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मानव शरीर भी द्रव्य और ऊर्जा का संयोग ही है| आत्मा कभी न खत्म होने वाली ऊर्जा है और नश्वर शरीर द्रव्य||
न जायते म्रियते वा कदाचि-
न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः|
अजो नित्यः शाश्वतोड्यं पुराणो-
न हन्यते हन्यमाने शरीरे || 20|| अध्याय 2
यह आत्मा किसी काल मे न तो जन्मता है और न ही मरता है तथा न यह उत्पन्नहोकर फिर होने वाला ही है; क्योंकि यह अजन्मा , नित्य ,सनातन और पुरातन है; शरीर के मारे जाने पर भी यह नही मारा जाता|
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय
नवानि गृह्णाति नरोपराणि |
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा -
न्यन्यानि संयाति नवानि देही || 22||
जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रोंको त्यागकर दूसरे नये वस्त्रो को धारण करता है , वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीरोंको त्यागकर दूसरे नये शरीरो को प्राप्त करता है||
इन सिंपल वर्ड वी कैन से दैट -
"एनर्जी कैन नाइदर बी क्रिएटेड नॉर बी डिस्ट्रॉयड, इट कैन ओनली ट्रांसफर्ड टू वन बॉडी टू एनादर बाडी|" दैट्स मीन्ट , एनर्जी इज़ कंजर्व्ड ||
बोलिए सत्यनारायण भगवान की जय 🙏🏻❣️
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