Loksabha election 2024 : क्या 400 पार भाजपा कर पाएगी क्या कहते समीकरण

बीजेपी पीएम मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार केंद्र के लिये चुनाव में निकलेगी। भाजपा हाई-कमान ने 2024 लोकसभा चुनाव के लिए जिस आँकड़े को टारगेट में लिया है न, 400 लोकसभा सांसद का ऐतिहासिक आँकड़ा कार्यकर्ताओं के बीच रखा है। 

2014 में 272 के साथ गये थे और परिणाम में 282 मिला। फिर 2019 को 300 में रखा, नतीजन 303 प्राप्त किया। 

बीजेपी 2024 को ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम स्पिरिट की तरह लड़ने के मूड में है इसका प्रयोग 2022 गुजरात विधानसभा में कर चुके है और सफलता भी मिली है।

ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम की आईसीसी वर्ल्ड कप या कहे आईसीसी टूर्नामेंट में स्पिरिट जो रहती है, सामने वाली टीम को ऐसा मारो कि उठ न सके। कोई ऑप्शन न बचे।

2023 का वर्ल्ड कप फाइनल याद है, भारत बिना कोई मैच हारे फाइनल में पहुँचा था, लेकिन ऑस्ट्रेलिया गिरते पड़ते सेमी-फाइनल तक पहुँची। सेमी-फाइनल और फाइनल में ऑस्ट्रेलिया मॉन्स्टर बन जाती है स्पिरिट में अलग ही रुतबा देखने को मिलता है। पहली गेंद से अपने प्रतिद्वंदी को कूटना शुरू करते है आख़िर तक ढील नहीं छोड़ते है। जीतने तक कूटते रहते है।

बीजेपी भी 2024 में विपक्ष के लिए कोई ऑप्शन छोड़ने के मूड में क़तई नहीं है, अब नतीजा क्या रहेगा। इसका खुलासा भविष्य करेगा।

इंडी गठबंधन की सभी संभावनाओं को नीतीश कुमार के साथ बिखेर देना चाहती है। ताकि कोई चुनौती खड़ी न हो पाये। इस सिलसिले में बीजेपी हर उस पॉइंट को एड्रेस करेगी, जो विपक्ष को तोड़ने में कारगर साबित होगा। इसे ही राजनीति कहते है। पुरानी बीजेपी और नई बीजेपी में मेजर फर्क जो है न, एग्रेसिव मोड में चुनाव लड़ना। इसमें कृष्ण और चाणक्य नीति का समावेश है, कब कौनसा दावँ चलना है। 

गुजरात में भाजपा पूर्व मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी के रिकॉर्ड को ब्रेक करना चाहती थी। 2002,2007,2012 तक मोदी के नेतृत्व में कोशिश की। लेकिन सफल न हुए। फिर मोदी के मार्गदर्शन में 2017 लड़े यहाँ जीतने में पसीने आये। ऐसा पहली बार था, लेकिन 2017 के बाद बीजेपी ने 2022 को पूरी तरह तोड़कर जीतने का लक्ष्य रखा। 

150 के आँकड़े में 156 लेकर गांधीनगर गये,विपक्ष लगभग सिमट गया। माधव सिंह का रिकॉर्ड तोड़ डाला। 

केंद्र में पहली बार ग़ैर कांग्रेसी सरकार पूर्ण बहुमत के साथ मोदी ने बनाई। दूसरे टर्म में 300 की संख्या रखी और अब राजीव गांधी के 400 को तोड़ने का प्लान है। 

नरेंद्र मोदी अपने चुनाव कभी भी हल्के में नहीं लड़ते है स्वयं होम वर्क करके मैदान में उतरते है। 2024 में साउथ ब्लॉक में संभावनाएँ बना रहे है। पाँच भाषायी क्षेत्र में 60 का गोल सेट किया है और अन्नामलाई के साथ मिलकर कार्य हो रहा है। अन्ना के कहने पर अपने गठबंधन को छोड़ दिया। मोदी, शाह और नड्डा दौरे कर रहे है। 

जातिगत नेताओं को एक दावँ से असमंजस में कर दिया है उन्हें समझ न आ रहा है कि क्या प्रतिक्रिया दें। मोदी राजनीति में कच्ची गोटियाँ नहीं खेलते है। तिस पर अभी उनका जनता से संवाद बाकी है। समय आने पर करेंगे। 

फिलहाल देश राममय है। 
कोई कुछ भी कहे, राजनीति में सटीक चाल ही एज में रखती है। अब नीतीश बाबू लौट रहे है न, भविष्य में पलटने वाली स्थिति में नहीं रहेंगे।

टिप्पणियाँ