मुगलों से हार न मानने वाले संत रविदास जयंती पर शत-शत नमन

🔸️मुगलों से हार न मानने वाले  संत_रविदास_जयंती पर शत-शत नमन🙏
🔸️सिकंदरलोदी के समय में जब हिन्दू संत रविदास का प्रभाव बढ़ने लगा तो सिकंदर घबरा गया...
🔸️सिकंदर लोदी ने सदना कसाई को संत रविदास को मुतल'मान बनाने के लिए भेजा। वह जानता था कि यदि संत रविदास इस्स्लाम स्वीकार लेते हैं तो भारत में बहुत बड़ी संख्या में हिन्दू इस्स्लाम स्वीकार कर लेंगे...
🔸️लेकिन उसकी सोच धरी की धरी रह गई, स्वयं सदना कसाई शास्त्रार्थ में पराजित हो कोई उत्तर न दे सका और संत रविदास की भक्ति से प्रभावित होकर उनका भक्त यानी वैष्णव (हिन्दू) हो गया...
🔸️उनका नाम सदना कसाई से रामदास हो गया और अब रविदास और रामदास दोनों संत मिलकर हिन्दू धर्म के प्रचार में लग गए...
🔸️क्रोधित होकर सिकंदर लोदी ने संत रविदास को कारावास में डाल दिया। उनसे कारावास में खाल खिचवाने, खाल-चमड़ा पीटने, जूती बनाने इत्यादि काम बलपूर्वक कराया गया...
🔸️उन्हें मुतल'मान बनाने के लिए बहुत शारीरिक कष्ट दिए गए लेकिन संत रविदास ने कहा :
”वेद धर्म सबसे बड़ा,
अनुपम सच्चा ज्ञान,
फिर मैं क्यों छोडूं इसे,
पढ़ लूं झूठ कुरान.
वेद धर्म छोडूं नहीं,
कोसिस करो हजार,
तिल-तिल काटो चाहि,
गोदो अंग कटार...
🔸कठोर ️यातनायें सहने के पश्चात् भी वे अपने वैदिक धर्म पर अडिग रहे और अपने अनुयायियों को विधर्मी होने से बचा लिया...
🔸️ऐसे थे हमारे महान संत रविदास जिन्होंने धर्म, देश रक्षार्थ अपना जीवन दांव पर लगा दिया...
🔸️शीघ्र ही चंवर वंश के वीरों ने दिल्ली को घेर लिया और सिकन्दर लोदी को भयभीत होकर संत रविदास को छोड़ना ही पड़ा.

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