Capitalism and Communism: पूंजीवाद और कम्युनिज्म एक सिक्के के दो पहलू हैं


पूंजीवाद और कम्युनिज्म का मूल मन्त्र है MASS PRODUCTION BY LIMITED NO OF UNITS . दूसरी और सनातन माडल का मूल मन्त्र है SMALL PRODUCTION BY UNLIMTED NO OF UNITS . पूंजीवाद और communism की मूल अवधारणा एक है परन्तु सिर्फ ownership में अंतर है | पूंजीवाद में देश के संसाधनों पर कुछ व्यक्तियों का नियंत्रण होता है अपरोक्ष रूप से लोकतंत्र के नाम पर देश यही चंद पूंजीपति चलाते हैं । लोकतंत्र तो समाज को बांटने का षड्यंत्र है । सारी नीतियां इन्हीं चंद पूंजीपतियों के लिए बनाई जाती हैं । कम्युनिज्म में भी देश के सारे संसाधनों पर कुछ चंद लोगों का अधिकार होता है । यहां पर यह चंद लोग सरकार चला रहे होते हैं । पूंजी वाद में पूंजीपति सरकार के बाहर होते हैं लेकिन कम्युनिज्म यही पूंजीपति सरकार के अंदर होते हैं और खास बात यह है कि कम्युनिज्म में इन चंद लोगों को कोई पैसा भी नहीं लगाना पड़ता । कुल मिलाकर अगर पूंजीवाद नागनाथ है तो कम्युनिज्म सांप नाथ है । दोनों का प्रमुख उदेश्य देश के सारे संसाधनों पर कुछ व्यक्तियों पर नियंत्रण करना है । पूंजीवाद और कम्युनिज्म पेप्सी और कोका कोला की तरह है दोनों में कोई अंतर नहीं पर नाम अलग अलग है । इन दोनों का सही , प्राकृतिक विकल्प सनातन मॉडल है जो देश के धन और अधिकारों की बांट सभी लोगों में समान रूप में करने को यकीनी बनता है । सनातन मॉडल डिजाइन ही इस तरह से किया गया है कि किसी एक व्यक्ति के पास सारे अधिकार सीमित नहीं हो सकते । पूंजीवादी और कम्युनिस्टों के इंफॉर्मेशन वारफेयर में सनातन का सूर्य कुछ समय के लिए ढक लिया गया था । लेकिन अब इंटरनेट आने के बाद इंफॉर्मेशन वेयरफेयर के यह टूल जिनमें अख़बार ,टीवी शामिल हैं जल्द ही धराशाई होकर गिर पड़ेंगे और सनातन का सूर्य पुनः एक बार चमकेगा

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