नीतीश कुमार फिर पलटी क्यो मारना चाहते हैं पढ़ें पूरी खबर

अगले दो तीन दिन में नीतीश कुमार सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। भाजपा इस बार 70% लोकसभा सीटों को अपने पास रखने का प्रयास कर रही है, हालाँकि नीतीश कुमार पिछली वाली सीट शेयरिंग ही चाहते हैं लेकिन उनके पास फ़िलहाल न बहुत विकल्प है और न ही बहुत ताक़त। 
यदि यह हुआ तो बिहार में भाजपा के संगठन के बढ़ावा पर ब्रेक तो लगेगा लेकिन बाक़ी जगह ठीकठाक फ़ायदा मिलने वाला है। यदि डील फाइनल हुई तो नीतीश कुमार को फूलपुर से लड़ाकर जो इंडी गठबंधन भाजपा से ओबीसी ख़ासकर कुर्मी कोइरी वोटरों को अलग करना चाहता था वह दाव भी उल्टा पड़ सकता है। नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना से बड़ी उम्मीदें पाली हुई थी लेकिन नरेंद्र मोदी के विकास के एजेंडे ने जातीय विभाजन की इस राजनीति की हवा निकाल दी, ऐसे में नीतीश कुमार के पास ऐसा कोई बड़ा दाव नहीं बचा था जिससे वह अपने लिए केंद्र में कोई रास्ता निकाल पाएँ। मोदी सरकार द्वारा निर्मित रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट ने उल्टा भूमिवान ओबीसी जातियों के जागरूक नेताओं को डरा और दिया। 
नीतीश कुमार हालाँकि अकेले कुर्मी नेता नहीं हैं। उनके समानांतर देश में एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र से, भूपेन्द्र पटेल गुजरात से, प्रमोद सावंत गोवा से वर्तमान में मुख्यमंत्री हैं जबकि छतीसगढ़ में भूपेश बघेल, तेलंगाना में चंद्रशेखर अभी कुछ दिन पहले तक मुख्यमंत्री थे। मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी नाम प्रमुख है। लेकिन यह बात भी सत्य है कि पक्ष विपक्ष इन सब में अपना दल - सोनेलाल के अतिरिक्त नीतीश कुमार एक मात्र जातिवादी कुर्मियों के ठेकेदार समझे जाते हैं। फ़िलहाल कुर्मी वोटर थोड़े दोराहे पर हैं लेकिन यदि नीतीश भाजपा की तरफ़ आते हैं तो इसका प्रभाव बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश समेत महाराष्ट्र में भी पड़ेगा जो भाजपा के लिए लाभप्रद होगा। गुजरात हालाँकि अछूता रहेगा क्यूँकि वहाँ का पाटीदार समाज हिंदुत्वनिष्ठ, समझदार और मज़बूत है। पटेल आंदोलन जैसे आंदोलनों के बावजूद भाजपा के साथ पाटीदार समाज का समर्थन बना हुआ है। बिहार भाजपा के कार्यकर्ता इस गठबंधन से निश्चित ही निराश होंगे क्योंकि वह वहाँ नये सिरे से अपने दम पर तेज़ी से संगठन निर्माण कर रहे थे जो इस गठबंधन से नकारात्मक तौर पर प्रभावित होगा। 
फ़िलहाल इस सारे समीकरण का कन्फर्मेशन आना बाक़ी है। संभवतः परसों तक सब कुछ निश्चित हो जाएगा।

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