दुग्धपान के विरुद्ध वैश्विक प्रोपेगंडा का सच जानने के लिए पढ़ें पूरा आलेख

बचपन में जब विदेशी कंपनियों को अपना माल (लैक्टोजेन - 1 , 2 , 3 , 4 ) भारत सहित अन्य विकासशील देशों में बेचना था तो उन्होंने एक साजिश रची । भारत की नारियों के मन में छिपे एक डर मतलब उम्रदराज होने का डर/शरीर का फिगर ( यहां फिगर से मतलब शरीर के कसाव से है ) बिगड़ने का डर का एक कारण उन्होंने स्तनपान ( Breast Feeding ) को बताया ।
इस बात का प्रचार - प्रसार उन्होंने समाचार पत्रों , रेडियो के माध्यम से खूब किया ।
और तो और , सुडौल नारी देह को दिखाने के लिए विभिन्न स्तरों पर ब्यूटी - कॉन्टेस्ट कराए ,जो आज भी बदस्तूर जारी है । छद्म रूप से नारी की स्वतंत्रता के रूप में प्रचारित इन ब्यूटी कॉन्टेस्टों के माध्यम से युवाओं के भ्रमणशील खोजी मन को भारत की संस्कृति के विरुद्ध परोसा गया और विकृत करने की कोशिश की गई । इन नारियों के सौंदर्य का राज ब्रांडेड साबुनों , सौंदर्य - सामग्रियों के साथ - साथ उनके शरीर का वह राज ( स्तनपान ना या कम करना ) बताया कि कैसे हमारे समाज की फलां आंटी आज भी युवती दिखती हैं । उनका शरीर कैसे आज भी मेंटेंड है । धीरे - धीरे महिलाओं के कोमल मन में अपने शरीर के सौंदर्य के प्रति एक अज्ञात लगाव और स्तनपान के विरुद्ध एक दूरी बिठाया गया । पत्र - पत्रिकाओं, समाचार पत्रों , रेडियो , टेलीविजन , मोबाइल फोन के माध्यम से इसे प्रचारित - प्रसारित किया गया और आज भी जारी है ।

अब मैं पुराने समय में लौटता हूं ।
उस समय भी मेरे बालमन में यह प्रश्न उठता था कि क्या दुनिया का अन्य कोई जीव ऐसा है जिसने प्रकृतिगत इस कार्य को अपने फिगर बिगड़ने के डर से छोड़ दिया ? अगर नहीं तो मनुष्यों के साथ ऐसा क्यों ?

बाद में जब चिकित्सा विज्ञान पढ़ा तो पता चला कि स्तनधारी जीवों के लिए स्तनपान के क्या फायदे हैं ? यह क्यों आवश्यक है ?

आज अब अस्पतालों में स्तनपान कराने के फायदे आशा ( शहरी अस्पतालों में उषा ) से लेकर ममता और चिकित्सक समुदाय करते हैं । 
दरअसल हमारी बौद्धिक परतंत्रता ने हमारे समाज को बौद्धिक रूप से दिवालिया कर दिया है ।

इसी क्रम में आपके द्वारा प्रेषित यह तथ्य कि अब बीबीसी हमें बताएगा कि हमें दुग्धपान करना कितना नुकसानदेह है ? पर मेरी नजर गई और मैंने अपने विचार प्रकट किए ।

आपका भाई ,
नीरज ।🙏

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