Dharmayoddha movie : बड़े पर्दे पर दिखेगी हिंदू शौर्य गाथा की अमर कहानी धर्मयोद्धा, वामपंथियों के जातिगत विभाजन के विमर्श को करेगी ध्वस्त

22 मार्च को रिलीज हो रही धर्म योद्धा फिल्म का ट्रेलर देखकर सहज अनुमान लगाया जा सकता है की बहुत छोटी जगह से बहुत बड़े सब्जेक्ट पर फिल्म बनाने का साहस किया गया है फिल्म में रोंगटे खड़े करने वाले सीन है जिसमें पाखाना उठा रहे हिंदू योद्धा द्वारा हिंदू हुं हिंदू ही मरूंगा या राजा हार सकता है सेनाएं हार सकती है लेकिन जनता नहीं यह फिल्म बहुत छोटे बजट में बनाई गई है मगर इसका कैनवास बहुत बड़ा है बैक ग्राउंड म्यूजिक में देश भक्ति गीत हे जन्म भूमि भारत रोमांचित कर रहा है जिस तरह से फिल्म उद्योग में हजार करोड़ की फिल्में बनने लगी है ऐसे में छोटे बजट में केवल परिवार छात्र आदि जैसे सीमित विषयों पर ही फिल्में बनाई जा सकती है मगर धर्म योद्धा के ट्रेलर में स्पष्ट हो रहा है कि यह फिल्म पद्मावती का भाग दो है क्योंकि पद्मावती में अलाउद्दीन के अत्याचार और रानी के जौहर की कहानी है मगर जिन महापुरुषों ने उसे अत्याचारी से बदला लिया और हिंदुओं का राज्य धर्म आदि वापस किया उसे किसी भी चित्रण में स्थान नहीं मिल पाया ट्रेलर में कैप्शन है खिलजियों का खात्मा करने वालों की कहानी जबकि तत्कालीन इतिहास की दस्तावेज इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम पर प्रचुर सूचनाओं उपलब्ध कराते हैं अगर हम इतिहास में 1312 से 1320 के बीच में देखें तो उसे समय दिल्ली राज्य के महत्वपूर्ण घटनाक्रम में देवल देवी खुसरो शाह के पराक्रम को देखा जा सकता है इनके द्वारा किए गए सारे अभियान में एक रोमांचक कथा के सारे तत्व मौजूद है फिर भी इस पर कभी भी कोई काम नहीं हुआ
फिल्म धर्मयोद्धा मध्यकालीन इतिहास के शोध पर आधारित है। भारतीय जीवन पद्धति में कहीं पर भी घर के अंदर पाख़ाना जाने की व्यवस्था नहीं थी, तो पाख़ाना साफ़ करने वाली जाति कहाँ से पैदा हो गई ? कौन हैं ये लोग जो आज तक इस दर्द को झेल रहे हैं। अलाउद्दीन खिलजी ने अपने अत्याचार प्रशासनिक कौशल युद्ध अभियानों से संपूर्ण भारत को कँपा दिया और 10 वर्ष के अंदर उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक सभी राजाओं को नेस्तनाबूद कर दिया, लेकिन खिलजी के संपूर्ण राज्य को समाप्त कर और केवल 5 वर्षों के अंदर हिंदुओं ने अपना गौरव वापस पा लिया और तुगलक सत्ता केवल दिल्ली में 2 किलोमीटर के दायरे में सिमट गई। हिंदू राज्य को वापस दिलाने में जिन महानायकों ने काम किया, उसमें प्रमुख बघेल राजकुमारी देवल देवी और हिंदू से मुसलमान बने खुसरो शाह थे, जो 6 माह तक दिल्ली के सुलतान रहे और भारतीय मुस्लिम कैसे होने चाहिए, ये आदर्श प्रस्तुत किया। भ्रष्ट किए गए हिंदुओं को शुद्धि का अवसर दिया, हिन्दुओं के राज्य वापस किए, लेकिन यह सफल गौरव गाथा का वर्तमान इतिहास में ज़िक्र नहीं है, जबकि अलाउद्दीन के तत्कालीन इतिहासकार इब्नबतूता एवम बरनी ने इस सफल विद्रोह का विस्तृत वर्णन किया है। भंगियों की दशा पर "पतित प्रभाकर", " मैं नाचूँ बहुत गोपाल" जैसी रचनाओं से संदर्भ लिए गए हैं। भारत भूमि पर हिंदू ध्वज के लिए बलिदान करने वाले भंगी खटीक जैसी वीर जातियों ने सूअर पालकर समाज को बचाया इन महानायकों को यह रचना एक आदरांजलि है।
उद्योग पूरी तरह से राष्ट्रवादी और वामपंथी घड़े में विभक्त हो चुका है मार्च माह में राष्ट्रवादी धड़े से आर्टिकल 370 सफल हो चुकी है तीन फिल्में बस्तर स्टोरी रजाकार स्वतंत्र वीर सावरकर आ रही है ऐसे में धर्म योद्धा को अपना स्थान बनाने के लिए कड़ी चुनौती मिलेगी हालांकि राष्ट्रवादी फिल्मों का एक बड़ा दर्शक वर्ग तैयार है लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर भाजपा का इको सिस्टम भी इन फिल्मों को सपोर्ट करेगा राष्ट्रवादी तत्वों ने काश्मीर फाइल्स केरला स्टोरी ग़दर 2 आर्टिकल 370को व्यापक सफलता दिलाई है ऐसे में धर्म योद्धा का आना एक नए तरह के विमर्श को जन्म देगा
फिल्म का निर्देशन ऋतिक रोशन अभिनीत काबिल के लेखक विजय कुमार मिश्रा ने किया है अभिनय में ज्यादातर कलाकार ड्रामा स्कूल के पूर्व छात्र हैं जिसमें देवल देवी की भूमिका में दीया मिश्रा सेनापति उत्तम कुमार खुसरो शाह योगी ध्यान खींच रहें हैं खिज्र खां शिवेश द्विवेदी मुबारक खिलजी शिव मोहन अलाउद्दीन खिलजी प्रसून अमीर खुसरो अमर कुमार भी अपनी भूमिका में जम रहे हैं फिल्म की लोकेशन शूटिंग आला दर्जे का है पर फिल्म की जान स्टोरी है जिसे सूरज नारायण ने लिखा है इस फ़िल्म के सफल होने पर छोटे बजट में बड़ी फिल्म बनाने का मार्ग प्रशस्त होगा

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें