हिंदू जितना संगठित होगा और आर्थिक समाजिक राजनैतिक रूप से मजबूत होगा उतनी ही तेजी भारत का उत्थान वैश्विक स्तर पर होगा हिंदू समाज जितना विखंडित होगा आर्थिक समाजिक राजनैतिक रूप से कमजोर होगा उतनी ही तेजी भारत की अवनति वैश्विक स्तर पर होगी अब हिंदू समाज को तय करना उसे किस रास्ते पर चलना है।
हिंदू धर्म उत्थान कैसे हो सकता है?
संपन्नता का आधार साम्यवाद या समाजवाद नहीं है संपन्नता का आधार सनातनी हिन्दू आर्थिक चिंतन और खुले बाजार की व्यवस्था है। अर्थात हम लोग अर्थ की देवी माता लक्ष्मी की पूजा करने वाली संस्कृति को मानने वाले लोग हैं फिर भी दुर्भाग्यवश आब्रहिमक विचारों के प्रभाव में आकर अपने मूल चिंतन को भूल गए जिसका परिणाम यह हुआ कि कभी हम दुनिया की जीडीपी में 50% योगदान देते थे आज हम 2% योगदान दे रहा है ऐसा क्या पिछले 300 से 400 वर्षों में क्या हुआ कि हम पथभ्रष्ट हो गए और सरकारों को अपना माई बाप मानने लग गए हमारे यहां तो कहवात प्रचलित थी कोउ नृप होई हमै का हानि…अर्थात हम आर्थिक समाजिक रूप से इतने मजबूत हो जाए कोई सत्ता में रहे हमे कोई फर्क नहीं पड़ता था। इसलिए हमें फिर उस स्थिति पर पहुंचना है तो अर्थ की देवी माता लक्ष्मी को साधना के माध्यम से सिद्ध करना पड़ेगा हमें आर्थिक समाजिक आध्यात्मिक राजनीतिक और वैज्ञानिक रूप से बहुत मजबूत होना पड़ेगा
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