Ayodhya : राम मंदिर आंदोलन को लेकर ओरछा की राम भक्ति रानी की कहानी जरूर पढ़ें

भईया जो कांग्रेस के इशारे पर इतना नाच रहे हे उन्हें ये कथा शायद पता भी न हो की जब मीर बाकि ने राम मंदिर तोड़ कर मस्जिद बना दी थीं तो वहा स्थापित रामलाला की मूर्ति सरयू में फिकवा दी थीं।
बुंदेलखंड के राजा अनन्य कृष्ण भक्त थे और रानी राम भक्त राजा इतने कृष्ण भक्त थे की वो राधा ही बन गए थे इससे महारानी बहुत चिंतित रहती थीं इस पर दोनों में विवाद हुआ तो राजा ने महारानी को उनसे राम के पास चले जाने को कह दिया रानी अयोध्या में आ कर रहने लगी अयोध्या नष्ट हो चुकी थीं पर वो वही आश्रम में रहने लगी राम को खोजने निकली थीं एक दिन उन्होंने प्रण किया की आज अगर राम नही मिले तो प्राण त्याग देंगी, कहते हे की डुबकी लगाते समय ही रामलाला उनकी गोद में आगए,
उधर रानी के जाने के बाद जब राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ तो उन्होंने एक भव्य राम मंदिर अपने महल के ठीक सामने बेतवा नदी के उस पाr बनवाना शुरू कर दिया रानी को रामलाला के साथ राजा ने वापिस आने का आग्रह किया वैसे भी अयोध्या में उनका मंदिर अब था नही , जब रानी वापिस पहुंची तब तक मंदिर का गर्भ गृह बन चुका था मंदिर पूरा नहीं बना था, तो उनकी राज रसोई में ही भगवान को स्थापित कर नियमित भोग लगाने लगी मन्दिर पूरा बनने में 12वर्ष का समय लग गया, ऐसी लोकोक्ति हे कि मंदिर पूरा होने के बाद राम लला वहा से हिले ही नही, आज भी वो मूर्ति वही स्थापित हे राम जी को कहा रहना हे राम जी की मर्जी हे उनके नाम पर जो ये राजनीति का पाप कर रहें हे राम उनको माफ करे ऐसी प्रार्थना हे,बुंदेलखंड में ओरछा के राजा आज भी राम लला ही हे और उन्हें राम राजा सरकार कहा जाता हे,

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