असली corruption क्या है ? क्या पश्चिमी पूंजीवादी देशों में सब कुछ हरा हरा है ?

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भारत में अधिकतर लोगों को अपने कहते सुना होगा '' मेरा भारत महान 100 में से 99 बेइमान " और अक्सर भारतीय यह कहते हैं कि जी विकसित देशों जैसे अमेरिका ,यूरोप आदि देशों में भ्रष्टाचार बहुत कम है , और भारत में बहुत अधिक । आइए आज देखते हैं कि भ्रष्टाचार होता क्या है । क्या पछमी पूंजीवादी देशों में भ्रष्टाचार नहीं है । 
मानव जीवन की तीन आधार भूत जरूरतें हैं। रोटी ,कपड़ा और मकान । सबसे पहले मकान को ले लेतें हैं । कनाडा की जनसंख्या आज तीन करोड के लगभग है और भारत की जनसंख्या लगभग 140 करोड़ है । कनाडा का क्षेत्रफल भारत से लगभग 3 गुना है । इस हिसाब से कनाडा की आबादी अगर 8 गुना यानि कि 420करोड़ हो, तो कनाडा के प्रति व्यक्ति जमीन की उपलब्धता भारत के प्रति व्यक्ति जमीन की उपलब्धता के बराबर होगी । लेकिन कनाडा कुल जनसंख्या बहुत थोड़ी होने के कारण प्रति व्यक्ति जमीन की उपलब्धता भारत के मुकाबले बहुत अधिक होनी चाहिये ,जो है भी । और कनाडा में जमीन कोड़ियों के दाम में होनी चाहिये । लेकिन कनाडा में अगर आपको 120 गज का प्लाट खरीद उस पर अपना घर बनाना है तो वह आपको 5 करोड़ रुपये से कम नहीं पड़ेगा । कनाडा का एक औसत आदमी एक महीने में मुश्किल से 1000 डॉलर की बचत कर पता है । अब यह भारतीय रुपये में हो गया 50000 रुपये यानि कि 6 लाख रुपये साल । अब अगर आपने कनाडा में 5 करोड़ इक्कठे करने हैं तो आपको कम से कम 80 -85 साल लग जाएंगे । कनाडा में आप अपनी सारी जिंदगी में एक मकान मुश्किल से जोड़ पाएंगे जो कि जिंदगी की आधारभूत आवश्यकता । इसको कहते हैं असली corruption । लेकिन हमें चौक पर खड़े सिपाही की 50 रुपये की corruption दिखती है ,इसलिए वह बड़ी लगती है । जबकि असली corruption यह जमीन की corruption है । यह जो जमीन के माध्यम से आपकी जो जिंदगी भर की पूंजी लूट ली गई और आपकी आधारभूत आवश्कता भी जो system पूरी ना कर सका उस पूंजीवादी व्यवस्था की लूट आपको दिखाई नही देती । यही पूंजीवादी व्यवस्था का चमत्कार है । धीरे धीरे भारत में भी इस तरह के पूंजीवादी सिस्टम के हावी होने से इस तरह की लूट बढ़ रही है । 
जिंदगी की दूसरी आधारभूत आवश्कता है रोटी । क्योकि पूंजीवादी व्यवस्था में cost of living बहुत अधिक होती है । इसलिये वहां पर परिवार वह व्यक्ति बसा सकता है ।जिसके पास अकूत धन हो । क्योंकि अकेले आप दो व्यक्ति एक room में भी रह सकते हो । लेकिन जब आपकी शादी हो गई बच्चे हो गए तो आपको एक ढंग का मकान तो चाहिये । लेकिन पूंजीवादी व्यवस्था में मकान लेना हरेक के बस की बात नहीं इसलिये पूंजीवादी व्यवस्था वाले देशों में 90% लोगों का कोई परिवार नहीं होता । परिवार ना होने के कारण घर में रोटी बनाने के लिये ना तो समय बचता है ना ही रोटी बनाना अक्लमंदी है । इसलिए पूंजीवादी व्यवस्था में अधिकतर लोग factory made भोजन जैसे ब्रेड ,पिज़्ज़ा आदि करते हैं । जोकि घर में खाना बनाने से बहुत सस्ता पड़ता है । धीरे भारत में भी यह पूंजीवादी व्यवस्था लागू होने के कारण परिवार व्यवस्था टूट रही है । वह दिन दूर नही जब भारत का भी पूंजीवादी व्यवस्था कनाडा अमेरिका की तरह विकास कर देगी और हर किसी के लिये अपना घर बनाना एक स्वप्न की तरह हो जाएगा ,और हम भी तीन वक्त की ताजी रोटी के पांच दिन पुराना ब्रेड ,पिज़्ज़ा खा रहें होंगे औऱ तरक्की के गुण गा रहें होंगे ।
जय पूँजीवाद ,जय विकास ,जय जीडीपी

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