सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से धार्मिक राष्ट्रवाद की यात्रा पर एक विस्तृत आलेख।



बहुत लोग एक प्रश्न करते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी हजार वर्ष के भारत के विजन की बात कैसे करते हैं इन लोगों का इतना भी पता नहीं सनातनी हिन्दू समाज हजार वर्ष के युद्ध में रहा है आज भी युद्ध ही चल रहा है। बर्बर जंगली इस्लामिक आक्रांता और ईसाई आक्रांताओं ने भारत के मानस पर कई बार हमले किए करोड़ों लोगों को मार दिया गया यहां तक हजारों संख्या में मंदिर तोड़े गए ब्राह्मण समाज के लोगों का सिर कलम करके उनके जनेऊ को तराजू में तौला गया फिर भी वहां महान हिन्दू सनातन सभ्यता को मानने वाले बलिदानी लोगों ने सिर काटा दिया फिर भी सिर नहीं झुकने नहीं दिया हजार वर्ष के युद्धकाल में हम लोगों ने समाज के रूप में कई बार उतार चढ़ाव देखे कई बार ऐसे अवसर भी आए जब जीती हुई निर्णायक लड़ाई को हार गए कई बार जीतकर समझौते की टेबल पर हार गए फिर भी हम लोग का संघर्ष अनवरत चलता रहा है कभी रूका न थका सनातन सभ्यता उत्थान समाजिक जनगणना का महाप्रयास चलता रहा है । 

हमारे विचारकों और महान सनातन धर्मियों ने चिंतन किया क्या कारण रहे ? हम हजार वर्ष के गुलाम रहे लेकिन समाज के रूप में संगठित रहे  जिसका प्रभाव के कारण हमारा समाज हजार वर्ष तक संघर्ष करता रहा लेकिन समाज की संगठन शक्ति ऊर्जा दिखाई नहीं देती है जाति भाषा क्षेत्र रंग के आधार पर हम लोग बंटे हुए और टूटे हुए थे विचारकों के चिंतन के आधार पर कई विषय जिसके कारण हम गुलाम रहे लेकिन उसमें सबसे महत्वपूर्ण विषय यह था कि एक ऐसा हिंदू संगठन अभाव था जो हिंदू समाज के सभी मत पंथ विचारधारा और समाजिक समूहों को एक साथ एक छतरी के नीचे ला सकें इसी चिंतन धारा के आधार पर परम पूज्य डॉ केशव बलिराम हेडगेवार जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ क स्थापना की थी। 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने हिंदू समाज के सभी वर्ग समूह को एक छतरी के नीचे लाने का असंभव सा प्रयास करना शुरू किया हिंदू समाज के लिए एक कहावत प्रचलित हिंदू समाज को संगठित करना मतलब मेंढक तौलना होता है । इस असंभव कार्य को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने शुरू किया बहुत बधाए और बहुत सारी रुकावटें आई लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिंदू समाज को संगठित करने भागीरथी प्रयास करता रहा है इसी बीच भारत विभाजन की त्रासदी हुईं जिसके बाद हिंदू समाज पूरी तरह टूट चुका था । इस टूटे हुए समाज को खड़ा करना बहुत बड़ी चुनौती भारत के विभाजन की त्रासदी के बाद भारत का विभाजन किस कारण हुआ इस सच को राजसत्ता द्वारा छिपाने का प्रयास हुआ बहुत हद तक राजसत्ता सफल हुई भारत का विभाजन मजहबी जेहादी किताबी मानसिकता के कारण हुआ था । भारत का विभाजन मजहब के आधार पर हुआ था लेकिन भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के वजह पूरी आबादी हस्तांतरण करने की वजह जिन लोगों ने भारत विभाजन के लिए वोट किया था। उन्ही लोगों को भारत में जबरदस्ती वोट बैंक के लिए रोका गया यह जानते हुए इस मजहबी किताबी समुदाय को रोका गया तो फिर से वही समास्या उत्पन्न होगी जिस कारण भारत का विभाजन हुआ वोट बैंक के लिए रोका गया भारत विभाजन करने वालो दंड देने की वजह सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया 1939 के शारिया एक्ट जारी रखा 1976 में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बनकर मजहबी किताबी समुदाय को विशेषाधिकार दिया गया यहां तक वोट बैंक के लिए एक बुजुर्ग महिला शाहबानो को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुज़ारा भत्ता दिया गया था लेकिन वोट बैंक के लिए कांग्रेस की राजीव गांधी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया इसके बाद हिंदू समाज उबल उठा क्योंकि हिन्दू समाज ने कांग्रेस के उपर विश्वास किया था लेकिन कांग्रेस ने विश्वासघात किया इसी उबाल के कारण हिंदू समाज में नई चेतना आई इस चेतना और जन जाग्रति को रोकने के लिए मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू कर दी गई हिंदू समाज को जातियों विभाजित करने के भयंकर षड्यंत्र शुरू हो गए लेकिन भगवान राम की महिमा अद्भुत हुई इस वक्त अडवाणी जी ने सोमनाथ से राम मंदिर के निर्माण के लिए रथ यात्रा शुरू की है इस निराशा के माहौल में नव ऊर्जा का हिंदू समाज में संचार हुआ जो हिंदू समाज हजार वर्ष के गुलामी कालखंड भारत विभाजन के बाद टूट चुका था वह समाज उठा खड़ा हुआ इस अंदोलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व हिन्दू परिषद भारतीय जनता पार्टी बड़ी भूमिका रही है । 

इसी बीच आर्थिक उदारीकरण और बाबरी विध्वंस की ऐतिहासिक घटना हुई लेकिन हिंदु पुनः जागरण की गति बहुत मंद थी ,मंडल कमीशन की रिपोर्ट के बाद हिंदू समाज पूरी तरह जातियो में बंट चुका था । जिसके कारण हिंदू समाज में स्व बोध का जगरण हो रहा तो वो मंद पड़ने लग गया इसके कारण  1991 से 2014 तक कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ और इसके  समाजिक स्तर पर भी  कोई परिवर्तन नहीं दिख रहा था फिर भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक हिंदू पुनः जागरण के महान कार्य में लगे हुए थे जिसके परिणामस्वरूप 2014 में नरेंद्र मोदी जी का उदय हुआ नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी हजार के पृथ्वीराज चौहान के बाद पहला व्यक्ति जो अपने गर्व सनातनी हिन्दू कहने वाला व्यक्ति प्रधानमंत्री की कुर्सी बैठा उसके बाद हिंदू जनजागरण के काम में तेजी आई हिंदू समाज के सभी वर्गों समूहों और मत विचारधाराओं को एक छतरी में लाने के प्रयास करने शुरू किए गये समाजिक समरसता के लिए मिशन स्तर प्रयास हुए इसमें 1991 की आर्थिक उदारीकरण का भी बहुत बड़ा रोल रहा क्योंकि जो समाज जातियों के खांचे में बंटा हुआ था रोजगार और व्यवसाय के सिलसिले में अपने गांव बाहर गया सभी जातियों के लोग घर से बाहर निकलने लगे लोग सभी जातियों के लोग साथ में खाने पीने और उठने बैठने लगे समाज में बड़े स्तर पर लोगों के जातिगत मतभेद दूर होने लगे बड़े पैमाने पर लोग गरीबी उठने लगे बड़ी संख्या मध्यमवर्गीय परिवारो संख्या बढ़ने लगी हिंदू समाज आर्थिक समाजिक रूप उन्नत होने लगा जिसके हिंदू आईडेंटिटी को लोग जातिगत आईडेंटिटी से उपर प्रथामिकता देने लगे इस प्रक्रिया में लोग कह सकते हैं कि यह प्रक्रिया अभी बहुत धीमी लेकिन उदारीकरण कारण हिंदू समाज में बड़े स्तर पर परिवर्तन आये जो आज स्पष्ट दिख रहे हैं। 

 नरेंद्र मोदी जी ने हिंदू समाज को संगठित करने के अनुसूचित समाज पहले कार्यकाल में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी को बनाया दूसरे कार्यकाल में अनुसूचित जनजाति समाज से द्रौपदी मूर्मू को राष्ट्रपति बनाया जिसके कारण हिंदू समाज के अंदर बड़े स्तर समाजिक स्तर सनातनी हिंदुत्व के विचार की स्वीकृति बढ़ने लगी इस हिन्दू एकता के तोड़ने के लिए बहुत बड़े स्तर पर षड़यंत्र हुए कभी रोहित बेमूला हो एससी एसटी एक्ट के नाम दंगे हो या बीजेपी सत्ता आएगी आरक्षण खत्म हो जाएगा देश को जलाने का भरसक प्रयास हुआ फिर भी सफलता नहीं मिली इसी बीच एक असंभव सा दिखने वाला राम मंदिर का फैसला सुप्रीम कोर्ट से 9 नवंबर 2019 में आया का उसके बाद 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर का भूमिपूजन हुआ इसी बीच हिंदू एकता तोड़ने के लिए शाहीन बाग किसान आंदोलन के नाम सिख सेंटीमेंट भड़काने का प्रयास हुआ कोराना के नाम पर लोगों जन असंतोष पैदा करने का प्रयास हुआ फिर नरेन्द्र मोदी जी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक और उनके अनुसांगिक संगठन के कार्यकर्ता हिंदू पुनर्जागरण के कार्य में लगे इसी बीच 22 जनवरी की ऐतिहासिक घड़ी आ गई जब रामलला अपने मंदिर विराजमान हुआ हिंदू पुनर्जागरण काल और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की राजनीति के महान प्रयास की कहानी यही से समाप्त हुई । 

यही से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से धार्मिक राष्ट्रवाद के सनातन उत्थान के प्रयास की कहानी शुरू होने वाली प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने हजार वर्ष के भारत के विजन की बात धार्मिक राष्ट्रवाद और सनातन धर्म के उत्थान आधार पर कही क्योंकि जब जब सनातन उत्थान होता है तो भारत उत्थान होता है यह बात महर्षि अरविन्द ने अपने उतरपाड़ा में 1911 के भाषण में कही थी। इस बात से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भविष्य हजार वर्ष के भारत के विजन क्या संबंध हो सकता इस तरह के प्रश्न आपके मन में आ रहे होंगे? इसे ऐसे समझ सकते हजार वर्ष के गुलामी कालखंड के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के प्रयासों से हिंदू पुनः जागरण भागीरथी प्रयास के परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर हिन्दू जनजागृति आई है हिंदू समाज अपनी सभ्यता संस्कृति पर गर्व करने भी लगा लेकिन हिंदू जनजागरण और हिंदू सभ्यता के उठ खड़े होने का संकेत तभी होगा जब हिंदू समाज सभी मतभेदों भूलकर हिंदू धर्म और राष्ट्र निर्माण के लिए उठ खड़े होंगे। यह चुनाव कई मायने में ऐतिहासिक होने जा रहा इस चुनाव में भारतीय जनता को हिंदू समाज जाति पाति क्षेत्र भाषा रंग रूप से उपर उठकर समर्थन करता है तो सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से धार्मिक राष्ट्रवाद की यात्रा शुरू होगी जैसे सनातन धर्म का उत्थान शुरू होगा भारत का उत्थान शुरू होगा इस बार भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आती है तो विपक्ष में कोई भी उसमें धार्मिक राष्ट्रवाद की राजनीति को स्वीकार करना पड़ेगा नहीं करेंगे समाप्त हो जाएगे धार्मिक राष्ट्रवाद की राजनीति बहुत कठिन इसकी यात्रा अखंड भारत के स्वप्न पूरा होने के बाद भी समाप्त होगी इस प्रक्रिया में 100 वर्ष 500 वर्ष हजार वर्ष भी लग सकते हैं इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी हजार वर्ष की भारत विजन की बात इस आधार पर कर रहे हैं । सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से धार्मिक राष्ट्रवाद की यह यात्रा बहुत लंबी बहुत चुनौतीपूर्ण होने जा रही समाज के रूप हमे और अधिक संगठित और होने की आवश्यकता पड़ेगी हमे नैतिक, आध्यात्मिक , तकनीकी रूप से और अधिक सक्षम होने की आवश्यकता पड़ेगी हमें सनातन धर्म और भारत के उत्थान के लिए बहुत बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ेगी पग पग चुनौतिया खड़ी होगी क्योंकि धर्म के रास्ते में चलने का अर्थ कांटों की राह पर चलना होता हम लोग समाज के रूप इन कांटों राह को पार कर लिए तो स्वर्णिम सनातनी अखंडित भारत आपको मिलेगा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से #धार्मिक_राष्ट्रवाद की इस यात्रा अधूरे में छोड़ दिए अपने लक्ष्यो को लेकर भ्रमित हो गए तो न माया मिलेगी न राम इसलिए हम सब मिलकर सनातनी भारत का निर्माण करे। 

दीपक कुमार द्विवेदी

टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही गहन अध्ययन का लेख बहुत सुंदर अभिनंदन दीपक जी

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