हिंदू होने का भाव कैसे जागृत किया जाए ?




हिंदू होने का भाव परिवारिक संस्कारों से जागृत होता है। जब पारिवारिक मूल्य समाप्त कर दिए जाएंगे हिंदू होने का स्व बोध भी समाप्त हो जाएगा। आज से 50 वर्ष पहले की पीढ़ी अत्यधिक हिंदुनिष्ठ सनातनी थी जिसके कारण बाबरी विध्वंस हो पाया था बीजेपी 2 से 303 तक पहुंच गई लेकिन 1990 के बाद आने वाली पीढ़ी का स्व बोध हिंदू होने का भाव धीरे धीरे समाप्त हो रहा है उसमें सबसे बड़ा हाथ मंडल कमीशन की रिपोर्ट का भी रहा है क्योंकि मंडल आयोग लागू होने के बाद हिंदू समाज में चार आईडेंटिटी चर्च के इशारे पर हमारी सरकारो ने खड़ी दी पहले एससी एसटी के नाम पर दो आईडेंटिटी पहले से ही थी जो बहुत हद तक हिंदू आईडेंटिटी से कट रही थी ।1990 के बाद ओबीसी के नाम पर तीसरी आईडेंटिटी हो गई चौथी आईडेंटिटी सवर्ण के नाम से हिंदू समाज में खड़ी कर दी गई जिसके बाद हिंदू समाज का विखंडन चार भागों में हो गया हिंदू समाज की 100% आबादी को हिंदू आईडेंटिटी से अलग करने का चर्च का सामूहिक प्रयास रहा जिसमें सरकार ने भी साथ दिया जिसके कारण पिछले 30 साल में उतर से दक्षिण के कई राज्यों में बड़े स्तर पर देखा जा रहा है। आरक्षण और जातिगत आईडेंटिटी के नाम पिछले 30 से साल में बड़े पैमाने जातिगत हिंसा हुई और समाज में बड़े पैमाने पर द्वेष फैलाया गया बहुत हद तक यह स्थिति हो गई कि सरकार चाहकर भी बड़े सुधारों को लागू नहीं कर सकती हैं। इसका उदाहरण आज का ही दे रहा हूं सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया जिसमें उप सचिव निदेशक पद के निजी क्षेत्र प्रोफेशनल लोग भी आवेदन कर सकते इसमें में कही नहीं लिखा हुआ की जो पहले से वरिष्ठ अधिकारी पहले से कार्यरत हैं वो आवेदन नहीं कर सकते हैं लेकिन सबसे ज्यादा विरोध पूरा इको सिस्टम कर रहा यहां तथाकथित राष्ट्रवादी हैंडल करने लगे हैं कहने लगे हैं कि यूपीएससी की तैयारी अभ्यर्थिमो के भविष्य का क्या होगा वरिष्ठ आईएएस अधिकारी क्या करेंगे आरक्षण का क्या होगा इस तरह की बात करके पूरे इको सिस्टम ने सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास किया हो सकता सरकार एक दो दिन यह नोटिफिकेशन वापस भी ले लेगी अब सोचिए जातिगत आईडेंटिटी के नाम हिंदू समाज में किस स्तर का केरोसिन छिड़क गया कि हिंदू समाज में जाति आरक्षण की बात जहां आती हिंदू समाज उबल जाता लेकिन जब सारेआम रामचरित मानस जलाई जाती है तो हिंदू समाज के अंदर कोई उबाल नहीं आता हिंदू समाज की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं होती इससे समझ लिजिए स्थिति कितनी विकट हो चुकी भविष्य में कितनी विकट हो सकती है। 

2024 का पूरा चुनाव जाति और आरक्षण खत्म करने की अफवाह लड़ा गया उन्हें उम्मीद से मुताबिक परिणाम मिले जिसकी उन्होंने अपेक्षा भी नहीं की थी। आज की स्थिति में देखे तो 1990 में लागू की गई मंडल आयोग की रिपोर्ट ने हिंदू समाज को पूरी तरह छिन्न-भिन्न कर दिया गया 1990 में राम मंदिर आंदोलन के कारण उस समय की पीढ़ी बहुत अधिक धर्मनिष्ठ थी उस वक्त उसका प्रभाव ज्यादा नहीं पड़ा जिसका परिणाम 2014 मिला 2019 में मिला 2024 में भी मिला लेकिन अब भविष्य बहुत भयावाह होने जा रहा है 1930 से लेकर 1980 के दशक की पीढ़ी अब बूढ़ी हो रही या इस दुनिया में नहीं है 1980 के बाद जन्मी पीढ़ी के बच्चे में हिंदू सभ्यता संस्कृति के लिए आदर भाव और गौरव बोध समाप्त हो रहा है हिंदू परिवारिक सामाजिक मूल्य समाप्त हो चुके हैं जो बचे भी हुए उनकी पृष्ठभूमि गांव की है शहरी स्तर पर हिन्दू होने का भाव उन्ही क्षेत्र में दिखता जहां संघ मजबूत है या मध्यप्रदेश से जैसे राज्य गुजरात जैसे राज्य जहां के लोगों ने हिंदू मूल्यों को आज भी संरक्षित रखा है दूसरी जगह हिंदू होने का भाव दिखाई देता जहां मुस्लिम 30% के आसपास है उसके आलावा हिंदू होने का भाव बहुत कम क्षेत्र में दिखाई देता है यहां तक हिंदू होने का भाव और हिंदू मूल्यों का आम हिन्दू भूल ही चुका है । कोई अपने को बौद्ध कहता कोई अपने को मूलनिवासी बताता कोई कहता क्षात्र धर्म हिन्दू धर्म से अलग कोई कहता ब्राह्मण धर्म हिन्दू धर्म नहीं है इस तरह की बाते हिंदू समाज का एक वर्ग करता मिल जाता है अब इस तरह की बाते सोशल मीडिया के कारण गांव तक हो रही है जो बहुत बड़े संकट की ओर इशारा कर रही है जिसे हमे समझना चाहिए नहीं तो बहुत बड़ी समास्या हो सकती है। 

2000 के बाद की आने वाली पीढ़ी के लिए हिंदू मूल्यों का महत्व अपने निजी स्वार्थ निजी हित के आलावा कुछ नहीं रह गया है। इसलिए जातिगत राजनीति भविष्य में बहुत हावी होने जा रही है बाकी बचा खुचा काम नव वामपंथी कर देंगे। इस स्थिति में हिंदू धर्म को दो चीजें बचा सकती है। पहला हिंदू समाज के लोग हर सप्ताह अपने शहर गांव कस्बो में एकत्रित हो सप्ताहिक हनुमान चालीसा सुंदरकांड विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ सामूहिक के रूप से करे पाठ के बाद एक घंटे समसामयिक विषयों पर चर्चा करें उनके समाधान के लिए निष्कर्ष निकालने का प्रयास करें यह काम कोई संगठन और सरकार नहीं कर सकते हैं इस तरह के काम स्व प्रेरणा से छोटे छोटे स्तर मोहल्ले गांव कस्बे के वाट्सएप समूह और टोली बनाकर किया जा सकता है। इससे क्या होगा लोगों के बीच जातियों के नाम पर कटुता आ गई वो दूर होगी लोग साथ में खाएं पिएंगे साथ में बैठेंगे तो भावनात्मक रिश्ते बनने शुरू होगें लोग एक दूसरे के सुख-दुख के साथी बनेंगे लोगों के बीच प्यार बढ़ेगा साथ में धर्म संस्कृति राष्ट्र समाज के विषयों पर प्रति सप्ताह चिंतन मंथन भी होगा तो उससे समाज में अलग अलग विषयों के विशेषज्ञ और हिंदू समाज की नई ऊर्जावान लीडरशिप तैयार हो जाएगी साथ में हिंदू समाज के सैन्यीकरण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी आने वाले 10 वर्ष में एक क्रांति का रूप धारण कर लेंगी उसके बाद सही मायने में हिंदू सशक्तिकरण होगा हिंदू समाज उसी रूप में आएगा जिस रूप में पहले था राजनीतिक समाजिक आर्थिक संदर्भ में स्थाई हिंदू एकता के रूप में हम सब देखेंगे। इसलिए कह रहा हूं हिंदू होने का भाव स्व प्रेरणा जागृत होता उसके लिए घर परिवार समाज और संगठनात्मक स्तर पर अच्छा वातावरण और संस्कार देना पड़ता है , तभी आने वाली पीढ़ी में हिंदू होने भाव जागृत होगा,1990 के पहले 1990 के बाद वाली पीढ़ी में जिन हिन्दू होने का भाव खत्म हो गया उनमें में जागृत होगा।

 हम आप यह सोचेंगे कि इस्लाम वामपंथ क्रिश्चियनिटी भय दिखाकर हिंदू समाज को संगठित कर पाएंगे यह असंभव है हिंदू समाज में इतने मत पंथ दर्शन और विचारधाराएं हिंदू स्वभाव से तार्किक और सहिष्णु होता इसलिए इस समाज को भेड़ नहीं बना सकते हैं लेकिन हिंदू समाज राम कृष्ण शिव जगत जननी माता जगदंबा के नाम पर आपने आपसी मतभेद सबकुछ भुलकर संगठित होने लगेगा क्योंकि राम कृष्ण शिव जगत जननी माता जगदंबा प्रत्येक हिंदू की आत्मा है चाहे नास्तिक आस्तिक हो बौद्ध हो या जैन या सबके आधार स्तंभ राम कृष्ण शिव जगत जननी माता जगदंबा इनके बिना हिंदू का कोई अस्तित्व नहीं है। इसलिए हिंदू समाज स्थाई हिंदू एकता का आधार हिंदू होने के भाव के जागरण के लिए सबसे उपयोगी और सरल मार्ग राम कृष्ण शिव जगत जननी माता जगदंबा के माध्यम से संभव है उसके आलावा हम आप हवा तीर मारते रहे कुछ नहीं होने जा रहा है। 

मुगल काल में तुलसी बाबा के रामचरित मानस ने सनातन की रक्षा की थी । वैसे ही इस मार्क्सवादी , पूंजीवादी , जेहादी जहर से रक्षा तुलसी कृत हनुमान चालीसा से होगी । 

जिस प्रकार गिरमिटिया मजदूरों ने अपना धर्म और संस्कृति ईसाई चंगुल से रामचरितमानस की ओट लेकर बचाया आप भी इस नास्तिक धर्महीन व्यवस्था से अपने परिवार , बच्चों और स्त्रियों की रक्षा केवल राम नाम से कर सकते हैं ।

प्रत्येक शनिवार ,मंगलवार को होने वाले हनुमान चालीसा दल का हिस्सा बनें। आज ही बजरंग दल , अतरंरस्त्रीय हिंदू परिषद , हिंदू तख्त, विश्व हिंदू परिषद ,धर्म जागरण मंच और अन्य स्थानीय हिंदू संगठनों द्वारा आयोजित साप्ताहिक हनुमान चालीसा पाठ में सम्मलित हो अपना कर्तव्य निर्वाहन करें ।

दीपक कुमार द्विवेदी

टिप्पणियाँ