूर्तियाँ कर्नाटक और एक राजस्थान के पत्थर से बन रहे हैं। नेपाल, ओडिशा और महाराष्ट्र से भी पत्थर आए थे, लेकिन उन्हें मुख्य प्रतिमा के लिए उपयुक्त नहीं पाया गया। गणेश भट्ट नेल्लिकारु रॉक (कृष्ण शिला) से मूर्ति बना रहे हैं। वहीं अरुण योगीराज केदारनाथ में शंकराचार्य की प्रतिमा गढ़ने के लिए जाने जाते हैं, जिसका लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।

इसलिए यें ट्वीट ओर कई मीडिया हैंडल द्वारा किए गए मुस्लिम शिल्पकार से संबंधित ट्वीट भ्रामक हैं, कुछ ने डिलीट कर दिये हैं, कुछ अब भी ट्वीट कर रहे हैं


सत्या चौधरी 

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