कई हिंदू दुकान मालिकों की यह शिकायत है कि, मुस्लिम कामगार सस्ते में काम करता है।

कई हिंदू दुकान मालिकों की यह शिकायत है कि, मुस्लिम कामगार सस्ते में काम करता है।
इसी प्रकार कई हिंदुओं का कहना है कि मुसलमान टेक्नीशियन सस्ते में काम करता है और समय पर आता है। 
कई हिंदू ग्राहकों का मानना है कि मुस्लिम दुकानदार सस्ते में सामान बेचता है। 
इस प्रकार वे मुसलमानो से काम लेने के फायदे गिनाते हैं।
और ऐसा नहीं कि वे झूठ बोल रहे हों। 
वे बिल्कुल सच बोल रहे हैं। मुस्लिम कामगार कम पैसों में काम करता है, मुस्लिम टेक्नीशियन कम पैसों में काम करता है, मुस्लिम दुकानदार कम पैसों में सामान बेचता है। मुस्लिम वर्कर ज्यादा मेहनत करता है। हिंदू आलसी होता है, छुट्टियां ज्यादा लेता है, महंगा सामान बेचता है, ज्यादा पैसा लेता है। इस प्रकार इन सारे प्रश्नों का उत्तर आपको आज दे ही देते हैं। 
लेकिन उससे पहले आपको अपने आप से यह प्रश्न पूछना चाहिए कि मुस्लिम आखिर ऐसा कर क्यों रहा है? वह कम पैसों में काम कर क्यों रहा है? वह कम पैसों में सामान बेच क्यों रहा है? और वह ज्यादा मेहनत क्यों कर रहा है?
दरअसल, वह सैनिक है। सैनिक सऊदी अरब का...
जी हां, वह एक सैनिक है, सऊदी अरब का। 
दूसरी तरफ, हिंदू एक सामान्य नागरिक है, भारत का।
एक तरफ सैनिक, और एक तरफ सामान्य नागरिक। इस प्रकार, आप सैनिक की तुलना एक सामान्य नागरिक से कर बैठते हो।
उस सैनिक का लक्ष्य है भारत पर कब्जा करना, इसीलिए वह कम पैसों में ज्यादा मेहनत करता है। क्योंकि उसका लक्ष्य ही अलग है। उसे अपने लिए कोई अच्छी जीवनचर्या नहीं चाहिए। उसे अपने बच्चों के लिए कोई अच्छी शिक्षा नहीं चाहिए। उसे अपने लिए कोई महंगा घर, गाड़ी नहीं चाहिए। उसे तो आपका देश चाहिए। पूरा का पूरा। इसमें आपका घर भी होगा, आपकी संपत्ति भी होगी, आपकी स्त्री भी होगी। इस प्रकार वह अपने लक्ष्य पर शांतिपूर्वक काम करते रहता है। उसे शॉर्ट टर्म लाभ नहीं चाहिए, वह तो लांग टर्म लाभ के लिए कार्य कर रहा है। इसीलिए वह सस्ते में सामान बेचता है, सस्ते में मजदूरी करता है, सस्ते में काम करके जाता है। 
दूसरी तरफ हिंदू...
यह एक सामान्य नागरिक है। नागरिक भारत का। जिसका कोई लक्ष्य नहीं है। उसका लक्ष्य केवल उसके बच्चों और परिवार वालों को एक अच्छा जीवन प्रदान करना है। उसके अलावा उसका कोई लक्ष्य ही नहीं है। उसका लक्ष्य किसी देश पर कब्जा करना नहीं है। उसका लक्ष्य तो अपना बचाव करना भी नहीं है। वह तो सुख शांति से रहना चाहता है। इसीलिए वह आलसी होता है, निकम्मा होता है, ज्यादा पैसे मांगता है, फोन नहीं उठाता है, समय पर नहीं आता है, ज्यादा छुट्टियां लेता है, महंगे में सामान बेचता है आदि। 
आप एक सामान्य नागरिक की तुलना एक विदेशी सैनिक से कर रहे हो, इसीलिए आप हिंदुओं की स्थिति समझ नहीं पा रहे हो, क्योंकि आप स्वयं भी एक हिंदू ही हो। 
अपने आप को देखो। क्या आपका लक्ष्य किसी देश पर कब्जा करना है? क्या आपका लक्ष्य अपने आप का बचाव करना भी है? 
नहीं। 
आपका लक्ष्य तो अपने बच्चों को एक अच्छा जीवन देना है, और एक सुख शांतिपूर्वक जीवन जीना है। तो फिर आप अपना comparison मुस्लिम से क्यों कर रहे हो? आप हिंदुओं का कंपेरिजन मुस्लिम से क्यों कर रहे हो? 
मुस्लिम तो कम पैसा ही लेगा, क्योंकि उसे तो आपका घर कब्जाना है, लांग टर्म में। उसे तो आपकी स्त्री कब्जानी है, लांग टर्म में। उसे तो आपका देश कब्जाना है, लांग टर्म में। वह कई पीढ़ी आगे का सोच रहा है। वह अपने लिए सोच ही नहीं रहा। वह तो अगली पीढ़ियों का सोच रहा है। वह तो आने वाली पीढ़ियों का सोच रहा है। वह तो यह सोच रहा है कि जो घर, गाड़ी, जमीन तुम आज खरीद रहे हो, उस पर उसके पोते पोतियों का कब्जा होगा। वह एक अलग ही स्वप्न में रहता है। उसका लक्ष्य ही अलग रहता है। 
इसीलिए मैं केवल हिंदू से काम लेता हूं। केवल हिंदू से सामान खरीदना हूं, केवल हिंदू को आर्थिक लाभ देता हूं। भले ही वह ज्यादा पैसा मांगे। भले ही वो मक्कार हो। काम करने में आलसी हो। महंगे उत्पाद बेचता हो। लेकिन वो मेरा अपना है, कोई सऊदी सैनिक नहीं। वह हिंदू मेरे घर, गाड़ी और जमीन पर कब्जे का नहीं सोच रहा। वह तो उसके बच्चों के सुखद जीवन यापन का सोच रहा है। इसीलिए वह मेरे लिए किसी भी तरह से नुकसानदायक नहीं है, लांग टर्म में। दूसरी तरफ, ये जो सऊदी सैनिक है, जो हर शुक्रवार परेड करने जाता है, उसकी सेना की; वह मेरे लिए खतरा है। वह मेरी आने वाली पीढ़ी के लिए खतरा है। वह मेरा घर, मेरी जमीन, मेरी संपत्ति, मेरी स्त्री, सब पर कब्जा करना चाहता है। अतः उसे एक रुपए का भी लाभ देना मेरी मूर्खता होगी। इसीलिए मैं उसे कभी एक रुपए का भी लाभ नहीं देता। और आशा करता हूं आज से आप भी वही करेंगे। आप भी अपने यहां केवल हिंदू कामगार रखेंगे, वह ज्यादा पैसा मांगेगा तो ज्यादा पैसा देंगे। वह आलसी दिखायेगा, तो उसका आलस भी सहेंगे। वह समय पर नहीं आयेगा, तब भी चलेगा। वह ज्यादा छुट्टियां लेगा, तब भी चलेगा। सबकुछ चलेगा, क्योंकि वह मेरा अपना है, कोई सऊदी सैनिक नहीं, जो मेरे कत्ल पर काम कर रहा हो, जो मेरी आने वाली पीढ़ियों को निगलने पर काम कर रहा हो।
आज आपको मुस्लिमों के सम्पूर्ण बहिष्कार का असली कारण मिल गया होगा। इससे पहले कि वो आपका गांव, शहर, राज्य, देश निगल जाएं, आप उन्हे अपने यहां से निकाल दो, वरना भविष्य तो स्पष्ट दिख रहा है। आप ही मूर्ख हो, जो उस स्पष्ट भविष्य को भी नहीं देख पा रहे। 
इसीलिए आप भी आज ही इस सऊदी सेना का बहिष्कार करें। सम्पूर्ण बहिष्कार। 
इस विषय में और भी लिखा जा सकता है, और भी बातें जोड़ी जा सकती हैं, जैसे जकात, हलाल इकोनॉमी, सरकारी तंत्र द्वारा मुसलमानो पर लुटाया जाने वाला पैसा, वे सारी बातें भी इसमें जोड़ी जा सकती हैं, लेकिन इतना संदेश काफी है, आपको बात समझाने के लिए। 
आशा है आपको यह बात पूरी तरह समझ में आ चुकी होगी, और आप आज ही से उस पर अमल करने लगेंगे, याने मुसलमानो का संपूर्ण बहिष्कार। आर्थिक और सामाजिक दोनों। तभी आपके बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो पाएगा, वरना आप अपने बच्चों को मौत के मुंह में धकेल रहे हो, यह मानकर ही चलो। इसीलिए इस सऊदी सेना का बहिष्कार करो...
और हां, एक बात ध्यान रखें। एक सैनिक अपने जीवन में बहुत ही अनुशासित रहता है। उसकी ट्रेनिंग ही ऐसी होती है। इसीलिए वह समय पर आता है, ज्यादा मेहनती होता है, ज्यादा काम करता है। जबकि एक सामान्य नागरिक बिलकुल अनुशासन में नही रहता। वह अनुशासन को लात मार देता है। इसीलिए आप मुसलमानो की तुलना हिंदुओं से बिलकुल मत करो। क्योंकि दोनो में मूलभूत अंतर है। एक सामान्य नागरिक और एक सैनिक में क्या समानता?
सऊदी सैनिक, और भारत का नागरिक। अंतर स्पष्ट...?
इस मेसेज को ज्यादा से ज्यादा हिंदुओं तक शेयर करो, और जल्द से जल्द मुसलमानो का आर्थिक बहिष्कार करो। उन्हें काम से निकालो। उनसे सामान खरीदना बंद करो। उनसे काम लेना बंद करो। 

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