हिमाचल प्रदेश में (और उत्तरप्रदेश-बिहार में भी) जो कुछ हुआ है वह विपक्ष के निकम्मे, अपरिपक्व तथा अदूरदर्शी नेतृत्व का परिणाम है, भले ही आप ठीकरा किसी के ऊपर भी फोड़ते रहें.

हिमाचल प्रदेश में (और उत्तरप्रदेश-बिहार में भी) जो कुछ हुआ है वह विपक्ष के निकम्मे, अपरिपक्व तथा अदूरदर्शी नेतृत्व का परिणाम है, भले ही आप ठीकरा किसी के ऊपर भी फोड़ते रहें.
1️⃣.आप चुनाव किसी और की मेहनत से जीतो और मुख्यमंत्री किसी और को बना दो. हिमाचल में चुनाव प्रतिभा सिंह और विक्रमादित्य सिंह के परिश्रम से जीता और सुखविंदर सिंह सुक्कू को पैराशूट से उतारकर मुख्यमंत्री बना दिया. यही काम मध्यप्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक में भी किया था; जहां चुनाव सिंधिया, पायलट, शिवकुमार के कारण जीता और मुख्यमंत्री बने खानदान के खास कमलनाथ, गहलोत और सिद्धारमैया.
2️⃣.जो लोग जमीन पर काम करने वाले निष्ठावान समर्पित कार्यकर्ता हैं उनके स्थान पर आप चाटुकारों को वरीयता दें, निष्ठावान जमीनी नेताओं को साल-साल भर तक मिलने का समय ना दें और जब निष्ठावान कार्यकर्ता कुंठित होकर साथ छोड़ दें तो आप लोकतंत्र का रोना रोएं. अरे भाई लोकतंत्र जन भावना और जनता के प्रतिनिधियों की भावना को समझने का ही नाम है, देशद्रोहियों की चांडाल चौकड़ी बनाकर अय्याशी करने का नाम नहीं.
3️⃣.जमीन से कटे हुए आपके नेता हिंदुओं के देवी-देवताओं, हिंदुओं की मान्यताओं, हिंदुओं की संस्कृति का अपमान करते रहें, उनका मखौल बनाते रहे और आप चुप बैठे रहे. फिर दो-चार बार कोट के ऊपर जनेऊ पहनकर, त्रिपुण्ड लगाकर, मंदिर जाकर आप सोचें कि भारत की धर्मनिष्ठ जनता को मूर्ख बना लेंगे तो यह आपकी मूर्खता है. हिंदुओं के लगातार अपमान से आपकी पार्टी के कुछ हिंदू विधायकों का आत्मसम्मान जागना स्वाभाविक है क्योंकि उन्हे इसी समाज के बीच रहना है और उनके बुजुर्ग, उनके नाते-रिश्तेदार, मित्र भी उनकी पार्टी के हिंदू-विरोधी, देश-विरोधी रवैये पर उनकी चुप्पी को लेकर उन्हें दुत्कारते होंगे.
4️⃣.जब राज्यसभा के चुनाव की गतिविधियां चल रही थीं तो स्पष्ट दिखाई दे रहा था कि विधायकों में असंतोष है, आंतरिक उथल-पुथल है. ऐसे में आपका सबसे बड़ा नेता (भले ही कितना ही निकम्मा क्यों ना हो), स्थिति को संभालने के बजाय विदेश में जाकर अय्याशी कर रहा है. उसकी प्राथमिकता एक विश्वविद्यालय में जाकर भाषण देना है, राजनीतिक प्रबंधन करना नहीं.

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