दुनिया को आधुनिक उदार प्रगतिशील बनाने में लोकतंत्र का बहुत बड़ा योगदान है।

दुनिया को आधुनिक उदार प्रगतिशील बनाने में लोकतंत्र का बहुत बड़ा योगदान है। जैसे कहा जाता है सभी को मुक्त करने वाली विद्या को मुक्त किए जाने की आवश्यकता है ऐसी लोकतंत्र को अनेक आसुरी शक्तियों ने जकड़ लिया है जैसे ईश्वर और मानव के बीच में संबंधों को ठीक प्रकार से परिभाषित संचालित करने के लिए पुजारी चर्च मौलाना मंदिर आदि का संगठनात्मक  ढांचा खड़ा किया जाता हैऔर फिर यही दलाल बन बाधक बन जाते है लोकतंत्र के साथ भी यही हुआ । सबसे अच्छा लोकतंत्र तो प्रत्यक्ष लोकतंत्र है लेकिन आबादी बढ़ने से यह व्यवहारिक और संभव नहीं रहा। प्रतिनिधि लोकतंत्र का विचार आया इसे संचालित करने के लिए समान विचारधारा के लोगों के समूह ने राजनीतिक दल बना लिए इन राजनीतिक दलों में भी  आंतरिक लोकतंत्र समाप्त हो गया और वह एक परिवार या छोटे से समूह से संचालित होने लगा डेमोक्रेसी पार्टी क्रेसी और ओलिगोक्रेसी  में बदल गई। चुनाव अत्यंत  खर्चीले  होने के कारण कारपोरेट से बड़े चंदे लेकर लड़े जाने लगे और इस प्रकार राजनीतिक दल  कारपोरेट के पक्ष में तथा जनकल्याण की  उपेक्षा कर अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए समाज को वर्गों में  बांटने का काम करने लगे । अब्राहम लिंकन की लोकतंत्र की परिभाषा जो एक मंत्र बन चुकी है । जिसमें लोकतंत्र जनता का जनता के लिए जनता के द्वारा शासन है इसमें जनता के द्वारा में दो भाग है  पहला  जनता के द्वारा चुनाव (Election by people ) दूसरा जनता के द्वारा चयन (Selection by people) । 5 साल में एक बार जनता के द्वारा चुनाव तो हो जाता है मगर उम्मीदवार के सिलेक्शन से जनता को पूरी तरह से दूर रख कर प्रतीकात्मक लोकतंत्र बनता है असली और मजबूत लोकतंत्र नहीं। 
आधुनिक लोकतंत्र को प्राय: यूरोपीय विचार माना जाता है तथा संपूर्न विश्व में शासन के  सबसे उपयुक्त तरीके  लोकतंत्र के लिए संविधान चुनाव संसद सरकार राजनीतिक दल आदि का विश्लेषण करते समय इंग्लैंड में मैग्ना कार्टा, रक्तहीन क्रांति, फ्रांस की 1789 की क्रांति अमेरिका में 1776 का संविधान स्विट्जरलैंड की प्रत्यक्ष लोकतंत्र जैसे सारे उपक्रम यूरोप से आए हुए ही मान्य किए जाते हैं। मगर जैसा कि विभिन्न प्रमाणों से सिद्ध हो चुका है की विश्व में मान्य अधिकतम विचारों के मूल में भारतीय दर्शन और विचारक हैं। बाइबल कुरान  जैसे अब्राह्मिक पंथ की किताबों में पुराण गीता आदि की कथाएं और उपदेश प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
आधुनिक लोकतंत्र का विचार यूरोप से आया है लेकिन जब हम उसके उद्भव को देखते हैं तो भारतीय पुरान आदि ग्रंथों में उसके मूल स्रोत प्राप्त होते हैं। यूरोप के लोकतंत्र में सामाजिक समझौता का सिद्धांत एक प्रमुख सिद्धांत है। जिसे हॉब्स लॉक और रुसो ने प्रतिपादित किया लेकिन  पुराण के अनुसार वेन नामक दुष्ट राजा की हत्या के बाद जो अव्यवस्था उत्पन्न हुई तब पुरोहितों ने वेन के योग्य पुत्र पृथू एवं  समाज के बीच एक संविदा की गई जो उत्तरदाई राजा का महत्व पूर्ण घटनाक्रम है इसी कथा को यूरोप में नए ढंग से प्रस्तुत किया है कार्यपालिका का विधायिका के प्रति उत्तरदाई होना आधुनिक लोकतंत्र का प्रमुख लक्षण है जो सभा एवं समिति का आधुनिक रूप है। डॉ राधाकृष्णन ने Eastern religion and western though में  प्लेटो के दार्शनिक राजा तथा  राजाओं को दर्शन की शिक्षा देने समाज में उपलब्ध चार वर्ग का  वर्गीकरण जो ज्ञान शौर्य लाभ तथा तीनों की सेवा के लिए हैं इस  कार्य करने के  वर्गीकरण को भारत की वर्ण व्यवस्था बताया। लोगों की पूजा पद्धति बदल सकती है मगर उनकी जुबान नहीं बदलती इसलिए  इस्लामी देश बनने के बाद भी पाकिस्तान में पंजाबी और बांग्लादेश में बंगाली प्रचलित है। मजहबी अत्याचार की बढ़ोतरी से दार्शनिक आधार छिन्न-भिन्न होने से भाषा का विकास रुक जाता है।
संपूर्ण विश्व में सभी भाषाओं में संस्कृत शब्दों की  प्रचुरता पुरातात्विक उत्खनन में शिवलिंग देवी देवताओं की प्रतिमा की प्राप्ति यह सिद्ध करती है कि सनातन विचार का कार्यक्षेत्र संपूर्ण विश्व था लेकिन यह कार्य किसी राज्य सत्ता ने नहीं किया क्योंकि इतिहास में किसी भारतीय राजा द्वारा इस तरह के अभियान का कोई उल्लेख नहीं है। बल्कि यह कार्य हुआ है आध्यात्मिक सत्ता के द्वारा जिन्होंने चार वर्ण और चार आश्रम का विधिवत पालन किया। गुण एवं कर्म पर आधारित वर्ण व्यवस्था गुरुकुल संस्कारित विशाल जनसमुदाय कृष्णवंतो विश्वम आर्यम कुरु  के लिए संपूर्ण मानवता को उच्च कोटि का जीवन देने के लिए वानप्रस्थ आश्रम यानी  50 से 75 वर्ष तक सर्वे भवंतू सुखिन:  वसुधैव कुटुंबकम की उदात्त भावना ब्रह्म एवं क्षत्रिय बल से परिपूर्ण होकर कार्य करते थे । उन्हीं के प्रवास  से सर्वत्र दुनिया में भारतीयो के पराक्रम के  श्रेष्ठ उदाहरण निकल कर आते हैं। 16 वीं सदी तक यूरोप में कुछ भी उल्लेखनीय नहीं है पर पुनर्जागरण आते ही सौ  वर्षों के भीतर उन्होंने संपूर्ण विश्व का नेतृत्व एशिया  से छीन लिय और अभी तक वह दौर चल रहा है। मगर इस चमत्कार के पीछे भी एक भारतीय मनीषी हैं ऋषि हैं और वह हैं दारा शिकोह जिसने उपनिषदों का फारसी में अनुवाद करवा कर  ईरान भिजवाया जहां से ये यूरोप गए और वेदांत के  तत्व ज्ञान ने यूरोपीय मेधा को जागृत कर दिया और भारतीयों  ने उसी वक्त रोशनी के प्रतीक दारा शिकोह का साथ नहीं दिया उपेक्षा का पाप किया औरऔरंगजेब जैसा अंधेरा छा गया। शॉपेन हावर इमर्सन  जैसे विद्वानों की युरोप में बड़ी संख्या पैदा हुई तर्क वाद का जन्म हुआ धार्मिक सुधार आंदोलन, विज्ञान की क्रांति,  सामंतवाद का अंत,  मध्यम वर्ग का विकास,  यूरोपीय वाणिज्य से  साम्राज्यवाद आदि अनेक चरणबद्ध घटनाएं हुई। जब यूरोप सफल हो गया तो जैसे नव धनाढ्य वर्ग एंटीक चीजों को बोली में खरीद कर शानदार पुरखे ढूंढता है। ऐसे ही विरासत की खोज में एक डिबेट क्लब से मुश्किल से 4 नाम  निकल कर आए। सुकरात,  प्लेटो ,  अरस्तु ,  सिकंदर उन्हें सारी खोजों का श्रेय दिया गया और हम आत्महीन लोग ऐसा मान बैठे।  भूत कितना भी उज्जवल रहा हो यदि वर्तमान पीढ़ी ने उसे नहीं संभाला तो वह नष्ट होता ही है। हम योग्य पूर्वजों की नालायक संतान है ऐसा परिचय देना चाहिए। यह धरती वीर प्रसूता है। विश्व के कल्याण के लिए इसका प्रभावी नेतृत्व आना ही चाहिए। अर्नाल्ड     टायन्वी जैसे अनेक विद्वान ने वर्तमान की सारी समस्याओ का हल भारतीय दर्शन में बताया है शासन व्यवस्था के लिए लोकतंत्र का विचार भारतीय दर्शन से उत्पन्न हुआ है राजाओ का जन्म नहीं बल्कि योग्यता के आधार पर आमत्यो द्वारा चयन होता था राजा निरंकुश नही बल्कि धर्मदंड के अधीन होते थे यही परंपरा तो सांसदो द्वारा  प्रधानमंत्री के चयन और संसद की सर्वोच्च्ता का आधुनिक रूप हैअपने विरासत में ही समाज के क्रियाकलाप में लोकतंत्र के रचे बसे होने के  कारण भारत का लोकतंत्र जो अनेक तरह की  बहुलता और विभिन्न्ता के बावजूद सफल और प्रेरक रहा है वर्तमान में लोकतंत्र को जो चुनौती प्रप्त हो रही है  उसमें लोक तंत्र पर राजनीतिक दल द्वारा कब्जा करने की है लोकतंत्र स्थापित करने वाले दलो में खुद ही लोक तंत्र नही हैं इसकी पुनर्स्थापना  के लिए प्राइमरी  इलेक्शन श्रेष्ठ उपाय हो सकते हैं। भारत में योग्यता मापन और परीक्षण के लिए शौर्य महोत्सव उपधा परीक्षण आयोजित होते थे प्राइमरी इलेक्शन उसी का आधुनिक संस्करण है 

प्राइमरी इलेक्शन अनेक मोदी ढूढ़ने का तंत्र                                       

अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव अगले साल होने वाले है मगर उम्मीदवार की चयन प्रक्रिया अभी से चालू है इसे प्राइमरी इलेक्शन कहा जाता है  इसका आयोजन पार्टी ही करती है अमेरिका के प्रगतिशील आंदोलन के दौरान माँग हुई कि उम्मीदवार के नामांकन का अधिकार पार्टी पदाधिकारियों की जगह साधारण कार्यकर्ता को मिलना चाहिए जन दबाव में दोनों प्रमुख पार्टियों को इसे स्वीकारना पड़ा प्रयोग के तीन पर सभी मतदाताओं को उम्मीदवार चयन की छूट दी गई मगर विपक्षी मतदाताओं ने रणनीतिक मतदान कर कमजोर उम्मीदवार को जितवा दिया इसलिए अब पार्टी सदस्यों की ही राय ली जाती है इस सुधार के बाद पार्टियों को साधारण नागरिकों से डोनेसन मिलने लगा अब इसी पद्धति से स्थानीय राज्य और संघ के सभी चुनावों के लिए उम्मीदवार चुने जाते हैं भारत मे इस आंदोलन की बहुत आवश्यकता है क्योंकि टैक्स बचाने के लिए बोगस पार्टियों की भरमार है भाजपा के अलावा और किसी पार्टी में तो आंतरिक लोकतंत्र है ही नहीं भाजपा में भी मोदीजी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित करने में वरिष्ठ नेताओं ने हायतौबा मचाई थी उसे याद रखना चाहिए अंततः जनदबाव और अन्य कोई विकल्प नहीं होने पर उन्हें उम्मीदवार घोषित किया गया था मगर स्थानीय स्तर पर इस पार्टी में भी मठाधीशो की ही चल रही हैहर हर मोदी घर घर मोदी तभी सार्थक होगा जब हर घर हर गली हर विधानसभा और हर लोकसभा से मोदी निकलेंगे नहीं तो यह अन्य नारो की  तरह नारा बनेगा देश को बदलने वाला मंत्र नहीं अभी तो मोदी के पुण्यों को उनके ही पार्टी के भ्रष्ट नेता क्षरण कर रहे हैं लोग कहते हैं अकेले मोदी क्या कर पायेगा चारों तरफ तो चोरों की जमात है इसलिए बड़ी संख्या में सज्जन शक्ति को सामने लाने और उन्हें लोकप्रिय बनाने सशक्त विकल्प के तौर पर सामने रखने की आवश्यकता है समाज को सबसे अधिक प्रभावित करने वाला तंत्र राजनीति है क्योंकि शासन की सारी शक्ति उसी के पास है मगर भारत जैसे देश मे जहाँ सज्जन शक्ति का राजनीति में सदैव प्रभावी नियंत्रण की परंपरा हो वहाँ वर्तमान में इसे गंदा कहकर तटस्थ सज्जनों ने पूरी तरह से सक्रिय दुर्जनों के लिए वाक ओवर दे दिया है प्राइमरी इलेक्शन प्रत्येक लोकसभा एवं विधानसभा में उपलब्ध राजनीति और सामाजिक उम्मीदवारों की लोकप्रियता मापन के लिए है अमेरिका या अर्जेंटीना की तरह उम्मीदवार चयन का भारत मे कोई तंत्र नहीं होने से प्रायः चापलूस किस्म के नेता उम्मीदवार बन जाते हैं लोकतंत्र संचालन करने वाली पार्टियों के अंदर ही कोई लोकतंत्र नहीं है धीरे धीरे इन गंदे लोगों के कारण राजनीति दूषित हुई और अच्छे लोगों ने किनारा कर लिया वह समाज सेवा के नाम पर अपना मन बहलाने के लिए शिक्षा स्वास्थ्य संस्कृति का काम करेंगे और मानव को सबसे अधिक प्रभावित करने वाली राजनीति को दुर्जनों के लिए छोड़ कर खुशफहमी पालेंगे पार्टियां कारोपोरेट के चंदे से संचालित है इसलिए सारी नीतियां जनकल्याण के लिए नहीं बल्कि पूंजीपति के पक्ष मे बनाई जाती है चुनाव महंगे होने से एक बिजनेस मॉडल बन गया है जहां अच्छे लोगों के लिए कोई अवसर ही नहीं है यह प्राइमरी इलेक्शन दो चरण में हो प्रथम चरण में लोकसभा और विधानसभा की सभी सीटों पर उपलब्ध उम्मीदवार में से योग्यता मापन ऑनलाइन हो विकल्प में अन्य का कालम रहने से स्थानीय गैर राजनीतिक लोगों के लिए भी अवसर हो कुछ सीटों पर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर विस्तृत वोटिंग होगा जहाँ सघन तरीके से कार्य करके मॉडल के रूप में डेवलप किया जाएगा जिसमें अधिकतम लोगों की राय ली जाएगी इन अच्छे नामो के आने से क्रिकेट के आई पी एल की तरह नई प्रतिभाओं को अपना टेलेंट दिखाने का प्लेटफार्म मिलेगा भारत के पास प्रचुर संसाधन दर्शन दृष्टि है यदि मोदीजी जैसे अच्छे लोग हर महत्वपूर्ण जगह आ जाये तो सारी समस्याओं का हल निकल आएगा  भारत में 543 लोकसभा 4120 विधानसभा का चुनाव 90 करोड़ वोटर करते हैं जो 9 लाख बूथों में है  सेफोलॉजिस्ट तो बहुत छोटे सेम्पल साइज से सर्वेक्षण कर आगामी चुनाव का परिणाम बता देंगे मगर यह जागरण का कार्य है इसलिए यदि बूथ में न्यूनतम 10 ,,10 लोगों की राय शुमारी भी ले ली जाए तो बहुत बड़ा जनजागरण और सही उम्मीदवार का चयन हो सकेगा  यह उम्मीदवार समाज के होंगें तो उनको जिताने की जिम्मेदारी भी समाज की होगी तब लोहिया का वह सपना पूरा होगा कि सच्चा लोकतंत्र उस दिन आएगा जब जनता सज्जन शक्ति के पास जाए कि आप हमारा नेतृत्व करिए  इस कार्य मे साधारण नागरिक की सहभागिता से अच्छे उम्मीदवार आएंगे 2 बार से अधिक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध जैसे प्रावधानों से राजनीति को पारिवारिक व्यवसाय बनाने वाले किनारे हो जायेगे  संविधान में लोकतंत्र का प्रावधान है पार्टी का नहीं है मगर डेमोक्रेसी पार्टिक्रेसी बन गई है ज्यादातर पार्टियां कुछ परिवारों का धंधा है पार्टी अनुशासन के नाम पर निर्वाचित प्रतिनिधि मूक पशु है जिनके विचारों का कोई महत्व नहीं है  जनता में कोई पकड़ नहीं होने से इन्हें साधारण जनता से कोई आर्थिक सहयोग नहीं मिलता कारोपोरेट और भ्रष्टाचार से ही पैसा प्राप्त कर पार्टिया संचालित की जाती है  जिससे सत्ता म्यूजिकल चेयर गेम बन गया है जिसमें बारी बारी से नागनाथ सांपनाथ बैठते रहते हैं जनता गेम में नहीं है केवल ताली बजाने के लिए है पार्टिक्रेसी ने उसे चुनाव प्रक्रिया से पूरी तरह बाहर किया है इस प्राइमरी इलेक्शन के प्रैक्टिस मैच से पार्टी के दम पर चमचे किस्म के नेताओं के लोकप्रियता की कलई खुलनी  शुरू होगी क्योंकि आम चुनाव के माहौल में संभ्रांत मनुष्य दूर ही रहता है इस तरह से जनता का विश्वास बढ़ेगा वह अपने क्षेत्र के चरित्रवान लोगों की तलाश करेगी  इस बहाने सज्जन शक्ति एकत्रित और संगठित होगी और समाज के सामने अन्य नामो के विकल्प आने से धीरे धीरे अच्छे राजनीतिक गैर राजनीतिक नामो पर सहमति बन जाएगी जिस पर अधिकतम लोग काम करने लगेंगे मैक्स वेबर की मान्यता थी कि चूँकि नौकरशाही प्रतियोगिता से आती है इसलिए वैधानिक नेतृत्व को लोग स्वीकार करते हैं उम्मीदवार जब कृपा की जगह प्रतिभा से आएंगे तो उनकी सहज स्वीकार्यता होगी  इससे पार्टी का झूठा हौबा भी समाप्त होगा  माहौल देखकर पार्टियां जन उम्मीदवार को ही टिकट देने लगेगी जो  चापलूस उम्मीदवार की अपेक्षा अधिक जिम्मेदार नागरिक होगा और जनता के प्रति अधिक उत्तरदायी होगा  मगर अभी के माहौल में कोई पार्टी इस अभियान को सहयोग नहीं करेगी इसलिए सामान्य नागरिकों को ही ऐसे प्रयोग को करना होगा इस तरह की प्रतियोगिता से अच्छे उम्मीदवार आएंगे मोदीजी को जनदबाव से ही पार्टी ने प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाया था इस तरह हर जगह से मोदीजी जैसे चरित्र वान लोग आएंगे तो भारत बहुत जल्द महा शक्ति और विश्व गुरु बन जायेगा सिर्फ अपने अपने स्थान से थोड़ा साj सहयोग करने से खुली प्रतियोगिता का यह मॉडल सफल होकर देश दुनिया के कल्याण और चुनाव सुधार की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकेगा।

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