बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगना चाहिए की नहीं जानने के पढे पूरा आलेख

मै कल तक बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगानें के पक्ष में नहीं था । आज की स्थिति देखते हुए लग रहा बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगानें के अलावा कोई विकल्प नहीं है । फिर भी एक चिंता बंगाली भद्रलोक की है जो आज भी धृतराष्ट्र की तरह व्यवहार कर रहा है । बंगाली की समास्या के मूल में भद्रलोक ही है । कल सप्ताहिक बौद्धिक मिलन में बंगाल और पंजाब के विषय पर बहुत लम्बी चर्चा की है।
मुझे पता सरकार राष्ट्रपति शासन लगानें का जोखिम भद्रलोक के कारण नहीं उठा रही है । क्योंकि बंगाल में हिन्दूओं खिलाफ इतना अत्याचार हो रहा है बंगाली अस्मिता को जेहादियों द्वारा बार बार तार तार किया जा रहा है फिर भी बंगाली भद्रलोक ममता बनर्जी के साथ मजबूती से खड़ा है ।जब तक बंगाली भद्रलोक का श्रेष्ठता बोध का अंहकार समाप्त नहीं होगा तब तक बंगाल एक समास्या के रूप में खड़ा रहेगा ।2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 38% मत मिले थे टीएमसी को 48% मिले थे बंगाल में मुस्लिम आबादी 28% है 20 से 21% हिंदुओं ने ही ममता बनर्जी को वोट दिया था ।
यहां तक बंगाल विधानसभा चुनाव में बंगाल को भारत से अलग करके ग्रेटर बंगाल में बनाने का विमर्श बंगाली भद्रलोक ने चलाया था जिसके कारण ममता बनर्जी को इतनी बड़ी जीत मिली थी।जब तक इस्लामिक जेहादी कश्मीरी पंडितों की तरह भद्रलोक का पीट पीट कर पिछवाड़ा लाल नहीं करेंगे तब तक बंगाली भद्रलोक की अक्ल ठिकाने नहीं आएगी ‌।बंगाल को भारत से अलग करके ग्रेटर बंगाल बनाने का सपना पाले भद्रलोक के लिए इस तरह की भाषा का उपयोग करना चाहिए ‌। क्योंकि कुछ लोग ऐसे होते जो लातो के भूत होते हैं बातो से नहीं मानते हैं ‌।जिस दिन भद्रलोक की बहन बेटियों साथ जेहादी यही करना शुरू कर दिए भद्रलोक भी लाइन आ जाएगा नहीं आया तो कश्मीरी पंडितों जैसा हश्र भद्रलोक का होगा। महाकाली जब न्याय करेगी तो बहुत लोग को एक गज जमीन भी नहीं मिलेगीजो लोग धर्म के मूल सिद्धांतो से कट गए उन्हें इस दुनिया की कोई शक्ति नहीं बचा सकता है । धर्म का मूल सनातन वैदिक धर्म के सिद्धांत है जो हिंदू सनातन वैदिक धर्म के सिद्धांतो से हट गया उसका विनाश तय है ।

कई मित्र कहते असम में 35% मुस्लिम है फिर भी असम में भाजपा कैसे जीत गई है । उन लोगो को यह समझना चाहिए असम का हिंदू अपने मूल स्वरूप से कभी नहीं हटा अपने मूल विचार सिद्धांत पर अडिग रहा है जिसके कारण सभ्यता की लड़ाई को लड़ रहा है और बड़ी बढ़त भी बना चुका है। उसके विपरीत बंगाली हिंदू पिछले 150 वर्ष से अपने मूल विचार और सिद्धांतो से दूर होता गया है गया आज उसे न हिंदू धर्म से कोई मतलब है न उससे अपने बंगाली सभ्यता के मूल सिद्धांतो से कोई मतलब है । उसे आयातित सनातन विरोधी विचारों सिद्धांतो से मतलब है । कोई हिंदू संगठन बंगाली हिंदू सनातन हिन्दू धर्म और बंगाली हिंदू संस्कृति के मूल सिद्धांतो साथ जोड़ने का प्रयत्न करता है तो उस समाज एक वर्ग उसे अपना शत्रु समझ लेता है यहां तक कहता हुआ मिल जाता है बंगाल इस्लामिक देश बन गया तो हम मुस्लिम कल्चर स्वीकार कर लेंगे हमारी बंगाली पहचान तो रहेगी इन मूढो को कौन समझाए ये इस्लामिक जेहादी जहां भी गए हैं वही की सभ्यता और कल्चर और पहचान को नष्ट करके अरबी पहचान थोप दिए हैं। बंगाली हिंदू समाज के पास अभी अपने मूल विचार और सिद्धांतो की ओर लौटने का समय है अपने मूल और सिद्धांतो की ओर नहीं लौटे तो महाविनाशक होगा उस महाविनाशक कोई नहीं रोक सकता है भगवान श्री हरि भी उन्ही की रक्षा करते हैं जो अपनी रक्षा स्वयं करते हैं और अपने मूल विचार धर्म के लिए संघर्ष करते हैं जो संघर्ष नहीं करते हैं वो इतिहास बन जाते हैं ‌।सनातन वैदिक धर्म के मूल सिद्धांतो से जो हटा वो मिट गया । यहां तक उसका नाम लेने वाला भी नहीं बचा। इसलिए अभी भी समय सनातन वैदिक धर्म के मूल सिद्धांतो की ओर लौटिए नहीं तो मिटने के लिए तैयार रहें हैं।

दीपक कुमार द्विवेदी

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