आज एक "बीम आरमी" वाले ने किसी कॉमन वॉट्सएप ग्रुप में ये "abcdefg....Z" डाला. मैंने उसकी पोस्ट पर 👏👏 बजाई और 🧡 रिएक्ट दिया.


#ABCD :

आज एक "बीम आरमी" वाले ने किसी कॉमन वॉट्सएप ग्रुप में ये "abcdefg....Z" डाला. मैंने उसकी पोस्ट पर 👏👏 बजाई और 🧡 रिएक्ट दिया. 

तो पट्ठे को ये appreciation भी सहन नही हुआ. उस के अंदर विद्रोही कीड़े ने जोर मारना शुरू किया। कहने लगा - हमारा इतिहास बहुत गौरवशाली रहा है, आप लोग सिर्फ "अपना" ही गुणगान करते हो. हमारा शोषण नही हुआ होता तो हम आज भी राज कर रहे होते. 

 फिर मैंने उससे कहा - हम तो हमेशा से कहते हैं कि भारत में एक से एक यशस्वी युग प्रवर्तक हुए। हम नही आप ही उन राष्ट्रवीरो को "जाति के खांचे" में ही बैठा कर देखते हो. हमने निषादराज, भगवान विश्वकर्मा, महात्मा विदुर, इत्यादि दस अन्य नाम भी सादर गिनाए. हमने कहा - 

राज तो तुम आज भी कर रहे हो. परंतु तुमने आज के राजा श्रीमान मोदी जी और महामहिम द्रौपदी मुर्मू जी का नाम abcd में क्यों नही डाला? 

तुमरी पार्टी वाले नही हैं इसलिए क्या?

फिर अपन ने उस से आगे पूछा - 

  बंधु !! जब तुम्हारी जाति में A से Z तक एक से एक "महान" लोग पैदा होते रहे हैं; तो फिर तुम ससुर हाथ में 70,000 का फोन ले कर कैसे #डिलीट पैदा हो गए?🙄

जब तुम्हारे पूर्वज भी एक से एक राजा और सम्राट हुए, एक से एक विचारक और संत हुए; तो फिर किसी ने तुमरे अब्बा का #सोसन कैसे कर लिया बे?🤔

स्वस्थ चर्चा थी. वो एक बार तो सोच में तो पड़ ही गया। फिर #मुफ्तखोरी का लालच और "स्पेशल प्रिविलेज" की याद आ गई... तो बंदा ABCD से "अ ब क ड" में आ गया.. 😃

आप लोग भी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए - 

जब वाकई राष्ट्रहित या गुणवत्ता की बात आती है, तो भारत में Homi Bhabha National Institute, तथा इसकी दस अन्य इकाइयों में, अंतरिक्ष अनुसन्धान प्रोगशालाओं जैसे 8 संस्थानों में एवं सैन्य बलों में #आरक्षण की व्यवस्था #नहीं है।

 क्यों ? 🤔

क्योंकि इन स्थानों पर #अयोग्यता का समावेश राष्ट्रहित में घातक होगा।

परंतु क्या कलेक्टर, एसपी, आईआरएस, आईएफएस, पीडब्ल्यूडी, इत्यादि पूरे शासन तंत्र में 50 से 70% अग्योग्य लोगों को घुसाने से देश के विकास की गति और भविष्य पर असर नहीं हो रहा है.? क्या 100 में से 40 नंबर भी नही ला पाने वाला, बड़े निर्णय लेने के लिए योग्य है?

क्या आपने कभी सोचा कि जिस आरक्षण व्यवस्था का प्रावधान 1950 में भारत सरकार ने किया था , उस वर्ष यदि किसी 18 वर्ष के व्यक्ति ने यदि आरक्षण का लाभ लिया होगा तो 2017 में उसकी पांचवीं पीढ़ी आरक्षण का लाभ लेने जा रही है!!

 क्या आपको लगता है कि बाबू जगजीवन राम जो कि इंदिरा गांधी के काल में केंद्रीय मंत्री रहे उनके परिवार की मीरा कुमार या किसी अन्य को आरक्षण दिया जाना चाहिए ??? 

मीरा कुमार आज भी स्वयं को #दलित कहती हैं. जिसका बाप भारत का गृहमंत्री रहा हो, जो स्वयं लोकसभा अध्यक्षा रही हों, सैकड़ों करोड़ के घर में जीवन गुजरा हो। आजीवन ++ की सिक्योरिटी प्रोटोकॉल में रही हो; वो दुनिया की किस परिभाषा में #डीलीट हैं?? 

पी एल पूनिया जो कि उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव रह चुके हैं उनके परिवार के किसी सदस्य को आरक्षण की दरकार है ???? 

और अब बहुत दूर नहीं जाते, एक डॉक्टर दम्पत्ति मेरे व्यक्तिगत मित्र हैं। उनकी बच्ची को जब इस वर्ष मेडिकल में दाखिला मिला तो हमने अपने बेटे को बहुत भला बुरा कहा कि देख लो फलां को प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिला है और एक तुम नालायक हो कि मुहाने पर आ कर अटक गए। 

हाँ उस दिन मुझे कष्ट हुआ जब मेरे बेटे ने कहा - "अगर वो अशोक अंकल के घर में पैदा होता तो उसे भी दाखिला मिलता"। 

इस घटना के बाद मुझे पता चला कि मेरे मित्र अनुसूचित जाति के हैं। और शायद ये भी आरक्षण व्यवस्था का लाभ ले कर यहाँ तक पहुंचे हैं। क्या उनकी बच्ची को आरक्षण की ज़रुरत थी ???

वर्ष 1902 में अंग्रेजों के वफादार कोल्हापुरी शाहूजी "महाराज" ने अपनी रियासत में पहला #आरक्षण का प्रावधान किया था। 1908 एवं 1909 में अंग्रेजी हुकूमत ने "मिंटो मार्ले " कानून बना कर भारत में आरक्षण की व्यवस्था ला"गू" की थी। 

विचार तो कीजिए - वर्ष 2015 में यानि की 106 साल बाद भी अगर समस्या का निदान नहीं हो पाया है तो ज़रूर सिस्टम में कोई कमी है।

1950 से ही पब्लिक रिप्रजेंटेशन एक्ट के द्वारा हर पांच साल में आरक्षित वर्ग से लगभग 131 #आरक्षित_सांसद लोकसभा में पहुंचते है, क्या आपको लगता है कि वर्तमान चुनाव प्रणाली में कोई लखपति चुनाव लड़ सकता है ???? 

सारी राजनैतिक पार्टियां, जो आरक्षण का पुरज़ोर #समर्थन करती है, एक एक विधायक से टिकट आवंटन के लिए तथाकथित रूप से करोड़ों रुपये लेती है!! 

सारी की सारी पार्टियां..!.

क्या इन लोगों को वाकई आरक्षण की ज़रुरत है ???? 

जो आरक्षण विरोधी यह चाहते हैं कि #आर्थिक_आधार पर आरक्षण होना चाहिए, उनसे भी में सहमत नहीं हूँ !! क्योंकि भ्रष्ट भारतीय तंत्र में BPL कार्ड बनवाना कोई बहुत कठिन कार्य नहीं है। भंगलादेसी भी बनवा ले रहे हैं.

भाई !! सरकारें निशुल्क किताबें बाँट रहीं हैं , सरकारी विद्यालयों में फीस न के बराबर है, इंजिनीरिंग तक की पढाई में वजीफे बांटे जा रहे हैं.

फिर इन सबके बाद आरक्षण और फिर पदोनन्ति के लिए आरक्षण पर आरक्षण?

 क्यों?

आज हर कदम पर सरकारें और विपक्षी पार्टियां पूरा जोर लगाकर समाज में #जातिगत_विद्वेष पैदा करके इसे विभक्त किये जा रही हैं। क्या ये सरकारें जितना पैसा सरकारें इन साधनों पर मुफ्तखोरी पर खर्च कर रही हैं , उसमे यदि सरकारी विद्यालयों में शिक्षा पूर्णताः निशुल्क करके अनिवार्य कर दें, विशेषकर उनके लिए जो वर्तमान में आरक्षित वर्ग है और जिसके परिवार ने अभी तक आरक्षण का लाभ नहीं लिया है ! 

तथा उनके लिए उत्कृष्ट किस्म की कोचिंग खोल दें या वर्तमान कोचिंग चलाने वालों को ऐसे विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए सब्सिडी दे दे, निःशुल्क पढाई और कोचिंग आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के सभी अभ्यर्थियों को उनकी आयु के 28 वर्ष तक दी जाये, नहीं कर सकतीं???? 

तत्पश्चात विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के फॉर्म भी निशुल्क कर दें और अंत में #योग्यता के आधार पर चयन करें तो कहीं से बहुत बोझ नहीं बढ़ेगा सरकारी बजट पर परन्तु समाज में फैलता हुआ यह विद्वेष का ज़हर कहीं तो रुकेगा।  

जिस भी वर्ष में इस व्यवस्था को कड़ाई से लागु किया जायेगा उसके 20 वर्ष पश्चात भारत के पास बौद्धिक योग्यता और क्षमता वाली पीढ़ी होगी।

यदि पूरे विश्व में यही शोषण का रोना रोया जाये तो रूस के ज़ारों ने , चीन और फ्रांस के राजाओं ने शोषण की हदें पार की थीं लेकिन आज वहां का समाज किसी जाति व्यवस्था के लिए इसे दोषी नहीं ठहराता, 2000 सालों तक यहूदियों का पूरे विश्व में बुरी तरह से शोषण हुआ क्या आज किसी यहूदी को किसी के आगे हाथ फैलाते देखा है क्या ??? और भूख से मरते हुए सोमालिया का समाज अपनी भुखमरी और पिछड़ेपन के लिए किसी ऐतिहासिक मिथ्या का सहारा नहीं लेता। 

आरक्षण से आप Engineering और Medical संस्थानों एडमिशन दे कर, 500 में से 11 नंबर पाने वाले सर्वथा #अयोग्य लोगों को #अध्यापक जैसी महत्त्वपूर्ण नौकरी दे कर न सिर्फ छात्रों का अपितु देश का #अहित ही कर रहे हैं। 

संविधान = सम+विधान. 

अर्थात वह विधान/सरकार जो प्रजा जो समान दृष्टि से देखता हो। सभी को #समान_अवसर दिलाता हो। सबके लिए समान रूप से #न्याय सुनिश्चित करता हो.

लेकिन इस देश में एक ही स्कूल में पढ़ने वाले अड़ोस पड़ोस में रहने वाले दो बच्चों में से 93 नंबर पाने वाले को आईआईएम रोहतक में पढ़ने का अवसर नही देती है, जबकि 32 और 36 नंबर पाने वाले बच्चों को एडमिशन दे देती है सरकार!! 🙄

ये कैसा न्याय है? 😳

एक नागरिक का जन्म किस जाति में हुआ, उसे आधार बनाकर एक योग्य बच्चे को बेहतर शिक्षा के अधिकार से वंचित रखती है...!! ये विधान सबके लिए समान कैसे हुआ?

ऊपर से तुर्रा ये कि हम #सामाजिक_न्याय करने वाली सरकार हैं?

अगर आप देशभक्त हैं; तो मनन कीजिए और निष्पक्ष हो कर अपनी राय दीजिए. इस विषय पर व्यापक विमर्श की आवश्यकता है.

~~ बाबा African "हिन्दुस्तानी" ✍️

टिप्पणियाँ