शिया बनाम सुन्नी

#शिया बनाम #सुन्नी

#मोहर्रम की जड़ें The Affair of Necklace में छुपी हुई हैं...

हाएशा, मोहदम्म की प्रिय बेगम, एक बार एक गजवा में मोहदम्म के साथ गयी. लड़ाई के बाद शाम को मोहदम्म ने निर्णय लिया कि क्यूँकि मदीना पास में ही है इसीलिए मदीना ही चलते हैं...

चलने की तैयारी हुई, तभी हाएशा को याद आया कि उसका हार कहीं खो गया है. वो वहाँ ढूँढने गयी जहाँ वो लघुशंका के लिए गयी थी, उसी दौरान सैनिकों ने उसका हौदा उठाया व ऊँट पर रख दिया, खाली हौदा लेकर मो की फौज मदीना के लिए रवाना हो गयी. आयशा वहीं छूट गयी, रात भर अकेले वही रही, सुबह पीछे से आ रहा उसका हमउम्र सैनिक सफवाँ-बिन-मुअमल उसे मिला जो उसे अपने ऊँट पर बिठाकर मदीना ले आया...

हाएशा पूरी रात बाहर अकेले रही थी, लौटी भी एक हमऊम्र सैनिक के साथ. मदीना में अफवाह चली तो मोहदम्म ने अली (मोहदम्म का चचेरा भाई व इस्ला'म का चौथा खलीफा) से पूछा कि क्या करूँ ? अली ने जवाब दिया, “औरतों की कमी है क्या दुनिया में, निकाल दे घर से ”...

मोहदम्म ने हाएशा को उसके पिता अबू बकर (मोहदम्म का धनी विश्वसनीय साथी व इस्ला'म का पहला खलीफा) के घर भेज दिया, हाएशा एक महीना वहीं रही। एक महीने बाद मोहदम्म वहाँ आया व हाएशा से अकेले में मिला...

उसके बाद अल'लाह ने एक आयत नाजिल की (Q 24.13) जिसमें उसने बताया कि क्यूँकि चार गवाह नहीं हैं हाएशा के विरुद्ध इसलिए वह निर्दोष है (हदीस बुख़ारी 6.60.274, हदीस मुस्लिम 8.113-114, Sira Vol 3 p 310-311)...

हाएशा अली का कहा भूली नहीं, मोहदम्म के बाद सबकी आशाओं के विपरीत उसे खलीफा नहीं बनने दिया, अपने पिता को पहला खलीफा बनवाया, फिर अली चौथा खलीफा बना भी तो हाएशा फौज लेकर उससे लड़ने पहुँच गयी जिससे शिया-सुन्नी दो-फाड़ हुए व अब तक आपस में लड़ते करोड़ों मर चुके हैं...
इसी आपसी लड़ाई में अली का बेटा हु'सेन भी मारा गया था. हु'सेन को कूफा नगर के लोगों ने खलीफा बनने के लिए आमंत्रण दिया था. हु'सैन को लगता था कि अली के बाद खलीफ़ाई पर उसका अधिकार था, इसलिए वह कूफा के लिए चल दिये जहां रास्ते में खलीफा यजीद की सेना ने उसे घेर कर मार डाला...

अतः हु'सैन मु'स्लिम सिविल वार में मारे गये थे, किसी “अन्याय के विरुद्ध युद्ध” में नहीं.

(The "Affair of Necklace" is a defining moment in Is'lamic history and is Googleable with the same name.)

टिप्पणियाँ